-कोरोना को हराने के लिए रेलवे की पूरी टीम मुस्तैद

-रेलवे वर्कशॉप में इंजीनियर्स ने प्रोटेक्शन इक्विपमेंट व मात्र 20 रुपए में तैयार किया फेस शिल्ड

-पूरे शरीर को कवर करने वाला पीपीई और हेलमेट की तरह फेस शील्ड से बचाएगा चेहरा

<-कोरोना को हराने के लिए रेलवे की पूरी टीम मुस्तैद

-रेलवे वर्कशॉप में इंजीनियर्स ने प्रोटेक्शन इक्विपमेंट व मात्र ख्0 रुपए में तैयार किया फेस शिल्ड

-पूरे शरीर को कवर करने वाला पीपीई और हेलमेट की तरह फेस शील्ड से बचाएगा चेहरा

GORAKHPUR:

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कोविड-क्9 को हराने के लिए डॉक्टर्स की पूरी टीम जहां दिन रात लगी हुई है, वहीं इंजीनियर्स भी पीछे नहीं हैं। रेलवे के इंजीनियर्स अपने कोरोना एपिडेमिक में जबरदस्त स्किल का परिचय दे रहे है। रेलवे इंजीनियर्स ने मार्केट में पीपीई किट की कमी को देखते हुए रेलवे वर्कशॉप में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट का उत्पादन शुरू कर दिया है। वहीं इंजीनियर्स ने महज ख्0 रुपए में कोरोना के संक्रमण से चेहरे को बचाने के लिए फेस शील्ड तैयार किया है। जबकि मार्केट में इसकी कीमत ख्00 से ख्भ्0 रुपए है। पीपीई किट जहां पूरे शरीर को कवर करने वाला है तो वहीं दूसरी ओर हेलमेट जैसा दिखने वाला फेस शील्ड तैयार किया गया है। जो कि कोरोना वायरस संक्रमण से बचाता है। ऐसे में पीपीई किट, मॉस्क और फेस शील्ड रेलवे के हॉस्पिटल में तैनात डॉक्टर्स, नर्सिग स्टाफ व सफाई कर्मियों के लिए काफी कारगर साबित हो रहा है। रेलवे वर्कशॉप पहले अपने रेल इंप्लाईज को यह इक्विपमेंट सप्लाई करेगा, उसके बाद अगर डिमांड होगी तो इसे बाहर के हॉस्पिटल्स और डॉक्टर्स को भी सप्लाई करेगा।

वर्कशॉप के ट्रिमिंग शॉप में बनाए जा रहे पीपीई

रेलवे वर्कशॉप के ट्रिमिंग शॉप में बनाए जा रहे पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) रेलवे हॉस्पिटल में भेजे जाएंगे। डॉक्टर्स व पैरामेडिकल स्टाफ इन पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट का उपयोग कोरोना से बचाव एवं उपचार के लिए करेंगे। अभी तक कुल ख्भ्0 पीपीई बनाए गए हैं। हर दिन लगभग 80 पीपीई का उत्पादन किया जा रहा है।

रेलवे हॉस्पिटल में कोरोना से बचाव एवं इलाज के लिए क्वारंटाइन वार्ड में ख्00 बेड है। वहीं वर्कशॉप में निर्मित क्8 सौ फेस मॉस्क, क्00 फेस शील्ड और 70 गाऊन हॉस्पिटल में उपलब्ध कराए जा चुके हैं।

एक दिन में 80 पीपीई व म्0 फेस शील्ड

इस पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट व फेस शील्ड को तैयार करने में भले प्राइवेट कंपनियों को कई घंटे लगते हों लेकिन रेलवे के इंजीनियर्स इसे महज कुछ ही घंटों में तैयार कर देते हैं। ये इंजीनियर्स एक दिन में करीब 80 पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट व म्0 फेस शील्ड आसानी से निर्मित कर रहे हैं।

शरीर और चेहरे नहीं हो इंफेक्टेड

रेलवे एक्सपर्ट के मुताबिक वर्कशॉप में बना पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट और फेस शील्ड पूरी तरह से सेफ और हाईजेनिक है। पीपीई शरीर और फेस शील्ड चेहरे को इफेक्टेड नहीं होने देता है। यह पूरे शरीर को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए कारगर है।

वर्कशॉप में ख्भ्0 पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट और क्00 शील्ड तैयार हो चुके हैं। जिसे रेलवे में तैनात डॉक्टर्स व इंप्लाईज को बांटा जा रहा है। एनईआर के सभी डिवीजन में इसकी सप्लाई की जानी है। कोचेज में बने आइसोलेशन वार्ड में तैनात होने वाले डॉक्टर्स, नर्सिग स्टाफ सहित इंप्लाईज के लिए भी यह इक्विपमेंट तैयार किए जा रहे हैं। इसके अलावा रेलवे के बाहर से भी अगर डिमांड आती है तो उसकी सप्लाई भी होगी।

वर्जन

रेलवे के इंजीनियर्स खास तरह के पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट और फेस शील्ड का निर्माण कर रहे है। जो डिपार्टमेंट के डॉक्टर्स, नर्सिग स्टाफ, सफाई कार्य में लगे इंप्लाईज के लिए उपयोगी है। यदि अन्य डिपार्टमेंट से डिमांड आती है तो वहां भी सप्लाई किया जाएगा।

पंकज सिंह, सीपीआरओ एनईआर जोन

-वर्कशॉप में तैयार पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट पीपीई--ख्भ्0

-हर दिन उत्पादन करने का टारगेट--80

-फेस शील्ड-- क्00

-वर्कशॉप में निर्मित फेस मॉस्क--क्8000

-निर्मित गाऊन--70

-हॉस्पिटल में क्वारंटाइन वार्ड-ख्00

-इक्विपमेंट शरीर और चेहरे को संक्रमण से करेगा सुरक्षित

-डॉक्टर्स, नर्सिग स्टाफ व सफाई कर्मियों के लिए उपयोगी