-डीएम ने प्रेस कांफ्रेंस कर जाली शस्त्र लाइसेंस का किया खुलासा, जांच अब भी जारी

-21 दिन की जांच में खुला राज, कई और होंगे अभी गिरफ्तार

GORAKHPUR: फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में डीएम ने शुक्रवार को बड़ा खुलासा किया है। डीएम ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि शस्त्र लाइसेंस विभाग में तैनात दो बाबू और एक कंप्यूटर ऑपरेटर की मदद से फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनाने का मामला जांच में सही पाया गया है। यहीं नहीं शस्त्र लाइसेंस के ऑनलाइन डाटा को इन बाबूओं व कंप्यूटर आपरेटर की मदद से फर्जी शस्त्र लाइसेंस के गैंग तक पहुंचाया गया। उधर, गैंग ने भी एलिस व एनीडेस्क एप के जरिए सभी शस्त्र लाइसेंस का डाटा हैक किया है। जिसकी पुष्टि फोरेंसिक टीम की जांच में हुई है।

डीएम ने बताया कि अवैध शस्त्र लाइसेंस के मामले में शस्त्र विभाग के वर्तमान बाबू राम सिंह, पूर्व बाबू अशोक गुप्ता व कंप्यूटर ऑपरेटर अजय गिरी समेत कुल गैंग के दस लोगों को अरेस्ट कर जेल भेज ि1दया गया है।

सर्वर में करते थे खेल

डीएम ने बताया कि 2015 के बाद से ही शस्त्र लाइसेंस ऑनलाइन हो चुके हैं। गोरखपुर में 22 हजार शस्त्र लाइसेंस हैं। ऑनलाइन डाटा की फीडिंग की जिम्मेदारी कंप्यूटर ऑपरेटर की थी। इसके पास यूजर नेम, पासवर्ड था। लेकिन ऑपरेटर और गैंग के सदस्य पकड़े गए बाबूओं की मदद से एलिस व एनीडेस्क सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सर्वर को एक्सेस कर रहे थे। पूरा सर्वर एनआईसी पर डिपेंड था। इन लोगों के पास से छह अवैध असलहे भी बरामद किए गए हैं। एक कंप्यूटर जब्त किया गया है। इसमें सारे साफ्टवेयर थे, जिसके तहत ये लोग लाइसेंस बनाने के साथ-साथ उसकी यूनिक आईडी भी असली तरह से बना लेते थे। इन दोनों बाबूओं ने पासवर्ड साझा किया।

तीन साै मेल एक्सेस

डीएम ने बताया कि रवि गन हाउस संचालक दूसरे गन हाउस का गन खरीदकर बिना रिकार्ड मेंटेन कर उसे फर्जी ढंग से बेच देता था। कुल 300 मेल एक्सेज हुआ है। 4000 डाटा डिलीट किया गया है। पेन ड्राइव का इस्तेमाल किया गया था। डीएम ने बताया कि अभी और लोगों से पूछताछ की जा रही है। कुछ और गिरफ्तारियां होंगी। उन्होंने बताया कि अभी इस प्रकरण में विस्तृत रिपोर्ट आनी है। एसआईटी जांच कर रही है।

एफबी के पोस्ट से पकड़ में आया मामला

एक माह पहले सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति ने शस्त्र लाइसेंस का फोटो शेयर किया था। इस फोटो के शेयर होने के बाद सारा बवाल मच गया। शस्त्र लाइसेंस के फर्जी होने के शक पर किसी ने प्रशासनिक अधिकारियों तक यह सूचना दे दी। डीएम के विजयेंद्र पांडियन ने पूरे मामले की विधिवत जांच पड़ताल कराई।

और होंगी गिरफ्तारियां

गोरखपुर में बढ़ते असलहे के शौक ने फर्जीवाड़ा को एक स्मार्ट धंधा बना दिया था। हालांकि, फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनवाने और अवैध असलहा को बेचने के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश हो चुका है। लेकिन अजय श्रीवास्तव समेत तमाम नाम अभी सामने आने बाकी हैं। डीएम ने बताया कि सीएम के निर्देश पर यह जांच हो रही थी। आरोपियों पर रासूका लगाया जाएगा।

प्राइवेट कर्मचारियों का होगा वेरिफिकेशन

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर के सवाल अगर प्राइवेट कंप्यूटर आपरेटर था तो उसपर नजर क्यों नहीं रखी गई के जवाब में डीएम ने बताया कि इस घटना से सबक लेते हुए बाकी के विभागों में जितने भी प्राइवेट इंप्लाई उनको वेरिफाई कराया जाएगा। लॉगिन और पासवर्ड समेत अन्य महत्वपूर्ण डाक्यूमेंट्स पर पूरी तरह से पैनी नजर रखी जाएगी।

संपत्ति की होगी जांच

डीएम ने बताया कि पकड़े गए बाबू राम सिंह, पूर्व बाबू अशोक गुप्ता व अजय गिरी की संपत्ति की जांच होगी। इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी। संपत्ति की जांच कर कुर्क कराया जाएगा।

21 दिन से चल रही थी जांच

14 अगस्त को फर्जी शस्त्र लाइसेंस का मामला प्रकाश में आने के बाद से ही दो स्तरों पर जांच हो रही थी। एक तरफ डीएम की अध्यक्षता में एडीएम सिटी, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट व सिटी मजिस्ट्रेट की टीम जांच कर रही थी। दूसरी तरफ, एसएसपी डॉ। सुनील गुप्ता के निर्देश पर पुलिस धरपकड़ में जुटी थी।

10 हो चुके हैं अरेस्ट

डीएम के विजयेंद्र पांडियन ने एसएसपी डॉ। सुनील गुप्ता के साथ बताया कि फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनाने वाले गिरोह के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 120 बी के तहत केस दर्ज कर लिया गया है। 10 लोग इस मामले में अरेस्ट किए गए हैं। इनमें पूर्व शस्त्र लिपिक अशोक कुमार गुप्ता, वर्तमान शस्त्र लिपिक राम सिंह व प्राइवेट कंप्यूटर बाबू अजय कुमार गिरी को 5 सितंबर को पुलिस ने अरेस्ट किया है। जबकि, सात अन्य लोग पहले ही अरेस्ट हो चुके हैं।