- मानकों का अनदेखी कर लगाए जा रहे हैं शहर में बिजली खंभे

- स्काडा योजना के तहत हो रहा कार्य

- आई नेक्स्ट की पड़ताल में हुआ खुलासा

GORAKHPUR: पिछले दिनों आई आंधी में शहर में कई जगह बिजली के खंभे टूट गए। इससे कई इलाकों ने घंटों बिजली कटौती झेली। इस दौरान बिजली विभाग खराब व्यवस्था के लिए मौसम की दुहाई देता रहा। खैर, व्यवस्था सही तो हो गई पर अब समस्या का असली कारण कुछ और ही निकल कर आया है। बिजली विभाग के अधिकारी कह रहे थे कि आंधी में पोल टूट गए हैं लेकिन सच इससे इतर ही है। जब आई नेक्स्ट ने इन पोल्स के गिरने का कारण खंगाला तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई। असल में कई जगह मात्र गढ्डे खोदकर पोल खड़े कर दिए गए थे। इनमें से ज्यादातर आंधी आते ही गिर गए।

बिना बेस ही खड़े किए पोल

बिजली विभाग में इन दिनों स्काडा योजना के तहत पुरानी लाइन बदलने, नए पोल लगाने सहित कई अन्य मरम्मत और विस्तार कार्य लगातार हो रहे हैं। इस योजना के तहत अभी तक शहर में लगभग एक हजार पोल लगाए गए हैं। इनमें एलटी लाइन के पोल लगाने के लिए फर्म 1123 रुपए और हाई वोल्टेज लाइट पोल लगाने में 5618 रुपए खर्च करता है। इस पैसे में पोल लगाने के लिए गढ्डे खोदने से लेकर कंक्रीट के बेस बनाना और उसे खड़ा करना होता है। जबकि सच्चाई ये है कि ठेकेदार बिना कंक्रीट के बेस बनाए ही पोल खड़े कर दे रहे हैं।

बोलने से कतरा रहे अधिकारी

इस गोलमाल को लेकर बिजली विभाग के अफसर संकेत तो दे रहे हैं, लेकिन कंपनी अधिकारियों के खिलाफ कुछ बोलने से बच रहे हैं। बिजली विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी का पूरा कार्य एक बड़े अधिकारी के नजदीकी रिश्तेदार की देखरेख में हो रहा है। ऐसे में वह किसी भी लोकल अधिकारी की सुनने को तैयार ही नहीं है। एक एसडीओ ने बताया कि चार माह पहले एक ट्रांसफॉर्मर हटाने के लिए कंपनी को फोन किया गया। जब एक सप्ताह तक कार्य नहीं हुआ तो पत्र लिखा गया। इसके बावजूद अब तक ट्रंासफॉर्मर नहीं हटा है। साथ ही एसडीओ ने बताया कि कंपनी के कर्मचारी अक्सर बिना बताए ही किसी एरिया में सुबह काम करने पहुंच जाते हैं। इस कारण पब्लिक को बिना सूचना दिए ही बिजली काटनी पड़ती है। इस पर पब्लिक की नाराजगी भी विभाग को ही झेलनी पड़ती है।

क्या हैं नियम

पोल लगाने के लिए बिजली विभाग ने एक मानक निर्धारित किया है। इसके तहत किसी भी पोल को लगाना उस पर बिछाए गए तार पर निर्भर करता है। एलटी लाइन वाले खंभे का एक चौथाई हिस्सा जमीन के अंदर होना चाहिए, जबकि हाई टेंशन तार के पोल की लंबाई का नौवां हिस्सा जमीन के अंदर रहता है। पोल लगाते समय कंक्रीट का बेस बनाया जाता है। इसमें पोल को डाला जाता है और जमीन से ऊपर तीन से चार फीट तक बेस बनाया जाता है। जमीन के अंदर वाले हिस्से को ग्राउटिंग और ऊपर वाले हिस्से को मफिंग कहा जाता है।

दो तरह के लगाए जा रहे हैं पोल

पोल लंबाई तार पोल का मूल्य लगाने का खर्च

नौ मीटर एलटी लाइन व केबीसी केबल 15500 रुपए 1123 रुपए

11 मीटर हाई वोल्टेज लाइन 23500 रुपए 5618 रुपए