आगरा। पर्यावरण सुरक्षित रहे और देवी देवताओं का अपमान भी न हो इसके लिए इस बार लोग गोबर से बने लक्ष्मी-गणेश अपने घर ला रहे हैं। खास बात यह है कि गोबर से बने गणेश और लक्ष्मी को दिव्यांगों द्वारा तैयार किया जा रहा है। साथ ही अगले वर्ष इन्हें घर के ही गार्डन या गमले में विसर्जित भी किया जा सकेगा। इको फ्रैंडली लक्ष्मी गणेश लोगों की पसंद बन गए है। लोग इन्हें ऑर्डर कर खरीद रहे है।

गोबर से निर्मित है मूर्ति

त्योहार आते ही पीओपी से बनी मूर्तियां बजार में सज जाती है। जिन्हें पूजा-अर्चना के बाद विसर्जित नहीं किया जा सकता है। लोग इन्हें यमुना किनारे या फिर किसी पेड़ के सिराहने छोड़ देते हैं। जो प्रदूषण का कारण बनती है। पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए गणेश और लक्ष्मी की प्रतिमा को गाय के गोबर से निर्मित किया गया है। हिन्दू रिवाज में गाय में देवताओं का वास माना जाता है जो कि बेहद आस्था का प्रतीक है। इसके साथ ही पांच तरह के तत्वों से निर्मित करके किया जा रहा है। साम‌र्थ्यवान संस्था के मनीष शर्मा ने बताया कि मूर्ति को गाय के मूत्र, दूध, दही, मक्खन आदि के मिश्रण से तैयार की गई है।

हर मूर्ति में डाला गया है एक बीज

प्रकृति को संरक्षित रखने के लिए मूर्ति को विसर्जन के लिए भी बहुत सुलभ बनाया गया है। संस्था के अध्यक्ष पंडित मनीष शर्मा ने बताया कि हर मूर्ति के अंदर एक पौधे का बीज डाला गया है। जिससे अगले साल विसर्जन नदी किनारे न करना पड़े। विसर्जन के समय मूर्ति को एक गमले में फोड़कर मिट्टी में मिलाकर आसानी से विसर्जित किया जा सकता है। साथ ही यह बीज आगे चलकर एक पौधे का रूप ले लेगा।

100 रुपये से उपलब्ध है मूर्तियां

गोबर एवं पंच तत्चों से बनी मूर्तियां सौ रुपये से उपलब्ध है। पांच इंच की मूर्ति का मूल्य 120 रुपये है। यह मूर्तियां शहर के राजपुर चुंगी, सदर, संजय प्लेस, कमलानगर आदि जगह उपलब्ध कराई जा रही है। इनका गौ सेवा राशि मूल्य 120 रुपये रखा गया है।