देहरादून.

इस बार लोकसभा चुनाव में कैंडिडेट को खुद अपने अपराधों का प्रचार करना होगा. यही नहीं यदि वह किसी पार्टी से है तो राजनीतिक पार्टी भी उसके अपराधों का प्रचार करेगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को पालन करते हुए चुनाव आयोग इस बार इस मामले पर बेहद गंभीर है.

पहले फॉर्म में भरना पड़ता था ब्योरा

पहले कैंडिडेट का आपराधिक रिकॉर्ड सिर्फ फॉर्म में ही भरना होता था. यह डिटेल आयोग की ओर से सार्वजनिक किया जाता था, जिसे मीडिया अपनी जरूरत के हिसाब से छापता या दिखाता था. इसके बाद कैंडीडेट्स के अपराधों पर कोई चर्चा नहीं होती थी.

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अब होगा प्रचार-प्रसार

इस बार आयोग ने सख्ती दिखाते हुए कैंडिडेट्स के लिए इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं. जिसके अनुसार किसी नामी न्यूज पेपर में उन्हें तीन बार अपने अपराध का ब्योरा विज्ञापन के रूप में देना होगा. क्या अपराध किए, कब किए, इसके लिए क्या सजा रही जैसी जानकारियां देनी होंगी. कैंडिडेट और राजनीतिक पार्टियों को ये अलग-अलग देना होगा. यदि कैंडिडेट निर्दलीय है तो सिर्फ वहीं अपना विज्ञापन देगा. साथ ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर भी ये विज्ञापन देना होगा.

28 मार्च से 8 अप्रैल तक का समय

कैंडिडेट को ये विज्ञापन नाम वापसी की डेट यानी 28 मार्च से चुनाव के 48 घंटे पूर्व तक देने होंगे. जो कि 8 अप्रैल तक दिए जा सकते हैं. कैंडिडेट को न्यूज पेपर में ये तीन बार में देने होंगे. यदि वह पार्टी से है तो पार्टी अलग से इस तरह का विज्ञापन देगी.

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व्यय कमेटी को देना होगा ब्योरा

कैंडिडेट को अपना इलेक्शन एक्सपेंडेचर भरते समय कमेटी को पूरा ब्योरा देना होगा. उसमें इन विज्ञापनों का खर्च भरा जाएगा. जिस पर कमेटी नजर रखेगी.

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जान सकेंगे अपने कैंडिडेट को

पहले लोग वोट तो देते थे लेकिन अपने कैंडिडेट के बारे में जानकारी नहीं होती थी कि उसने कोई क्राइम भी किया है कि नहीं. यदि किया है तो उसको क्या सजा मिली, कितनी बार क्राइम किया है. ऐसी जानकारियों के बिना ही लोग वोट कर देते थे, लेकिन अब आपराधिक रिकॉर्ड का प्रचार-प्रसार करवाया जा रहा है, ताकि लोग वोट देने से पहले अपने कैंडिडेट से जुड़ी सभी आपराधिक जानकारियों को जान लें.

यदि कैंडिडेट इन विज्ञापनों का नहीं पब्लिश करवाता है और इनका खर्च व्यय कमेटी के समक्ष नहीं प्रस्तुत करता है तो उसे आगे से चुनाव के लिए डिस्क्वालीफाई कर दिया जाएगा.

एसए मुरुगेशन, डीएम