- प्रदेश स्तर पर एथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रयास हुए तेज

- कार्बन मोनोआक्साइड और सल्फर डाई आक्साइड जैसे प्रदूषक तत्वों को एथेनॉल करता है कंट्रोल

PATNA : पटनाइट्स को अब पॉल्यूशन से राहत देगा एथेनॉल। जल्द ही पेट्रोल से चलने वाली गाडि़यों में एथेनॉल का इस्तेमाल होने लगेगा जिससे पॉल्यूशन काफी हद तक कम हो सकेगा। पटना देश के टॉप प्रदूषित शहरों में से एक है। पिछले एक महीने में पटना का पॉल्यूशन लेवल औसतन 350 से अधिक रहा है जो काफी घातक है। अस्पतालों में सांस से जुड़े मरीजों के दिन-प्रतिदिन बढ़ते आंकड़े चिंताजनक हैं। एक्सपर्ट की राय में ऐसे में पॉल्यूशन को कम करने के लिए ईधन के तौर पर एथेनॉल का यह प्रयोग काफी कारगर होगा।

बिहार स्टेट पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार पटना में कुल प्रदूषण का करीब 20 से 22 प्रतिशत हिस्सा वाहनों के निकलने वाले धुएं से हो रहा है। यह किसी भी अन्य प्रदूषण के कारणों से ज्यादा है। इसे ध्यान में रखते हुए अब एथेनॉल प्रोडक्शन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसे पेट्रोल के साथ बतौर ईधन प्रयोग किया जाएगा। इसके लिए स्थानीय चीनी मिलों के साथ अन्य राज्यों की कंपनियों को भी निवेश के लिए आमंत्रित किया जा रहा है।

10 प्रतिशत तक मिलाने की है अनुमति

भारत सरकार की यह पॉलिसी थी कि पेट्रोल में पांच प्रतिशत एथेनॉल मिलाना है। हाल ही में इसमें संशोधन कर दिया गया है और अब दस प्रतिशत तक मिलाने की अनुमति है। प्रदूषण को कम करने की सोच के साथ यह निर्णय लिया गया है। फिलहाल बिहार एथेनॉल का बड़ा उत्पादक नहीं है लेकिन आने वाले दिनों में बिहार को एक बडे़ उत्पादक के तौर पर प्रस्तुत करने की कवायद तेज हो रही है।

यह है वर्तमान स्थिति

फिलहाल बिहार में दो उत्पादक हैं, जो एथेनॉल बना रहे हैं। पहले ऐसे यूनिट की स्थापना शराब बनाने के लिए की गई थी। लेकिन शराबबंदी के बाद से मात्र एथेनॉल ही बनाया जा रहा है। पॉल्यूशन कम करने की इस कोशिश में राज्य में एथेनॉल यूनिट लगाने में कारोबारी रुचि ले रहे हैं। शराबबंदी के बाद चीनी मिलें छोआ से एथेनॉल का उत्पादन पहले ही शुरु कर दिया था। अब बड़ा बदलाव यह है कि जिन चीनी मिलों में पहले से एथेनॉल का उत्पादन नहीं होता था अब वे भी एथेनॉल का यूनिट लगाने के लिए राज्य सरकार के पास आवेदन कर रहे हैं।

क्या है एथेनॉल

एथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाडि़यों में बतौर फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। यह मुख्य रुप से गन्ने से उत्पादन किया जाता है लेकिन इसे शर्करा वाली कई अन्य फसलों जैसे मक्का से भी उत्पादन किया जा सकता है। भारत में ऐसे फसलों की अब तक कभी कमी नहीं रही है। इसके कारण भारत में पर्यावरण प्रदूषण को कम करने की अपार संभावना है।

सीएनजी में तब्दील होंगी सिटी बसें

पटना की सड़कों पर चल रही परिवहन निगम की सभी सिटी बसों को सीएनजी में तब्दील किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले 20 बसों को सीएनजी में तब्दील किया जा रहा है।

बिहार राज्य पथ परिवहन निगम ने इस साल अगस्त में ही बसों को सीएनजी में बदलने के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू की थी। इस माह के अंत तक बसों को सीएनजी में तब्दील करने का काम शुरू होने की उम्मीद है। पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 20 बसों को सीएनजी में बदला जाएगा। परिवहन निगम के अधिकारियों के मुताबिक एक बस को सीएनजी में तब्दील करने में तकरीबन 4 लाख खर्च होंगे यानी कुल करीब 5 करोड़ खर्च होने की उम्मीद है। सीएनजी के लिए पटना के फुलवारीशरीफ डिपो में एक सीएनजी स्टेशन खुलेगा। जो बसें जर्जर हैं यानी काफी पुरानी हो चुकी हैं उन्हें सीएनजी में कन्वर्ट नहीं किया जाएगा।