- भले ही तापमान गिरा हो, लेकिन दो महीने में लखनवाइट्स ने झेली बिजली की भारी किल्लत

- बिजली विभाग के चल रहे अभियान में सामने आया सच, मिली कई कमियां

- हर तीसरे कनेक्शन में कहीं मीटर में गड़बड़ी तो कहीं बिजली की चोरी

LUCKNOW: राजधानी के लोग पिछले दो महीने से बिजली की किल्लत झेल रहे थे। दो दिन से टम्प्रेचर में आयी गिरावट को छोड़ दिया जाए तो लाइट ने लखनवाइट्स का जीना हराम कर रखा था। इसके पीछे का कारण बिजली विभाग के अभियान में समझ में आने लगा है। चेकिंग के दौरान औसतन हर तीसरे कनेक्शन में गड़बड़ी मिल रही है। कहीं मीटर में गड़बड़ी और कहीं बिजली की चोरी। थोक के भाव नये कनेक्शन भी दिये जा रहे हैं। ख्ब् घंटे सप्लाई के बाद भी आखिर राजधानी में बिजली की इतनी किल्लत क्यों है, इसकी पड़ताल की तो बिजली चोरी के साथ-साथ बिजली विभाग के अधिकारियों की लापरवाही भी सामने आयी।

एक महीने में जले फ्भ्0 ट्रांसफार्मर

लेसा से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पिछले मई महीने में ही राजधानी में साढ़े तीन सौ से अधिक ट्रांसफार्मर जल गये। इसमें सबसे अधिक सेस थर्ड में रहा जहां एक महीने में 87 ट्रांसफार्मर डैमेज हुए। सेस सेकेंड में 80 और बीकेटी में भ्7 ट्रांसफार्मर डैमेज हुए। इसके अलावा चिनहट सब स्टेशन इलाके में क्7 ट्रांसफार्मर फुंकने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

इसलिए जल जाते हैं ट्रांसफार्मर

ट्रांसफार्मर जलने की सबसे बड़ी वजह मेंटेनेंस मानी जाती है। ट्रांसफार्मर और बिजली उपकरणों के नाम पर हर साल सिर्फ लेसा को लाखों का बजट मिलता है। लेकिन मेंटेनेंस के नाम पर ट्रांसफार्मर के अलावा सारे मेंटेनेंस के काम कराये जाते हैं। वहीं अधिकारियों का कहना है कि ट्रांसफार्मर के मेंटेनेंस के लिए शट डाउन लेना पड़ता है। हकीकत यह है कि कुछ देर के लिए भी पावर कट होने पर पब्लिक में हाहाकार मचने लगता है।

आखिर क्यों काम नहीं करता फ्यूज

ट्रांसफार्मर के जलने में पेटियों पर लगने वाले फ्यूज भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। फ्यूज का काम होता है कि ट्रांसफार्मर पर लोड बढ़ने पर लाइट को कट कर दे। इसे एक हल्के वायर से बांधा जाता है। जो जरा से ओवर लोड में ही उड़ जाता है। लेकिन लेसा के अधिकारी और कर्मचारी बार-बार फ्यूज बांधने की जहमत से बचने के लिए हार्ड वायर का यूज करते हैं जिसका सीधा असर ट्रांसफार्मर पर पड़ता है और ट्रांसफार्मर फुंक जाता है।