- घरों से अदा की अलविदा जुमे की नमाज

- बाजार में ईद के लिए रौनक, जमकर खरीदारी

देहरादून।

बाजार में ईद की रौनक नजर आने लगी है। वहीं एक दिन के गैप में खुलने वाले मार्केट में फ्राइडे को खूब सेवईं और फेनी खरीदी गई। घर से ही लोगों ने अलविदा जुमे की नमाज अदा की। इसके साथ ही इस बार ईद पर मुस्लिम समुदाय की महिलाओं ने नए कपड़े पहनने की जगह लोगों को मास्क और सेनिटाइजर बांटकर मनाने का निर्णय लिया है। साथ ही इनका ये भी कहना है कि देश जब इतनी बड़ी आपदा से गुजर रहा है तो ऐसे में हमें भी देश सेवा के लिए आगे आना चाहिए।

लॉकडाउन में नमाजे ईद का हुक्म

नायब सुन्नी शहर काजी पीर सैयद अशरफ हुसैन कादरी का कहना है कि कोरोना वायरस की तबाह-कारियों के सबब लॉकडाउन में पांचों वक्त की नमाज और जुमा में मस्जिद की हाजरी नहीं हो पा रही है। इस बार तो लॉकडाउन के चलते अलविदा जुमा की नमाज भी परंपरा के मुताबिक नहीं हो पाई। कहा कि हमें कई शरतई हिदायत पर अमल करना चाहिए। जैसे लॉकडाउन में हुकूमत की तरफ से जितने लोगों को इजाजत है वो ईद की नमाज जमाअत से मस्जिद में या ईदगाह में अदा करें, बाकि हजरात के जिम्मा से ईद की नमाज माफ होगी। कहा कि वो अपने घर में चार रकअल नफ़लि चाश्त पढ़ें। घरों में जुमा और ईदैन की नमाज नहीं हो सकती। इजने-आम और अकामते ईद की शरायत नहीं पाई जाती। जुमा की नमाज का बदल शरीअज में जोहर मौजूद हैं लेकिन ईद का कोई बदल नहीं है।

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शहरकाजी मोहम्मद अहमद कासमी के अनुसार ईद के बाद अपनी खुशियों का इजहार करने के लिए हाथ मिलाना और गले मिलना जायज है लेकिन कोरोना वायरस जैसी बीमारी से बचने के लिए इस बार मुसाफा और गले न मिल कर सोशल डिस्टें¨सग का पालन करते हुए ही अपनी खुशियों का इजहार करें।

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महिलाओं की जुबानी

ईद तो बरसों से मनाते आ रहे हैं लेकिन इस बार देश को हमारी जरूरत है। हम ईद पर नए कपड़े पहनने की जगह मास्क बांटकर इस दिन को सेलीब्रेट करेंगे।

- शमीना सिद्दकी, चंदरनगर

ईद के दिन के लिए इस बार नए कपड़ों की खरीदारी नहीं होगी। इसकी जगह मास्क और सेनिटाइजर पर खर्च कर ये जरूरतमंदों को दिया जाएगा।

- फरहीन सिद्दकी, टांसपोर्ट नगर

ईद के दिन नए कपड़ों को लेकर बच्चों की जिद्द थी लेकिन उनको समझा दिया गया है। वो भी हमारे साथ ईद के दिन जरूरतमंदों को मास्क बांटेंगे।

- यासमीन, चंदरनगर