--डिस्टिलरी के किनारे की जमीन पर धड़ाधड़ खड़े हो गए मकान

RANCHI : पिछले कुछ सालों में डिस्टलरी तालाब के किनारे जमीन पर कब्जा कर लोगों ने धड़ाधड़ मकान खड़े कर लिए। इस कारण इस तालाब में पानी खत्म होता चला गया और यह सिर्फ कहने के लिए तालाब रहा। लेकिन इतना सब होने के बावजूद भी रांची नगर निगम इस तालाब को लेकर लापरवाही भरा रवैया अपनाता रहा। एक तरफ जहां उसके कई साल के बाद इसके सौंदर्यीकरण का काम तो शुरू किया, लेकिन यह काम तालाब जो थोड़ा बहुत जीवित था उसके भी समाप्त कर दिया। आज यह एक छोटा सा नाला जैसा बनाने की तैयारी में है रांची नगर निगम। जिस तरह से यहां पर वाटर पार्क या दूसरी चीजें बनाने की यहां पर काम चल रहा है उससे यह तालाब खत्म हो गया है। लेकिन रांची नगर निगम और यहां का सौंदर्यीकरण काम करनेवाली एजेंसी को इससे मतलब नहीं है। ऐसे में लोग सामने आ रहे हैं और इस तालाब को बर्बाद होने से बचाने के लिए आवाज उठा रहे हैं।

डिस्टिलरी तालाब को नगर निगम ने बर्बाद कर दिया है। इसे जीवित करने के लिए आंदोलन किया जाएगा। आज जितने छोटे से एरिया में ब्यूटीफिकेशन और वाटर पार्क के नाम पर राजीव चड्डा की कंसल्टेंट कंपनी ने जो खाका तैयार किया है, उसमें इस बात का जिक्र भी है कि बारिश में जब पानी बढ़ेगा तो उसे कैसे रोकेंगे। नतीजा यह होगा कि बारिश का पानी बढ़ने पर या तो पानी पार्क में जाएगा या पार्किग एरिया में। ऐसा ब्यूटीफिकेशन किस काम का है, जिसकी प्लानिंग फुलप्रूफ नहीं है। डिस्टिलरी तालाब को पुराने स्वरूप में ही लाना होगा, इसके लिए जो भी लड़ाई लड़नी होगी, हम तैयार हैं।

आदित्य विक्रम जायसवाल, इम्पावर झारखंड, रांची

यह बात बिलकुल सच है कि जिस जिस तलाब को एक बार सुखाया गया है, वहां फिर से वह जीवित नहीं हुआ है। आज हम बात डिस्टिलरी तालाब के विकास के नाम पर उसे हुए नुकसान की करें या बड़ा तालाब में गंदगी की। दोनों जगहों पर प्रशासन की लचर व्यवस्था दिखती है। अधिकारी यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि तालाबों को प्रकृति के लिए बचाना है, न कि विकास के नाम पर उसे गर्त में ले जाना है। सरकार और आम लोगों को भी साथ मिलकर तालाबों के अस्तित्व को बचाने के लिए काम करना होगा। जल, जंगल, नदी, तालाब ही झारखंड की पहचान हैं और रांची के लोग कभी इस पहचान को खोने नहीं देंगे।

विवेक पांडेय, महानगर सह मंत्री, एबीवीपी रांची