-तीन महीने में आई 18 हजार से अधिक फेक कॉल्स

-मई-जून में रॉन्ग कॉल्स की रफ्तार दोगुनी हो जाती है

DEHRADUN : 'गैस भरवा दो', 'मोबाइल रीचार्ज करवा दो', 'दिल में आग लगी है' और 'यहां एक्सीडेंट हुआ है, लेकिन अब ठीक हो गया है'। ये तमाम वह कॉल्स हैं, जिन्हें रिसीव कर क्08 का कॉल सेंटर खासा परेशान हो चुका है। ऐसी शिकायतें पिछले पांच सालों से चली आ रही है, लेकिन अब तो स्कूली बच्चों और महिलाओं ने क्08 स्टेट प्रबंध तंत्र को सबसे ज्यादा परेशान किया हुआ है। अकेले तीन महीने के बात की जाए तो ऐसे फेक कॉल्स की संख्या तकरीबन क्8 हजार तक पार हो चुकी है, लेकिन क्08 कॉल सेंटर कर्मचारियों की गांधीगिरी देखिए, ऐसे कॉल्स से पक चुके कर्मियों ने ऐसे कॉल करने वालों को सुधारने के लिए एजुकेट करने का फैसला लिया है।

पहले से आते रहते हैं ये कॉल्स

इमरजेंसी सेवा क्08 टोल फ्री नंबर है। गवर्नमेंट ने आपातकाल प्रोवाइड कर हर किसी को सेवा का लाभ देने के लिए इमरजेंसी सेवा की शुरुआत की है, लेकिन यहां तो उलट है। पांच साल पहले जब इस सेवा की शुरुआत हुई थी। तब भी क्08 कॉल सेंटर को ऐसी फेक कॉल्स का सामना करना पड़ा था। बाद में प्रबंध तंत्र ने पुलिस तक ऐसे नंबर ट्रेस करने की दरख्वास्त की थी। कुछ हद तक पॉजिटिव रिजल्ट निकले, लेकिन एक बार फिर वैसे ही अब्यूज्ड और रॉन्ग कॉल्स ने रफ्तार पकड़ी है। क्08 कॉल सेंटर हेड मनीष केंथ की माने तो उदाहरण के तौर पर इस साल अप्रैल से लेकर जून तक ऐसे फोन कॉल्स की संख्या क्8 हजार तक पहुंच चुकी है।

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अब दिखा रहे गांधीगिरी

मनीष के अनुसार समर वेकेशंस में आजकल ऐसे कॉल्स ज्यादा आ रहे हैं, जिनका समय सुबह नौ बजे, दोपहर और शाम के वक्त ज्यादा होती हैं। इसकी वजह वह बताते हैं कि छुट्टियों में बच्चे खाली रहते हैं और पेरेंट्स का मोबाइल हाथ लगते ही टोल फ्री नंबर पर कॉल घनघना देते हैं। कई बार कॉल बैक करने पर ऐसे नंबर भी ट्रेस किए गए। कॉल करने पर उनके पेरेंट्स सॉरी कहते हैं। अब ऐसे फेक कॉल्स जहां से रिसीव होते हैं, क्08 ने बच्चों के पेरेंट्स को गांधीगिरी दिखानी शुरू कर दी है। पेरेंट्स को कहते हैं कि अपने बच्चों को सिविक सेंस सिखाएं, जिससे जरूरतमंदों तक सर्विस का लाभ मिल सके और आपातकाल सेवा में व्यवधान न हो सके। बताया गया कि कई बार तो बच्चों की मम्मी भी फिजूल में कॉल्स करती हैं।