-शाश्वत पंडित ने संगीत को दिया अनोखा अंदाज

-साइंस छोड़ संगीत को बनाया अपना करियर

-बिना किसी इंस्ट्रूमेंट देते हैं एक अलग संगीत

DEHRADUN : संगीत की दीवानगी हो तो कुछ भी मुमकिन है। सिटी के शाश्वत पंडित ने ऐसा ही कुछ अनोखा कर दिखाया है। शाश्वत ने अपने गीतों को एक नया अंदाज दिया है। इस नए अंदाज में संगीत तो बेहद सुरीला है, लेकिन साज नहीं है। शाश्वत ने अपने गले और दिल की धड़कन से बेस और ड्रम और नाक से शहनाई के सुरों को अपने गीत में पिरोकर एक नया अंदाज दिया है। खास बात यह कि संगीत की शिक्षा के लिए वह यू-ट्यूब को अपना गुरु मानते हैं।

साइंस छोड़ म्यूजिक अपनाया

मोहब्बत कोई बंधन नहीं देखती। शायद सही वजह थी कि साइंस स्ट्रीम का स्टूडेंट होने के बावजूद शाश्वत ने म्यूजिक को अपना करियर बना दिया। देवप्रयाग के रहने वाले शाश्वत पंडित ने श्रीनगर बिड़ला कैंपस से एमएससी बायोटेक्नोलॉजी का कोर्स किया है। इसके अलावा एमफिल करने के बाद वह दून इंटरनेशनल स्कूल में बतौर वेस्टर्न म्यूजिक टीचर बच्चों को सुरों के उतार चढ़ाव सिखा रहे हैं। वजह साफ है, संगीत के लिए दीवानगी ने उन्हें साइंस से ज्यादा म्यूजिक प्यारा लगा।

कॉलेज में नहीं मिला मौका

शाश्वत का कहना है कि संगीत के लिए दीवानगी तो पहले से थी। नाक, मुंह से अजीब आवाजें निकलने का शौक था। इस शौक की वजह से कई बार पेरेंट्स और रिलेटिव्स से डांट भी पड़ती थी। लोग हंसते थे। उन्होंने बताया कि कैंपस के कल्चरल प्रोग्राम से भी यह कहकर निकाल दिया गया कि म्यूजिक की सेंस नहीं है। तभी से सोचा कि म्यूजिक को एक अलग अंदाज में आगे लेकर जाना है, ताकि लोग इस अंदाज को याद रखे। लास्ट ईयर मैंने अपने कॉलेज में स्टेज शो किया, जहां मेरे गीतों और स्टाइल को सभी ने खूब सराहा।

फ्भ्0 से ज्यादा शोज किए

अभी तक इंडिया के हर कोने में स्टेज शोज कर चुके हैं। शाश्वत ने बताया कि अभी तक लगभग फ्भ्0 स्टेज शोज कर चुके हैं, लेकिन मन में कुछ अलग करने की तमन्ना थी। इसलिए बीटलेस सॉग्न्स कंपोज करने का आइडिया मन में आया। ऐसा नहीं है कि इस तरह के आइडियाज पर काम पहली बार हुआ है, लेकिन ऐसे काम में पूरे बैंड्स ने काम किया है। किसी सिंगल पर्सन द्वारा ऐसा एक्स्पेरिमेंट इंडिया में पहली बार ुआ है।

अनुमलिक से मिला स्टेंडिंग ऑवेशन

पिछले साल शाश्वत ने दिल्ली ऑडिशंस के दौरान टॉप फ्0 में भी जगह बनाई। उस दौरान अनुमलिक ने गुरु के बारे में पूछा तो यू-ट्यूब को अपना गुरु बताया था। यू-ट्यूब से इस लेवल की संगीत की समझ को देखते हुए जज अनु मलिक और सलीम ने शाश्वत को स्टेंडिंग ओवेशन देते हुए उनकी कला को सराहा था।

लोक गीतों को देना है मुकाम

अपने इस अंदाज और संगीत की समझ से शाश्वत स्टेट के लोक गीतों को एक अलग पहचान देना चाहते हैं। उनका मानना है कि स्टेट के लोक गीतों को एक बेहतर सांचे में ढाला जा सकता है। फ्यूचर में इसी को लेकर कुछ करने की चाह है, लेकिन फाइनेंशियली स्ट्रॉन्ग न होने के कारण अभी इसमें थोड़ा वक्त जरूर लग सकता है। इसके बावजूद भी इसी करियर को एक बेहतर रूप देना पहला और आखिरी मकसद रहेगा।

कॉलेज में परफॉर्म नहीं करने दिया तो सोचा कुछ अलग करना है। दो साल बाद कॉलेज में स्टेज परफॉर्मेस दी तो यह देखकर सुकून मिला कि जिन्होंने मुझे कॉलेज टाइम में एंट्री नहीं दी उन्होंने तालियों से मेरे हुनर का वेलकम दिया। मेरा सपना है कि पहाड़ के लोक गीतों को एक अलग टच दूं, ताकि वह सिर्फ डीजे तक सीमित न रहें बल्कि लोगों उसे हेड फोन्स लगाकर सुने।

- शाश्वत पंडित, सिंगर एंड कंपोजर