- पुलिस ने महिला शिक्षकों को नहीं ब शा, तीन बार किया लाठी चार्ज

- विज्ञान और गणित के करीब 29 हजार 334 शिक्षकों की होनी है भर्ती

LUCKNOW: प्रदेश सरकार से नौकरी की गुहार लगाने विधानसभा के सामने प्रदर्शन करने पहुंचे जूनियर शिक्षकों पर गुरुवार को पुलिस ने जमकर लाठीचार्ज किया। इससे कई शिक्षकों गंभीर चोटें आई है। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। विदित हो कि जूनियर स्कूलों में विज्ञान और गणित के करीब ख्9 हजार फ्फ्ब् शिक्षक पिछले छह माह से अपनी नियुक्ति की आस देख रहे हैं। इसी मांग को लेकर गुरुवार को सभी शिक्षकों ने राजधानी पहुंचकर विधानसभा के सामने प्रदर्शन करने लगे। पहले पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, इसके बाद जब शिक्षकों का प्रदर्शन जारी रहा तभी पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया।

इनका कुसूर इतना था

इन बेरोजगारों का कुसूर सिर्फ इतना था कि ये जूनियर हाईस्कूल में अध्यापक पद पर भर्ती के लिए नियुक्ति पत्र चाहते थे। काउंसिलिंग के छह महीने बीतने के बाद भी नियुक्ति पत्र अभी तक नहीं मिला है। कोर्ट को कुछ मामला अटका हुआ है जिसे वकील कोई न कोई बहाना करके टाल रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि हम यहां नियुक्ति पत्र की मांग करने के लिए इकट्ठा हुए थे। किसी ने हमारी बात तक नहीं सुनी और देखते ही लाठियां बरसानी शुरू कर दी। पुलिस ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। इस दौरान पुलिस कई शिक्षकों को पकड़कर अपने साथ ले गई। इससे पहले भी पुलिस ने उन्हें लाठीचार्ज कर हटाया था लेकिन वह वापस आ गए, फिर पुलिस को दोबारा लाठीचार्ज करना पड़ा। अपर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने धरने के लिए कोई अनुमति नहीं ली थी। फिर भी जब उन्होंने विधानसभा का घेराव किया तो पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर उन्हें खदेड़ दिया। इस लाठीचार्ज में घायल कानपुर से आई शालिनी यादव के सिर पर चोट लगने से बेहोश हो गई। उन्हें आनन-फानन में सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। मौके पर मौजूद पुलिस ने महिला और पुरुष शिक्षकों को विधानसभा से गांधी प्रतिमा तक दौड़ा-दौड़ाकर एक बार नहीं तीन बार पीटा। महिला शिक्षकों ने जब इसका विरोध किया तो पुलिसकर्मियों ने उन्हें भी नहीं ब शा और उन पर भी लाठीचार्ज कर दिया। इस दौरान हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल हो गया और हजरतगंज चौराहे पर जाम की स्थिति हो गई। शिक्षकों का आरोप था कि वह शांतिपूर्वक प्रदर्शन के लिए जा रहे थे। इसके बावजूद उन्हें बिना किसी बात के पीटा गया। इसके बाद सभी प्रदर्शनकारी लक्ष्मण झूला पार्क चले गए।