-पटना के अधिकतर कॉलेजों में न फंड, न इक्विपमेंट्स और न ही असिस्टेंट, आखिर कैसे करें प्रैक्टिकल

PATNA: पटना के महिला कॉलेजों की छात्राएं पढ़ाई में तो बेहतर प्रदर्शन करती हैं लेकिन प्रैक्टिकल और रिसर्च वर्क के लिए उन्हें जुगाड़ टेक्नोलॉजी का सहारा लेना पड़ता है यानी एक-दूसरे से चंदा करना पड़ता है। महिला कॉलेजों में प्रैक्टिकल और रिसर्च वर्क के लिए लैब तो है लेकिन मेनटेनेंस की अनदेखी के कारण परेशानी होती है।

कॉलेजों में छात्राओं को सीपीई(कॉलेज विद पोटेंशियल फॉर एक्सीलेंस) स्कीम के अंतर्गत अंडर ग्रेजुएट रिसर्च वर्क पर कार्य करना होता है। इसके लिए कॉलेजों में रिसर्च लैब की सुविधा छात्राओं को दी जाती है। लेकिन पटना में अधिकतर महिला कॉलेजों में रिसर्च लैब अपडेट ही नहीं है। आज दैनिक जागरण आई नेक्स्ट में पढि़ए किस तरह चंदा मांग कर प्रैक्टिकल और रिसर्च वर्क कर रही हैं छात्राएं।

फंड नहीं मिलने से मेटेनेंस भी नहीं

पीयू के पटना वीमेंस कॉलेज और मगध महिला कॉलेज में रिसर्च वर्क के लिए लैब को अपडेट किया जाता है लेकिन इसका बोझ स्टूडेंट और टीचर मिलकर उठाती हैं। मगध महिला कॉलेज में साइंस से जुड़े विभागों में लैब तो है लेकिन प्रैक्टिकल के लिए ज्यादा इक्विपमेंट्स उपलब्ध नहीं है। सबसे बड़ी परेशानी यह है कि कॉलेज के पास फंड नहीं होने से इक्विपमेंट्स को मेनटेनेंस में परेशानी होती है। पिछले तीन वर्ष से फंड नहीं मिलने की बात कही गई है। जिस कारण छात्राएं और टीचर रिसर्च के लिए जेब से पैसे लगा रही हैं।

कहां से लाएं असिस्टेंट

मगध महिला कॉलेज में बॉटनी डिपार्टमेंट की डॉ पुष्पांजलि खरे बताती हैं कि लैब असिस्टेंट नहीं होने से लैब मेनटेन करने में परेशानी होती है। लैब में उपलब्ध केमिकल भी समाप्त होने को है अगर जल्द ही सरकार की ओर से फंड नहीं मिला तो छात्राओं को प्रैक्टिकल करने में भी परेशानी आएगी।

अरविंद महिला कॉलेज

अरविंद महिला कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो उषा झा ने बताया कि कुछ छात्राएं बाहर जाकर रिसर्च करती है। वहीं कॉलेज लेवल पर छात्राएं क्लास वाइज प्रोजेक्ट तैयार करती हैं। स्पेशल रिसर्च वर्क के लिए कोई लैब नहीं है। हमारी कोशिश होगी अगले साल छात्राएं ज्यादा से ज्यादा रिसर्च में अपना प्रोजेक्ट तैयार कर सकें।

गंगा देवी महिला कॉलेज

गंगा देवी महिला कॉलेज में पांच साल पहले लैब को अपडेट किया गया था। छात्राएं यहां पढ़ाई को लेकर प्रोजेक्ट तैयार करती हैं। छात्राओं को आरएमआरआई और पोटैटो रिसर्च सेंटर लेकर जाया जाता है ताकि उनका प्रोजेक्ट तैयार हो सके ।

जेडी वीमेंस कॉलेज

जेडी वीमेंस कॉलेज में भी लैब

अपडेट नहीं है। साथ ही बॉटनी में दो टीचर हैं जो इसी साल रिटायर होंगी। इसके बाद कॉलेज में बॉटनी डिपार्टमेंट में कोई टीचर नहीं होगी। इससे छात्राओं को परेशानी का सामना करना पड़

सकता है।

प्रोजेक्ट पूर्ण करने के लिए रिसर्च वर्क जरूरी है ऐसे में लैब की जरूरत होती है। कॉलेज में फंड नहीं है इसलिए एक-दूसरे से चंदा लेकर काम चलाते हैं।

पूजा वर्मा,

छात्रा, एमएमसी

लैब की स्थिति दयनीय है। इंटर से देख रही हूं, अभी पीजी कर रही हूं लेकिन लैब में कोई डेवलपमेंट नहीं है। कई बार तो ये बंद पड़ा रहता है।

सोनम, स्टूडेंट जेडी वीमेंस कॉलेज