RANCHI : अगर हम हर दिन अपने घर में सिर्फ दस मिनट बिजली बंद रखते हैं तो सिर्फ रांची सर्किल में ही 82,500 यूनिट बिजली बचा सकते हैं। बस थोड़ी सी समझदारी दिखानी होगी और बेवजह बिजली के इस्तेमाल से बचना होगा। बिजली की बचत कर हम न सिर्फ राष्ट्र निर्माण में सहयोग कर सकते हैं, बल्कि बिजली पर हो रहे बेवजह खर्च से भी बच सकते हैं। इतना ही नहीं, काफी हद तक पावर कट और लोड शेडिंग जैसी समस्या से भी निजात मिल जाएगी। गौरतलब है कि रांची सर्किल में बिजली के 2.82 लाख रेसिडेंशियल व कॉमर्शियल कंज्यूमर हैं।

लापरवाही से होती है बर्बादी

हर दिन होनेवाले पावर कट अथवा लोड शेडिंग के लिए हम इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट को कोसते हैं, पर क्या हमने कभी सोचा है कि बिजली की समस्या के लिए हमारे जैसे कंज्यूमर्स कितने जिम्मेवार हैं? शायद नहीं। हम जाने-अनजाने में बिजली का बेवजह इस्तेमाल करते हैं। दिन में घर की बत्ती जला छोड़ देते हैं। कमरे में कोई नहीं है, लेकिन पंखा और एसी चलता रहता है। हमारी यह आदत ही बिजली की बर्बादी की वजह बन रही है। बस थोड़ा सा अलर्ट रहकर हम न सिर्फ बिजली की बचत कर सकते हैं, बल्कि घर की बिजली बिल में भी कमी ला सकते हैं।

सरकारी दफ्तरों का बुरा हाल

घरों में तो कई कंज्यूमर्स बिजली पर होनेवाले खर्चे को लेकर काफी समझदारी से बिजली का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन सरकारी दफ्तरों में बिजली की हो रही बर्बादी को देखनेवाला कोई नहीं है। ऑफिसेज में अधिकारी-कर्मचारी हो या न हों, बल्ब, पंखा और एसी चलता रहता है। इसे बंद रखने पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। ऐसे में हर दिन कितनी बिजली की बर्बादी बेवजह होती है, सहज ही समझा जा सकता है।

रांची को हर दिन चाहिए 240 मेगावाट बिजली (बॉक्स)

रांची सर्किल को हर दिन 240 मेगावाट बिजली चाहिए, पर 180 से 190 मेगावाट बिजली ही मिल पाती है। इस वजह से पावर कट की समस्या के अलावा लोड शेडिंग के जरिए बिजली की आपूर्ति करना मजबूरी बन जाती है।

झारखंड को हर दिन चाहिए 3260 मेगावाट बिजली

झारखंड में मांग के मुकाबले कम बिजली की आपूर्ति हो रही है। यहां हर दिन 3260 मेगावाट बिजली की जरूरत है, पर उतना 1952 मेगावाट ही बिजली मिल रही है। पीटीपीएस और टीवीएनएल की एक-एक यूनिट से बिजली उत्पादन ठप है। पीटीपीएस की एक यूनिट से मात्र 30 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। इतना ही नहीं, यहां स्थित सभी थर्मल पावर से मात्र 252 मेगावाट बिजली ही मिलती है। कुल मिलाकर हर दिन 1668 मेगावाट बिजली की कमी यह राज्य झेल रहा है।

1213 मेगावाट बिजली की खरीदारी

झारखंड सरकार हर दिन 1213 मेगवाट बिजली खरीदनी पड़ती है। पीटीपीएस और टीवीएनल समेत सभी पावर प्लांट से लगबग 475 मेगवाट बिजली उत्पादन होता है, जबकि डीवीसी से हर दिन 950 मेगावाट बिजली खरीदी जाती है। इसके अलावा सेंट्रल पूल से हर दिन 350 मेगवाट बिजली की सप्लाई होती है, जबकि इसका कोटा 500 मेगावाट निर्धारित है।

2020 में 8700 मेगावाट बिजली जरूरत होगी

अभी राज्य को 3260 मेगवाट बिजली की जरूरत है, लेकिन आनेवाले पांच सालों में बिजली की खपत और बढ़ जाएगी। बिजली विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, 2020 में करीब 8700 मेगावाट बिजली की जरूरत होगी। ऐसे में बिजली उत्पादन के लिए सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। देवघर और तिलैया में 4000 मेगावाट का दो पावर प्लांट लग रहा है। पीटीपीएस को एनटीपीसी के हवाले कर दिया गया है। टीवीएनएल की प्रोडक्शन कैपासिटी को 1320 मेगावाट किया जाएगा।

रांची सर्किल में 48 सब स्टेशन

रांची सर्किल में 48 पावर सब-स्टेशन हैं, जहां से बिजली की सप्लाई होती है। इन पावर सब-स्टेशनों में 10 एबीए के 18 ट्रांसफार्मर, साढ़े सात एमबीए के दो, पांच एमबीए के 85, तीन एमबीए के नौ और 1.6 एमबीए के दो ट्रांसफार्मर लगे हुए हैं।

रांची सर्किल में बिजली आपूर्ति की व्यवस्था (बॉक्स)

- 33 केवीए के 65 फीडर हैं, जिसकी कुल लंबाई 780 किलोमीटर है।

- 11 हजार लाइन के 170 फीडर हैं, जिसकी लंबाई 5512 किलोमीटर है।

- एलटी लाइन की कुल लंबाई 6533 किमी हैं

वर्जन

कंज्यूमर्स से यही आग्रह है कि वे बिना वजह के बिजली का इस्तेमाल नहीं करें। बिजली की बर्बादी रुकनी चाहिए। अगर लोग समझदारी से बिजली का इस्तेमाल करेंगे तो पावर कट व लोड शेडिंग जैसी समस्याएं कम हो जाएंगी।

अजीत कुमार

अधीक्षण अभियंता, रांची सर्किल