-एक्स-रे रिपोर्ट के लिए नहीं मिल रहा मरीजों को लिफाफा

-हाथ में रिपोर्ट लेकर घूमने से खराब हो रहा है एक्सरे कार्ड

-हर दिन आते हैं दोनों हॉस्पिटल्स में 500 से अधिक मरीज

RANCHI : रिम्स और सदर हॉस्पिटल में इन दिनों अकाल पड़ा है। यह अकाल पानी का नहीं बल्कि मरीजों को रिपोर्ट देने वाले लिफाफे का है। जी हां, हम बात कर रहे हैं सिटी के दो बड़े सरकारी हॉस्पिटल्स की, जहां मरीजों को बिना लिफाफे के हाथों में एक्सरे रिपोर्ट थमा दी जा रही है। नतीजन, इसमें धूल-मिट्टी लग रही है और एक्सरे कार्ड खराब हो रहा है। इतना ही नहीं, एक्सरे रिपोर्ट खराब होने से मरीजों को दोबारा एक्सरे भी कराना पड़ रहा है। इसके बावजूद प्रबंधन का इस ओर ध्यान नहीं है। बताते चलें कि नई मशीनें और सामान खरीदने के लिए हॉस्पिटल मैनेजमेंट के पास फंड है, लेकिन लिफाफा खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं।

हाथ में थमा रहे एक्सरे रिपोर्ट

दोनों ही हॉस्पिटलों में हर दिन 500 से अधिक मरीज एक्सरे कराने आते हैं। इसके बाद उनकी रिपोर्ट को टेबल पर सामने रख दिया जाता है। रिम्स में तो कागज की पर्ची लगाकर एक्सरे रखी जाती है। वहीं सदर में तो एक्सरे के बाद प्लेट निकालकर हाथ में थमा दिया जाता है। ऐसे में रिपोर्ट मिसप्लेस होने के साथ ही गड़बड़ होने का भी डर होता है। इसके अलावा खुले में रखने से रिपोर्ट खराब हो जाती है।

लिफाफा खरीदने को पैसे नहीं

सिटी के दोनों ही हॉस्पिटल में काफी संख्या में मरीज आते हैं। ऐसे में उन्हें बेहतर इलाज मुहैया कराने को लेकर प्रबंधन बड़ी-बड़ी मशीनें खरीद रहा है। इसमें लाखों-करोड़ों खर्च किए जाते हैं। इसमें कुछ वैसी भी मशीनें है जिसका तत्काल मरीजों को लाभ नहीं मिलने वाला। इसके बावजूद मशीनें खरीद ली जाती हैं। लेकिन मरीजों को रिपोर्ट देने के लिए लिफाफा खरीदने के पैसे नहीं है।

दोबारा एक्स-रे कराने में कट रही जेब

बिना लिफाफे के एक्सरे रिपोर्ट मिल तो जाती है। लेकिन उसका सही से रख-रखाव नहीं हो पाता। इस चक्कर में जब मरीज डॉक्टर से दिखाने दोबारा आते हैं तबतक उनकी रिपोर्ट खराब हो चुकी होती है। स्थिति यह कि देखने से भी कुछ पता नहीं चल पाता। इस चक्कर में मरीजों को दोबारा एक्सरे कराना पड़ता है। इससे उनकी जेब पर तो बोझ बढ़ता ही है वहीं परेशानी होती है सो अलग।