- इंजीनियरिंग में एडमिशन को लेकर कम हो रहे रुझान को देखते हुए लिया निर्णय

- कोर्स की 50 से लेकर 83 परसेंट तक सीटों के सरेंडर की होगी अनुमति

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DEHRADUN: इंजीनियरिंग को लेकर युवाओं के घटते रुझान के कारण कम हो रहे एडमिशन से संस्थानों की स्थिति लगातार खराब हो रही है। उत्तराखंड की बात की जाए तो बीते कुछ सालों में यहां आधा दर्जन इंजीनियरिंग कॉलेज बंद हो चुके हैं। कई संस्थानों में विभिन्न कोर्स की ब्रांच बंदी की कगार पर हैं। लेकिन अब उन्हें इस समस्या से निपटने के लिए कुछ राहत मिलने जा रही है। ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने संस्थानों को जरूरत के हिसाब से कोर्स की सीटें कम करने की अनुमति दी है।

जरूरत के हिसाब से सरेंडर कर सकेंगे सीट

काउंसिल के फैसले के मुताबिक इंजीनियरिंग कॉलेज जरूरत के हिसाब से सीटें सरेंडर कर काउंसिल के मानकों के अनुसार स्टूडेंट और टीचर का रेश्यो मेंटेन कर सकेंगे। खास बात यह कि बेहतर स्थिति में आने पर कॉलेज को आवेदन करने पर दोबारा सरेंडर की हुई सीटें लौटा दी जाएंगी। कॉलेज को किसी भी कोर्स की भ्0 से लेकर 80 परसेंट तक सीटों के सरेंडर की अनुमति रहेगी।

इंजीनियरिंग कॉलेजों का बुरा हाल

उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी से जुड़े प्रदेश के अधिकतर इंजीनियरिंग कॅालेजों में छात्र संख्या लगातार घट रही है। आलम यह है कि कई कॉलेजों में ब्रांच बंदी की कगार पर हैं इतना ही नहीं कई कॉलेजों पर तो बीते साल ताले तक जड़े जा चुके हैं। मौजूदा हालातों पर गौर करें तो प्रदेशभर में इंजीनियरिंग की करीब साढ़े ग्यारह हजार सीटें हैं। इन सीटों पर बीते कई सालों से ख्0 से फ्0 प्रतिशत सीटों पर ही एडमिशन होते हैं। ऐसे में एआईसीटीई का नया नियम प्रदेश के कॉलेजों पर निश्चित रूप से राहत देने का काम करेगा।

ब् तक जमा होंगे मान्यता के लिए आवेदन

सेशन ख्0क्7-क्8 की मान्यता प्रक्रिया के लिए एआईसीटीई ने हैंडबुक भी जारी कर दी है। नए सेशन की मान्यता के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। संस्थान ब् फरवरी तक आवेदन कर सकेंगे। हालांकि इसके बाद 9 फरवरी तक लेट फीस के साथ भी आवेदन जमा किए जा सकेंगे।

ऐसे मिलेगी राहत

- एआईसीटीई द्वारा तय नियम के अनुसार यदि कॉलेज म्0 सीटों में से भ्0 परसेंट घटाने के लिए आवेदन करते हैं तो बाद में उनकी पूरी म्0 सीटें दोबारा से बहाल हो जाएगी।

- इसी तरह कॉलेजों के क्ख्0 सीटों में से भ्0 व 7भ् परसेंट, क्80 सीटों में से करीब 8फ्.00 परसेंट सीटें सरेंडर करने पर पूरी सीटें दोबारा से बहाल होगी।

- लेकिन, क्80 में से कॉलेज यदि म्म्.00 परसेंट सीटें कम करने के लिए आवेदन करते हैं तो उनकी म्म्.00 प्रतिशत सीटें ही बहाल हो सकेंगी।

- एआईसीटीई ने इंजीनियरिंग सहित अन्य प्रोफेशनल कोर्सेज की सीटों के खाली रहने की स्थिति को देखते हुए कॉलेजों को नेक्स्ट सेशन से यह सुविधा दी है।

संस्थानों की परेशानी को देखते हुए काउंसिल ने यह निर्णय लिया है। दरअसल देश के विभिन्न राज्यों से काउंसिल से इसे लेकर आग्रह किया जा रहा था। इस सुविधा से संस्थानों को ब्रांच आदि को लेकर असमंजस की स्थिति नहीं रहेगी। सरेंडर करने के बाद सीटें वापस लेने की भी सुविधा कॉलेजों को होगी। प्रदेश में कई कॉलेज ऐसे हैं जिन्हें इस फैसले से काफी राहत मिलेगा।

------ प्रो। प्रमोद कुमार, डायरेक्टर, तुलाज इंस्टीट्यूट