रुटीन करे प्लान

सबसे पहले आपको अपने रुटीन को फिर से कंसीडर करना होगा। रुटीन में उठने के टाइम और सोने के टाइम से लेकर खेलने और रिफ्रेश होने का टाइम भी शामिल करें। रुटीन बनाते समय इन बातों का खास ध्यान रखें-

- आपका बनाया रुटीन ना तो बहुत टफ होना चाहिए और न ही बहुत आसान। आपको किस सब्जेक्ट में कैसे प्रिपरेशन करनी है और कितना टाइम देना है, सबसे पहले यह डिसाइड करें और उसी के बेसिस पर नया रुटीन बनाएं।  

- जो सब्जेक्ट आप पढ़ रहे हों, उसमें यह जरूर देख लें कि कितना पढऩा बाकी है। आपको उन सब्जेक्ट्स पर ज्यादा वर्कआउट करना है, जिसमें आप कमजोर हैं। ऐसे में अपने रुटीन में उन सब्जेक्ट्स के लिए टाइम ज्यादा निर्धारित करें।

- अगर आप किसी सब्जेक्ट में कमजोर हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है। आप कई सब्जेक्ट्स में मजबूत भी होंगे इसलिए निराश होने के बजाय जितना पहले पढ़ा है, उसका रिवीजन करें।

- किसी नए चैप्टर की शुरुआत करना इस समय जोखिम भरा हो सकता है इसलिए सभी बचे हुए नए चैप्टर्स को रुटीन में शामिल करने की जरूरत नहीं है।

- आपकी हेल्थ भी अच्छी रहनी चाहिए। आपको अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना होगा। कुछ भी ऐसा ना खाएं, जिससे आपकी हेल्थ पर बुरा प्रभाव पड़े। बैलेंस्ड डाइट लें, नींद अच्छी लें साथ ही पानी खूब पिएं।

- अगर आपकी रात को देर तक जागने की आदत नहीं है, तो रात में जबर्दस्ती जागकर पढऩे की कोई जरूरत नहीं है।

बनाए हुए प्लान को फोलो करे

अब जब आपने नया रुटीन बना लिया है, तो उस स्टै्रटजी को फॉलो भी करें। आपने अपने सब्जेक्ट्स के लिए जो टाइम टेबल बनाया है, उसी के आधार पर उनकी प्रिपरेशन भी करें। याद रखें, असफलता का सबसे बड़ा कारण है, बनाए गए प्लान को फॉलो न करना। हमें चाहिए कि हम जो भी रिजॉल्यूशन लें, उस पर स्टिक रहें। प्लान बनाने के बाद अगर आपने उसे फॉलो करने में ढील दी तो स्पेसिफिक टाइम में प्रिपरेशन पूरी नहीं कर पाएंगे।

वीक सब्जेक्ट्स पर ध्यान दे

आपको इस बारे में ईमानदारी बरतनी होगी कि आप किन सब्जेक्ट्स में  स्ट्रॉन्ग हैं और किन सब्जेक्ट्स में वीक। तभी आप उनपर प्रॉपर्ली वर्कआउट कर पाएंगे। आपने एक कहावत तो सुनी ही होगी कि प्रैक्टिस मेक्स अ मैन परफेक्ट। इस कहावत को फॉलो करें और वीक सब्जेक्ट्स की तब तक प्रैक्टिस करें, जब तक वह आपके स्ट्रॉन्ग सब्जेक्ट्स में कन्वर्ट न हो जाए।

रोज रिवाइज करे

आपने जो कुछ भी पढ़ा है, उसे रिवाइज करें क्योंकि स्टूडेंट्स अक्सर जो पढ़ते हैं, उस पर ध्यान न देकर नई चीजों पर ध्यान दने लगते हैं, जिससे उन्हें कन्फ्यूजन तो होता ही है साथ ही पहले पढ़ा हुआ भी दिमाग से उतर जाता है। इससे बचने के लिए अपने डेली रुटीन में रिवीजन को जरूर शामिल करें।

सब्जेक्ट्स से रिलेटेड प्रॉब्लम तुरन्त सॉल्व करे

अगर स्टूडेंट्स को किसी भी सब्जेक्ट में प्रॉब्लम है, तो उन्हें सब्जेक्ट टीचर से तुरंत उसका सॉल्यूशन पूछना चाहिए क्योंकि आप जितना टाइम किल करेंगे आपको उतना ही नुकसान होगा। आप चाहें तो ग्रुप स्टडी भी कर सकते हैं। इससे भी आपकी क्वेरीज सॉल्व होंगी और कॉन्फिडेंस लेवल भी बढ़ेगा।

कुछ टिप्स जिन्हें करे फोलो

- अगर आपके पास समय है  तो अपना कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए मोटीवेशनल बुक्स की हेल्प लें।

- यूनिट टेस्ट्स और होम एग्जाम में पूछे गए क्वेश्चन्स को डेली रिवाइज करें ताकि एग्जाम टाइम में एक्स्ट्रा स्ट्रेस न हो।

- हर टॉपिक को प्रिपरेशन के बाद 2 या 3 बार रिवाइज करें। इससे टॉपिक पर आपकी अच्छी पकड़ बन जाएगी।

- इंपॉर्टेंट चैप्टर्स पर पहले फोकस करें।

- एग्जाम टाइम से पहले पूरा सिलेबस कवर कर लें और फिर ध्यान से पढें़। इस दौरान नए टॉपिक्स याद न करें क्योंकि इससे टाइम भी वेस्ट होगा और यदि आप भूल गए तो कन्फ्यूजन बढ़ेगा।

- अगर आपने पूरा सिलेबस कंप्लीट नहीं किया है, तो  उन टॉपिक्स को रिवाइज करें, जिन्हें आप पहले प्रिपेयर कर चुके हैं।

- एग्जाम देने जाने से पहले स्ट्रेस घर पर ही छोड़ दीजिए और बिल्कुल फ्रेश माइंड से एग्जाम दीजिए। अगर आप तनाव में रहेंगे, तो आपकी परफॉर्मेंस पर फर्क पड़ेगा।

घर पर ले मॉक टेस्ट

टाइम की कमी को देखते हुए अब स्टूडेंट्स को घर पर मॉक टेस्ट लेने चाहिए। इसके अलावा प्रिपरेशन के लिए कोर्स बुक यानी एनसीईआरटी की बुक्स ही पढ़ें। एक्स्ट्रा बुक्स पढऩे की जरूरत नहीं है। इसके अलावा घर पर आन्सर्स लिखने की खूब प्रैक्टिस करें। इससे आपको कई मामलों में आसानी होगी। जैसे-

- उस सब्जेक्ट की प्रैक्टिस अच्छी तरह हो जाएगी।

- आपको पता चलेगा कि निर्धारित समय में आप पेपर को सॉल्व कर पा रहे हैं या नहीं।

- आपको एग्जाम प्रेशर फेस करना आएगा क्योंकि ज्यादातर स्टूडेंट्स एग्जाम हॉल में जाते ही नर्वस होने की वजह से आते हुए सवाल भी गलत कर देते हैं।

- राइटिंग स्पीड अच्छी होने के साथ-साथ आपकी राइटिंग भी अच्छी होनी चाहिए। अच्छी राइटिंग का मतलब राइटिंग समझ आनी चाहिए क्योंकि अगर राइटिंग अच्छी न हुई तो मैटर कितना भी एफेक्टिव हो माक्र्स कम होने के चांसेस रहते हैं।

- आप इंटरनेट की भी हेल्प ले सकते हैं। इसके माध्यम से आप प्रिपरेशन टिप्स ले सकते हैं। ये टिप्स एग्जाम में आपके काफी काम आ सकते हैं।

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