- लोको पायलट के लिए लगाए गए हैं एयरकंडीशन

- फ्रेश होने के लिए नहीं करना होगा ट्रेन रुकने का इंतजार

- इंडियन रेलवे ने परचेज किए हैं 50 इंजन

GORAKHPUR: रेलवे जहां पैसेंजर्स की सुविधाओं का ख्याल रख रहा है, वहीं अपने एंप्लॉइज पर भी उसका अब पूरा ध्यान है. पैसेंजर्स की सुविधा के लिए जहां स्पेशल स्टैंडर्ड के एलएचबी कोच लगाए गए हैं, तो वहीं रेलवे स्टेशन पर भी लगातार सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं. इन सबके बीच अब अपनी ट्रेन के 'खेवनहार' यानि कि लोको पायलट्स की सुविधाओं पर भी रेलवे ने ध्यान देना शुरू कर दिया है. रेलवे की ओर से गुड्स ट्रेन के लिए डेवलप की जा रही फ्रेट कॉरिडोर पर अब एयरकंडीशन के साथ बायो टॉयलेट युक्त इंजन चलाने की तैयारी की गई है. इसके तहत पहले फेज में इंडियन रेलवे ने 50 इंजन मंगवाए हैं, जिसमें से एनई रेलवे को भी एक इंजन मिला है.

लू के थपेड़ों से मिलेगी राहत

रेलो ने लोको पायलट्स के लिए खास यूएस के इंजन बनवाए हैं. इनकी खासियत यह है कि इनमें एयरकंडीशन केबिन बने हैं. इससे शदीद गर्मी के सीजन में लोको पायलट्स को लू के थपेड़ों से आजादी नहीं मिलेगी, तो वहीं इंजन पैक होने की वजह से धूल और दूसरे कणों से निजात मिलेगी. वहीं पैसेंजर्स को डीजल इंजन से होने वाली तपिश भी परेशान नहीं करेगी.

टॉयलेट के लिए स्टेशन का इंतजार नहीं

रेलवे ट्रैक पर दौड़ने वाले नए सीरीज के यह इंजन जहां गर्मी से राहत देने के लिए फायदेमंद हैं, तो वहीं इनमें बैठने वाले लोको पायलट्स को फ्रेश होने के लिए अगले स्टेशन का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. अगर वह किसी जगह रुके हुए हैं, तो वहीं पर ट्रेन में ही फ्रेश हो सकेंगे. खास बात यह कि अगर ट्रेन रुकी हुई है और ड्राइवर ने टॉयलेट को अंदर से बंद किया है, तो ट्रेन में ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएगा, जिससे कि ट्रेन आगे नहीं बढ़ेगी.

सिर्फ गुड्स ट्रेन के लिए होगा इस्तेमाल

पहले फेज में मंगवाए गए इंजन का सिर्फ गुड्स ट्रेन में इस्तेमाल किया जाएगा. यह मालगाडि़यों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाएंगे. इसमें पहले फेज में गुड्स ट्रेन चुनने के पीछे वजह यही है कि अक्सर यह बीच में कहीं रोक दी जाती हैं और घंटों वहीं खड़ी रहती हैं. अगर इस दौरान ड्राइवर को फ्रेश होना है, तो उसे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. मगर इस इंजन के इस्तेमाल से यह मुश्किल दूर हो जाएगी. नेक्स्ट फेज में इसे पैसेंजर्स ट्रेन में भी लगाने की प्लानिंग है. इसकी अहम वजह पैसेंजर ट्रेन में फीमेल लोको पायलट हैं, जिनके लिए इसकी तैयारी की जा रही है.

वर्जन

रेलवे में अब 50 एसी युक्त इंजन आए हैं, जिसमें पहली बार टॉयलेट की सुविधा भी दी गई है. इन इंजन के जरिए लोको पायलट्स को रास्ते में मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा. फ‌र्स्ट फेज में यह सिर्फ गुड्स ट्रेन के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे.

सीपी चौहान, पीआरओ, एनई रेलवे