- बिजली चोरी पर नकेल कसने में नाकाम है कंपनी

- महंगी बिजली की वजह कंपनी की नाकामी है

- छोटे-छोटे ट्रांसफॉर्मर लगाने की योजना फेल

PATNA@inex.co.in

PATNA : पटना सहित पूरे बिहार में बिजली कंपनी लाइन लॉस रोकने में फेल है। इसका खामियाजा कंज्यूमर्स को महंगी बिजली लेकर भुगतना पड़ रहा है। एक्सपर्ट की मानें तो अगर लाइन लॉस पर कंट्रोल किया जाए तो बिजली का रेट क्भ् परसेंट तक कम किया जा सकता है। लाइन लॉस की सबसे बड़ी वजह बिजली चोरी है जिस पर साउथ बिहार पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड कंपनी लगाम नहीं लगा पा रही है। इंटरेस्टिंग बात यह है कि लाइन लॉस और बिजली चोरी रोकने के लिए पेसू की ओर से लाखों खर्च कर योजनाएं बनाई जाती हैं बावजूद न तो बिजली की चोरी रुकती है और न ही लाइन लॉस को कंट्रोल किया जा रहा है।

प्लानिंग नहीं होता इंप्लीमेंट

पेसू की ओर से लाइन लॉस रोकने के लिए प्री पेड डिजिटल मीटर से लेकर कई योजनाओं की बात की जाती है, लेकिन डिपार्टमेंट की उदासीनता के चलते इन्हें अमलीजामा नहीं पहनाया जाता है। इधर, डिपार्टमेंट अपनी गलतियां न सुधारकर घाटा पूरा करने के लिए कंज्यूमर्स को महंगी बिजली बेच रहा है।

बिजली चोरी रोकने में फिसड्डी

पटना सहित पूरे बिहार में इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट के ऑफिसर्स साल में करीब क्भ् हजार बिजली चोरों को पकड़ते हैं। ख्0क्क्-क्ख् में ब्0 लाख क्8भ् बिजली कनेक्शन में से ख्8ख्0ब्ब् कनेक्शनों की जांच हुई इनमें क्07फ्ख् कनेक्शन में चोरी पकड़ी गई, जबकि साल ख्0क्ख्-क्फ् में यह आंकड़ा 9ब्9ख् रहा। इसी तरह ख्0क्ब् के अप्रैल महीने तक जांच के दौरान 7 हजार से ऊपर बिजली चोरी के मामले मिले हैं।

इस वजह से हो रहा लाइन लॉस

- चोरी रोकने के लिए नंगे तारों की जगह इंसूलेटेड तार लगाने का प्लान अधूरा।

- हुकिंग एवं एंटी बैच केबल लगाने की गवर्नमेंट की प्लानिंग फेल।

- लोड सेंटर पर छोटे-छोटे ट्रांसफॉर्मर लगाने की योजना फेल।

- अधिक भार पड़ने पर कंडक्टर की जगह मोटे तार लगाने की योजना बनी, लेकिन वह भी अधूरी रही।

- फ्फ् केवी से एलटी लाइन तक लाइन लॉस करीब फ्0 परसेंट, लेकिन बिजली कंपनी इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही।

- एचवीडीएस लगाने की योजना फेल।

- सभी साइट्स व कनेक्शनों की रेग्यूलर मॉनिटरिंग व चेकिंग नहीं की जा रही है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

राजधानी में टेक्निकल और कमर्शियल दोनों तरह के लॉस को कम करने से क्भ् परसेंट तक बिजली सस्ती हो सकती है। प्रोडक्शन अगर भ्00 यूनिट हो रहा है और 80 यूनिट बिजली लॉस हो ररी है, तब भी लागत भ्00 यूनिट के लिए ही लगा रहे हैं। क्भ् परसेंट लाइन लॉस सीधे कम करना इन दिनों के हालात में संभव नहीं है, लेकिन इसे धीरे-धीरे ख्-भ् परसेंट तक लाया जा सकता है।

- राजीव रंजन, एक्स एग्जीक्यूटिव इंजीनियर।

राजधानी में साल दर साल फ् परसेंट तक लाइन लॉस कम किया जा रहा है। इस तरह हमलोग अगले पांच साल में इस लॉस को क्म् परसेंट तक ला सकते हैं। अभी क्भ् परसेंट लाइन लॉस कम करने की संभावना नहीं बन पा रही है।

- हरेराम पांडेय, पीआरओ, बिजली कंपनी।