- कैंपस की लॉन्ड्री में कपड़ों की धुलाई के लिए ईटीपी से ट्रीटेड पानी की होने लगी सप्लाई

- गंदे पानी को दोबारा यूज के लिए ईटीपी का भेजा गया था प्रस्ताव, एसटीपी मिलने पर ट्रेंस की भी होने लगेगी धुलाई

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VARANASI

कैंट स्टेशन पर पानी की बर्बादी रोकने के लिए खास इंतजाम किया जा रहा है। इसके तहत कैंपस में इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) व सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का प्लान है। हालांकि कैंपस में ईटीपी बनकर तैयार भी हो गया है। जिससे स्टेशन का गंदा पानी साफ कर उसे फिर से उपयोग किया जाने लगा है। इससे पानी की बर्बादी पर कुछ हद तक रोक लगी है। स्टेशन पर वाशिंग लाइन और लांड्री में नौ लाख रुपये से यह प्लांट लगाने के लिए पैसा सैंक्शन हुआ था। जिसमें लांड्री में यह प्लांट लग चुका है। जिससे बेडरोल धुलने लगा है। अब वाशिंग लाइन में ट्रेंस के धुलने की बारी है। बता दें कि कैंपस में 11.50 लाख लीटर पानी डेली कंज्यूम होता है। इसमें लगभग सात लाख लीटर पानी नाले में बह जाता है।

20 हजार लीटर हो रहा ट्रीट

कैंट स्टेशन पर वाशिंग लाइन में ट्रेनों की धुलाई पर डेली औसतन 60 हजार लीटर पानी खर्च होता है। अभी साफ पानी से यह धुलाई हो रही है। यह पानी ट्रेन की धुलाई के बाद नाले में बह जा रहा है। वहीं लॉन्ड्री में बेडरोल की धुलाई पर प्रतिदिन औसतन 26 हजार लीटर पानी खर्च होता है। जिसमें से 20 हजार पानी ईटीपी के थ्रू ट्रीट होकर लांड्री में फिर से पहुंच जा रहा है जिससे बेडशीट, कंबल, टॉवेल और पिलो की धुलाई में यूज हो रहा है। वहीं परिसर से निकलने वाले गंदे पानी को दोबारा यूज के लिए स्टेशन एडमिनिस्ट्रेशन नया प्लांट लगाने में जुटा है।

मीटर बता रहा पानी का लेवल

स्टेशन कैंपस में पानी की बर्बादी रोकने के लिए ऑफिसर्स ने उत्तर रेलवे हेड क्वार्टर को ईटीपी व एसटीपी का प्रस्ताव भेजा था। ईटीपी का प्रस्ताव स्वीकृत होने के बाद सबसे पहले लॉन्ड्री में प्लांट लगाया गया है। खास बात यह कि ईटीपी में लगा मीटर यह बताने में सक्षम है कि कितना किलो लीटर पानी एक दिन में शोधित किया गया है। यही नहीं ईटीपी में ट्रीटेड पानी का कई बार धुलाई में इस्तेमाल भी किया जा रहा है। ऑफिसर्स के मुताबिक पानी की रिसाइकिलिंग से भूगर्भ जल का भी लेवल नीचे खिसकने से रोकने में मदद मिलेगी।

अब एसटीपी की बारी

स्टेशन कैंपस और कॉलोनियों से निकलने वाले पानी व सीवेज जल को शोधित करने के लिए एसटीपी का भी प्रस्ताव हेड ऑफिस को भेजा गया है। वर्तमान में कैंपस के विभिन्न एरिया में 11 लाख 50 हजार लीटर पानी यूज हो रहा है। जिसमें से 04.50 लाख लीटर विभिन्न ट्रेन में पानी भरा जाता है। वहीं सात लाख लीटर गंदा होकर नाले में बह जाता है। जिससे फिर से यूज के लिए एसटीपी लगाने की कवायद चल रही है। इस प्लांट पर करीब ढाई करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस एसटीपी के बन जाने पर वाशिंग लाइन में ट्रेंस, प्लेटफॉर्म की सफाई व पेड़ पौधों में लगने वाले पानी की डिमांड को ट्रीटेड वाटर से पूरा कर लिया जाएगा। तब इन सबके लिए साफ पानी जमीन से लिफ्ट नहीं करना होगा।

कैंपस स्थित लांड्री में ईटीपी लगा दिया गया है। इससे लांड्री में बेडशीट, कंबल, टॉवेल सहित अन्य कपड़ों की सफाई में लगने वाले रिसाइकिल पानी की सप्लाई शुरु हो गयी है। इससे पानी की बर्बादी पर बहुत हद तक रोक लग गयी है। जबकि स्टेशन कैंपस से निकलने वाले पानी को भी रिसाइकिल करने का प्रस्ताव हेड क्वार्टर को भेज दिया गया है।

आनंद मोहन, डायरेक्टर

कैंट स्टेशन

सफाई पर पानी की खपत

लॉन्ड्री - 26 हजार लीटर

वाशिंग लाइन -60 हजार लीटर

स्टेशन पर टोटल खपत-11.50 लाख लीटर

नाले में बहने वाला पानी- 7 लाख लीटर