- रिवरफ्रंट का निर्माण करने वाली गैमन इंडिया और ठेकेदारों के ठिकानों पर छापे

- कई संदिग्ध बैंक ट्रांजेक्शन का चला पता, तीन राज्यों में छापेमारी

 

यहां छापेमारी

लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, भिवाड़ी

 

फैक्ट फाइल

- 747.49 करोड़ की लागत से होना था गोमती रिवरफ्रंट का निर्माण कार्य

- 1990.561 करोड़ बेतहाशा फिजूलखर्ची से योजना की बढ़ी लागत - 1437.83 करोड़ रुपये हो चुके थे खर्च, कुल 1513.51 करोड़ दिए गये थे

 

टाइमलाइन

- 04 अप्रैल 2017 को सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिए रिवरफ्रंट घोटाले की जांच के निर्देश

- 16 मई 2017 को रिटायर्ड जस्टिस आलोक वर्मा ने राज्य सरकार को सौंपी जांच रिपोर्ट

- 19 जून 2017 को सिंचाई विभाग की ओर से आठ इंजीनियरों पर दर्ज की गयी एफआईआर

- 24 नवंबर 2017 को सरकार ने रिवरफ्रंट घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति की

- 02 दिसंबर 2017 को सीबीआई ने गोमती रिवरफ्रंट घोटाले का केस किया दर्ज

- 28 मार्च 2018 को ईडी ने सिंचाई विभाग की एफआईआर के आधार पर केस दर्ज किया

 

LUCKNOW : सपा सरकार में अंजाम दिए गये गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को चार राज्यों में नौ जगहों पर छापेमारी की। ये छापे उन कंपनियों के ठिकानों पर मारे गये हैं जिन्हें गोमती रिवरफ्रंट के निर्माण का काम मिला था। इनमें गैमन इंडिया लिमिटेड भी शामिल है जो ब्लैकलिस्ट होने के बावजूद रिवरफ्रंट का निर्माण कर रही थी। इसके अलावा रिवरफ्रंट के निर्माण कार्य से जुड़े दो ठेकेदारों के ठिकानों को भी ईडी ने खंगाला है। छापेमारी की कार्रवाई हरियाणा के फरीदाबाद और राजस्थान के भिवाड़ी के अलावा यूपी में नोएडा के सेक्टर 62, गाजियाबाद और लखनऊ में हुई। लखनऊ के गोमतीनगर इलाके में पांच जगहों पर ईडी की टीमें पड़ताल कर रही है जिनमें गैमन इंडिया का ऑफिस और एक विधायक के भाई का विशाल खंड स्थित आवास शामिल है। ईडी के सूत्रों की मानें तो जांच के दायरे में कई पूर्व मंत्री और अधिकारी आ रहे है।

 

कई संदिग्ध लेन-देन का चला पता

ईडी के सूत्रों की मानें तो छापेमारी में तमाम संदिग्ध बैंकिंग ट्रांजेक्शन का पता चला है। रिवरफ्रंट का निर्माण कार्य करने वाली गैमन इंडिया के विपुल खंड स्थित कार्यालय पर छापेमारी में रिवरफ्रंट के निर्माण के दौरान के कुछ बैंक ट्रांजेक्शन ऐसे मिले हैं जिनमें बड़ी रकम खातों से नकद निकाली गयी। ठेकेदारों द्वारा यह रकम बतौर कमीशन राजनेताओं और अफसरों को बांटी गयी। कंपनी के अधिकारी फिलहाल यह बताने में असफल साबित हुए हैं कि इस रकम का इस्तेमाल कहां किया गया। ईडी ने कंपनी से रिवरफ्रंट के निर्माण में खर्च की गयी पाई-पाई का हिसाब भी मांगा है। इसी तरह गोमतीनगर के विवेक खंड में रिवरफ्रंट का कार्य करने वाले एक ठेकेदार अखिलेश सिंह के आवास को भी खंगाला गया है। यहां भी तमाम संदिग्ध दस्तावेज बरामद किये गए जिनके बारे में ईडी के अफसर गहन पूछताछ कर रहे है। ईडी के अफसरों ने अखिलेश सिंह का बयान भी दर्ज किया है। इसके अलावा राजाजीपुरम और आशियाना इलाके में भी फर्मो के ठिकानों पर छापे मारे गये।

 

सीबीआई भी कर रही जांच

ध्यान रहे कि गोमती रिवरफ्रंट घोटाले की जांच सीबीआई भी कर रही है। ईडी ने पिछले साल सिंचाई विभाग द्वारा इस मामले में गोमतीनगर के विभूतिखंड थाने में दर्ज एफआईआर के आधार पर केस दर्ज किया था और आरोपितों को नोटिस देकर पूछताछ के लिए तलब किया था। वहीं इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवरफ्रंट का दौरा करने के बाद इसमें हुई वित्तीय अनियमितताओं की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आलोक सिंह की अध्यक्षता में समिति गठित से कराई थी। समिति ने को राज्य सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में दोषी पाए गये अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की संस्तुति की थी। इसके बाद रिपोर्ट पर अग्रेतर कार्यवाही को काबीना मंत्री सुरेश खन्ना के नेतृत्व में एक समिति गठित हुई। समिति ने न्यायिक जांच के घेरे में आए तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन और प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल के खिलाफ विभागीय जांच और इंजीनियरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की थी।

 

ये इंजीनियर हैं नामजद

तत्कालीन मुख्य अभियंता गोलेश चंद्र (रिटायर्ड), एसएन शर्मा, काजिम अली और अधीक्षण अभियंता शिवमंगल यादव (रिटायर्ड), अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह (रिटायर्ड) और अधिशासी अभियंता सुरेश यादव।

 

रिवरफ्रंट का निर्माण कार्य करने वाली कंपनियों और ठेकेदारों के ठिकानों को खंगाला गया जिसमें तमाम संदिग्ध लेन-देन का पता चला है। जांच में तमाम अफसरों की कंपनियों के साथ भ्रष्टाचार में संलिप्तता के प्रमाण मिल रहे है। उनके बैंक खातों के दस्तावेज, कंप्यूटर की हार्ड डिस्क के अलावा बड़ी तादाद में संदिग्ध दस्तावेजों को कब्जे में लिया गया है। उन फर्मो को काम दिया गया जिनका सिंचाई विभाग में रजिस्ट्रेशन तक नहीं था।

- राजेश्वर सिंह, ज्वाइंट डायरेक्टर, ईडी लखनऊ

 

ईडी की छापेमारी से भ्रष्टाचारियों में हड़कंप से साबित हो गया कि अखिलेश यादव की सरकार में काम नहीं, सिर्फ कारनामे हुए। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की अगुवाई में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई से उनको पनाह देने वाले दलों में बौखलाहट है। खनन घोटाले की जांच पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक पहुंचने लगी है।

- शलभ मणि त्रिपाठी, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता