चुनाव ड्यूटी में शहर-गांव से आई महिलाओं और लड़कियों का घरवाले लेते रहे हालचाल

गूंजता रहा जो नहीं पहुंचे हैं उनके खिलाफ होगी एफआईआर

vikash.gupta@inext.co.in

PRAYAGRAJ: कोई घूंघट में चूल्हा-चौका छोड़कर पहुंचा था, कोई गोद में बच्चे को लेकर पहुंचा था तो कोई अपनी कई सारी घरेलू समस्याओं के बाद भी चुनाव ड्यूटी के लिए पहुंचा था. घर बार छोड़कर लोकतंत्र के महापर्व में अपने कर्तव्य पथ की ओर अग्रसर ऐसे ही लोगों का मेला केपी इंटर कॉलेज ग्राउंड पर देखने को मिला.

फोटू न खिंचाब जो पूछेक होए पूछ लेव

दोपहर में तेज गर्मी के बाद भी ग्राउंड में लगे पंडाल के नीचे जमा मतदान कर्मी बूथ की ओर रवाना होने का इंतजार करते दिखे. मेजा से ड्यूटी के लिए अपने 09 माह के बच्चे को गोद में लेकर पहुंची परवीन फोटो खींचते ही मुंह को ढंक लेती हैं. कहती हैं फोटो नहीं खिंचवाएंगे जो पूछना है पूछ लें. वह कहती हैं कि घर में बहुत सी जिम्मेदारियां हैं. जिसे देखने वाला कोई नहीं है. लेकिन चुनाव में ड्यूटी से भी इंकार नहीं किया जा सकता था.

सब निपटाए के जल्दी से घर पहुंच जाई बस

नैनी से आई रेखा सिंह पहली बार मतदान के लिए पहुंची थी. इस सवाल पर कि कैसा चल रहा है यहां? कहा कि अभी तक तो सब ठीक है. बोली भईया कुछ होए हवाए न, सब निपटाए के जल्दी से घर पहुंच जाई बस. इनकी उम्र भी कम थ. इसलिए उन्होंने बताया कि एक लड़की होने के नाते उनके घरवालों को चिंता भी बहुत है. रेखा के ही बगल में बैठी धूमनगंज से आई मीनाक्षी सिंह ने कहा कि पुरुषों का तो चल जाता है. लेकिन, एक लड़की होने के नाते जब तक सकुशल घर नहीं लौट जाएंगे. घर वालों की चिंता बनी ही रहेगी. बताया कि सुबह जब से घर से निकली है. घरवालों का दस से ज्यादा बार फोन आ चुका है. कुछ खाया की नहीं, वहां कैसी व्यवस्था है, ड्यूटी के लिए किस बूथ और एरिया में जाना होगा वगैरह..वगैरह..हंसते हुए बोली कि गर्मी से बचे रहने की तो विशेष हिदायत माता-पिता की ओर से बार-बार मिल रही है.

मैं तो जसरा से अकेले ही आई हूं. बेसिक शिक्षा विभाग में टीचर हूं. घर के लोग लगातार सम्पर्क में हैं. अब उन्हें चिंता तो रहेगी ही. बस सबकुछ अच्छे से हो जाए और क्या चाहिए ?

नमिता

मैं करबला से आया हूं. मेरी ड्यूटी राजकीय शोध आदर्श विद्यालय में लगी है. यहां आए सभी अपनी अपनी व्यवस्था से आए हैं. अब रविवार को मतदान के दिन का इंतजार है. हमें यहां ज्यादा वेट नहीं करना पड़ा. यह अच्छी बात है.

अखिलेश

मैं फूलपुर से आया हूं. गर्मी बहुत ज्यादा है. ऑफिसर्स तेजी से काम कर रहे हैं. हंसते हुए, जो मतदान कर्मी आए हैं. वो अपने खाने पीने का जुगाड़ लेकर चले हैं. जिनकी ड्यूटी सिटी में एलाट हैं. उन्हें थोड़ा राहत है.

सुनील

मैं कौंधियारा का रहने वाला हूं और यहां सहायक कार्मिक के तौर पर तैनात हूं. इस भीषण गर्मी में मतदान कर्मियों को कोई दिक्कत न हो इसके लिए हमने अपना काम समय के साथ पूरा किया है. कई ऐसे भी हैं जो ड्यूटी से अनुपस्थित हैं. उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए एनाउंसमेंट भी किया गया है.

महजुल आदिवासी