दो अगस्त को भाइयों की कलाई पर बहनों का प्यार सजेगा। सिटी के मार्केट में कई वेराइटी की राखियां अवेलेवल हैं। रंग-बिरंगे कपडों में सजी बहनें अच्छी से अच्छी राखियों के लिए तितलियों की तरह एक दुकान से दूसरी दुकानों का चक्कर काट रही हैं। इधर भाइयों ने भी रक्षाबंधन के मौके पर बहनों को खूबसूरत और सरप्राइज गिफ्ट देने का मूड बनाया है।

राखी की कई वेराइटी अवेलेवल

सिटी के डिफरेंट एरियाज के मार्केट अट्रैक्टिव राखियों से सजी हैं। मार्केट में 5 रुपए से लेकर 1000 रुपए तक की राखियां अवेलेवल हैं। लक्ष्मी-गणेशा और रेशमी धागे से बनी राखियों की डिमांड ज्यादा है। मार्केट में रुद्राक्ष, स्टोन, मूंगा, लाइट और लेडिस राखियों का क्रेज भी देखा जा रहा है। छोटा भीम राखी पर बच्चों का मन लट्टू हो रहा है।

जाति और मजहब से बड़ा फेस्टिवल

रक्षा बंधन का हिस्टोरिकल इंपोर्टेंस भी है। इस पर्व के बीच जाति और धर्म की कोई दीवार नहीं है। तभी तो कर्णवती ने हुमायंू को राखी भेजकर प्रोटेक्शन की डिमांड की थी। और हुमायंू ने राखी के इंपोर्टेंस को समझते हुए कर्णवती को हेल्प किया था। विरोध करने पर उन्होंने अपने मंत्री और सेनापति से कहा था कि तुम क्या जानों राखी का महत्व। इस राखी पर हुमायूं का सारा साम्राज्य भी कुर्बान हो जाए तो कोई बात नहीं।

है धार्मिक महत्व भी

रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व भी है। माना जाता है कि कृष्ण के हाथ में चोट लगने पर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाडक़र उनके हाथों में बांधा था। तो कृष्ण ने भी चीर हरण के वक्त द्रौपदी की  हेल्प कर भाई का फर्ज अदा किया था।

रक्षाबंधन का सोशल इंपोर्टेंस

इस फेस्टिवल का सोशल इंपोर्टेंस भी है। यह हमें आपसी प्रेम और भाईचारे का संदेश तो देता ही है, साथ ही साथ यह हमें महिलाओं का सम्मान करने का मैसेज भी देता है। कहा जाता है कि पुराने जमाने में सैनिकों के लड़ाई के मैदान में जाने से पहले बहनें उन्हें राखी बांधकर भाई को सभी संकटों से बचाने की प्रार्थना करती थीं।