-दिल्ली की तर्ज पर यहां भी बनें सिटी बसों के लिए नियम

-स्कूल के साथ पैरेंट्स ने भी प्राइवेट से बेहतर बताया सिटी बसों का विकल्प

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PRAYAGRAJ: सिटी में जाम एक बड़ी परेशानी है। स्कूली वाहन और स्कूली बच्चों को लेकर जाने वाले वाहन जाम में एक बड़ा फैक्टर हैं। इसको लेकर हाल ही में प्रशासन ने स्कूलों से बच्चों को शिफ्ट में छोड़ने का आदेश दिया था। इसके पीछे मकसद था कि सड़क पर जाम की स्थिति न बनने पाए। अब इस दिशा में आए एक अन्य सुझाव में कहा गया है कि बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने के लिए अगर सिटी बसेज का यूज हो तो जाम से निजात पाया जा सकता है।

कई प्रदेशों में उठाए गए हैं कदम

सेंट जोसफ कॉलेज के प्रिंसिपल रेव्ह। फादर थामस कुमार ने इस मामले में अपनी ओपिनियन दी है। उनके मुताबिक दिल्ली और कई अन्य स्टेट्स में प्राइवेट स्कूली वाहनों पर रोक लगा दी गई है। इसके बदले सिटी बसों से बच्चों को स्कूल पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। इससे सड़क पर वाहनों का बोझ भी कम हुआ है। साथ ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट का यूज बढ़ने से सरकार की आमदनी भी बढ़ी है।

पैरेंट्स को उम्मीद, सरकार उठाए कदम

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने मंगलवार को स्कूलों के बाहर बच्चों को लेने पहुंचे पैरेंट्स से बात की। पैरेंट्स ने कहा कि बच्चों को स्कूल छोड़ना और ले जाना बड़ा टास्क है। अगर सरकार ऐसा रूल बना दे तो पब्लिक और सरकार दोनों को फायदा होगा। इसके साथ ही जाम के झाम से भी छुटकारा मिल जाएगा।

वर्जन

अगर बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने के लिए सिटी बस यूज होने लगें तो काफी बेहतर होगा। इससे जाम तो कम होगा ही, पैरेंट्स को फाइनेंशियली भी काफी राहत मिलेगी।

-संगीत मिश्रा

प्राइवेट स्कूल वाहन संचालकों की नौटंकी से बहुत राहत मिलेगी। इसके साथ ही सभी चीजें रिकॉर्ड में रहेंगी और बच्चे भी सुरक्षित हाथों में रहेंगे।

-फिरोज अहमद

सबसे बड़ी बात कि हमारे लिए बड़ा ईजी हो जाएगा। प्राइवेट जॉब करते हुए बीच में आफिस छोड़कर बच्चों को स्कूल से रिसीव करना और घर पहुंचाना बड़ा टफ टास्क होता है।

-नीतिन

सरकार को चाहिए कि इस व्यवस्था को लागू करते हुए पैरेंट्स को भी अवेयर करें। इससे एक फायदा यह भी होगा कि कम उम्र में स्कूटी लेकर फर्राटा भरने वाले बच्चों पर भी लगाम लगेगी।

-सैम नकवी

व्यवस्था तो बेहतर है, लेकिन अपने शहर में संभव नहीं है। गार्जियन को मनाना बहुत जरूरी है। स्कूलों के आस पास कारों का काफिला लगने से होने वाली भीड़ के जिम्मेदार पैरेंट्स ही हैं।

-अभिषेक वाष्र्णेय, अधिवक्ता

कई स्कूल प्राइवेट वाहनों के जरिए मनमानी करते हैं। पैरेंट्स के लिए एक रोड की ओर जाने वाले स्कूल बसों के लिए एक किराया होगा। इससे उनको मनमानी नहीं झेलनी पड़ेगी।

-सुनील कुमार पाण्डेय

संरक्षक, एमडीआरबी एजुकेशनल ग्रुप