- बिजली वितरण का काम फ्रेंचाइजी को देने की तैयारी

- प्रस्तावित स्कीम से सरकारी बिजली कंपनियों का काम घटेगा

PATNA : जल्द ही राज्य भर के बिजली कंज्यूमर को बिजली का झटका लग सकता है। दरअसल केंद्र सरकार राज्यों के लिए एक प्रस्ताव लेकर आ रही है। इस स्कीम के अनुसार प्राइवेट बिजली कंपनियां बिजली डिस्ट्रीब्यूशन का काम करेगी। इसके लिए एरिया वाइज टेंडरिंग की जाएगी और इसमें वे अपने तय रेट के हिसाब से बिजली देगी। वर्तमान में घरेलू, कमर्शियल, ग्रामीण कुटीर ज्योति और अन्य कैटेगरी हैं बिजली के रेट के लिए। लेकिन जब प्राइवेट कंपनियां बिजली डिस्ट्रीब्यूशन का काम करेंगी तो ये कैटेगरी खत्म हो जाएगी। कंपनियों का अपना रेट ही लागू होगा। इसे लागू करने के लिए एलटी लाइन से सर्विस वायर जोड़कर राज्य भर के कंज्यूमर चाहे वे घरेलू, ऑफिस या कमर्शियल संस्थान सभी को प्राइवेट कंपनियां बिजली कनेक्शन देगी। इस प्रक्रिया के लिए टेंडरिंग कराया जाएगा।

- पैकेज के हिसाब से देना होगा पैसा

केन्द्र के इस नए प्रस्ताव को लेकर अभी औपचारिक घोषणा सामने नहीं आई है। लेकिन सूत्रों ने बताया कि यह बिजली वितरण के लिए फ्रेंचाइजी स्कीम लागू करने को केंद्र राज्यों पर दबाव बना रहा है। यह स्कीम काफी हद तक मोबाइल कंपनियों की तरह होगा। इसमें पैकेज के हिसाब से पैसा देना होगा। बिजली कंज्यूमर अपने मांग के हिसाब से बिजली ले सकेंगे। इसके साथ ही बेहतर ऑप्शन के लिए पोर्टिबिलिटिी का भी ऑप्शन कस्टमर को दिया जाएगा।

- नेटवर्क का मिलेगा किराया

स्कीम के अनुसार राज्य की सरकारी बिजली कंपनियां अपने नेटवर्क के लिए निजी कंपनियों से किराया वसूल करेगी। बिजली उत्पादन केंद्रों से प्राइवेट कंपनियां बिजली खरीदेगी। इसकी ढुलाई राज्य की सरकारी कंपनी नेटवर्क के माध्यम से करेगी। यानि सरकारी बिजली नेटवर्क का इस्तेमाल प्राइवेट कंपनियां करेगी। कंज्यूमर जो बिजली खर्च करेंगे उसका बिल प्राइवेट कंपनी ही वसूल करेगी।

- एक्सटेंशन, मेंटेंनेस का जिम्मा सरकारी

नई योजना के अनुसार पावर नेटवर्क का एक्सटेंशन, मेंटेनेंस और ब्रेक डाउन की स्थिति में सरकारी कंपनी के इंजीनियर मुस्तैद रहेंगे। प्राइवेट कंपनियां सिर्फ बिल की वसूली करेगी। जब से इस बात का पता सरकारी कंपनियों के कर्मचारियों के बीच आयी है। वे इसका विरोध करने का मन बना चुके हैं।

- उठ रहे विरोध के स्वर

केन्द्र सरकार के इस प्रस्ताव के विरोध में राज्य के बिजली इंजीनियर, अधिकारी और कर्मी लामबंद हो रहे हैं। बिहार पावर इंजीनियर्स सर्विस एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्रि्वनी कुमार ने कहा कि यह प्रस्ताव निराशाजनक है। सरकारी कंपनियों के इंजीनियर्स ने बीते चार -पांच साल में बिजली का नेटवर्क काफी बेहतर किया है। इसका उत्पादन, वितरण और आपूर्ति करने का अधिकार राज्य सरकार को है। अगर केन्द्र संसद में प्रस्ताव पास करता है तो राज्य सरकार बिजली उत्पादन, वितरण और आपूर्ति करने के अधिकार से वंचित हो जाएगा।

- केंद्र बढ़ा रहा दबाव

इस स्कीम को लागू कराने के लिए और बिजली जैसे विशाल पब्लिक सेक्टर में प्राइवेट कंपनियों को मौका देने के लिए लगातार दबाव बढ़ाया जा रहा है। हाल ही में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि तीन माह के अंदर जो राज्य बिजली आपूर्ति के लिए फ्रेंचाइजी कंपनी को जिम्मेवारी नहीं देगी उसे केंद्र से मिलने वाला कर्ज और अनुदान बंद कर दिया जाएगा।

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सरकार प्राइवेट कंपनियों को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए ऑर्डिनेंस लाने की तैयारी है। हमलोग इसका विरोध करेंगे। प्राइवेट कंपनियों का मनमाना रेट होगा। बिजली मौलिक सुविधा है, भविष्य में कंज्यूमर महंगी दर पर बिजली बिल देने के लिए बाध्य होंगे।

- सुरेंद्र कुमार, सेक्रेटरी जनरल इस्टर्न इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन