-बोर्ड के साथ ही होम एग्जाम में भी स्टूडेंट्स को मिलेगा बेनेफिट

-रिजल्ट को बेहतर बनाने के लिए सीबीएसई ने उठाया कदम

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PRAYAGRAJ: सीबीएसई ने स्टूडेंट्स के बेहतर रिजल्ट के लिए कई कदम उठाए हैं, जिससे उनकी परफार्मेस में सुधार हो सके। इसी कड़ी में सीबीएसई के सभी विषयों में 20 प्रतिशत अंक के लिए होने वाले प्रैक्टिकल और प्रोजेक्ट वर्क हैं। सीबीएसई का तर्क है कि कई बार स्टूडेंट्स बेहतर होने के बाद भी एग्जाम के दौरान अच्छी परफार्मेस नहीं दे पाते हैं। इसका सीधा असर स्टूडेंट्स के रिजल्ट पर पड़ता है। ऐसे में 20 परसेंट मा‌र्क्स के लिए होने वाले प्रैक्टिकल और प्रोजेक्ट वर्क से स्टूडेंट्स को काफी राहत मिलती है। इससे उनका रिजल्ट भी बेहतर हो सकता है।

जुड़ते हैं 20 परसेंट मा‌र्क्स

सीबीएसई की ओर से उठाए गए कदम को लेकर एपीएस की प्रिंसिपल अमिता मिश्रा ने बताया कि पहले यूनीक टेस्ट होते थे। सीबीएसई ने इसका नाम बदलकर अब पिरियॉडिक टेस्ट रख दिया है। इनमें दो एग्जाम हाफ ईयरली एग्जाम के पहले और दो उसके बाद होते हैं। इनके मा‌र्क्स भी फाइनल एग्जाम में जोड़े जाते हैं। इसके साथ ही बोर्ड में प्रैक्टिकल और प्रोजेक्ट वर्क और रिटेन एग्जाम अलग-अलग होते हैं। बोर्ड में दोनों एग्जाम में ही स्टूडेंट्स को पास होना अनिवार्य होता है। लेकिन होम एग्जाम में इससे काफी फायदा होता है। जहां तक बात क्लास सिक्स से लेकर 8वीं तक की है। इसके बारे में प्रिंसिपल पतंजलि ऋषिकुल मोनिका दत्त ने बताया कि साइंस के अलावा दूसरे सब्जेक्ट में प्रोजेक्ट वर्क से स्टूडेंट्स को काफी फायदा होता है। इसके कारण स्टूडेंट्स में रिसर्च की आदत पड़ती है और वह किसी भी टॉपिक पर अधिक से अधिक सर्च करके उसकी खोज कर सकते हैं।

नॉलेज बढ़ाता है प्रोजेक्ट वर्क

प्रोजेक्ट वर्क के जरिए स्टूडेंट्स की नॉलेज भी काफी बढ़ती है। हालांकि टीचर्स भी मानते हैं कि यह वर्क काफी लेंदी और टाइम टेकेन होता है। लेकिन स्टूडेंट्स भी प्रोजेक्ट वर्क को पूरा करने के लिए कई तरीके अपनाते हैं। इससे उनकी सोच और कार्य करने का दायरा बढ़ता है, जो वाकई स्टूडेंट्स के लिए फायदेमंद होता है। पतंजलि ऋषिकुल की प्रिंसिपल मोनिका दत्त ने बताया कि सीबीएसई की ओर से जारी गाइड लाइन के अनुसार ही प्रोजेक्ट वर्क कराया जाता है। इसके लिए स्टूडेंट्स को पर्याप्त समय दिया जाता है। जिससे वह बेहतर प्रोजेक्ट तैयार कर सकें।