दूसरे दिन बढ़ी मूल्यांकन करने वाले परीक्षकों की संख्या

विरोध के बीच धीरे-धीरे ट्रैक पर आने लगा मूल्यांकन कार्य

ALLAHABAD: यूपी बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहा है। शनिवार से शुरू मूल्यांकन के पहले दिन वित्त विहीन शिक्षक संघ व समाजवादी शिक्षक महासभा के बहिष्कार का असर दिखा। हालांकि दूसरे दिन रविवार को मूल्यांकन कार्य में तेजी दिखी। मूल्यांकन में लगे शिक्षकों से बातचीत में पता चला कि इस बार ज्यादातर कापियों में स्टूडेंट्स ने कुछ ही सवालों के जवाब दिए हैं। हाल ये है कि शून्य नम्बर मिलने वालों की संख्या अधिक है। कैमेस्ट्री की कॉपी जांच रहे शिक्षक रामअवतार गुप्ता ने बताया कि दस में सिर्फ चार या पांच स्टूडेंट्स ही पास हो पा रहे हैं। ऐसे में इस बार रिजल्ट का ग्राफ पिछले कुछ सालों के मुकाबले काफी नीचे आने की संभावना है।

सीसीटीवी से हो रही मॉनिटरिंग

मूल्यांकन में जुटे परीक्षकों और मूल्यांकन प्रक्रिया की जांच प्रिंसिपल के कमरे में लगे सीसीटीवी कैमरे से अधिकारी कर रहे हैं। सीएवी इंटर कालेज में वाइस पि्रंसिपल मेजर केके प्रसाद पूरे समय सीसीटीवी के सामने बैठकर मूल्यांकन की समीक्षा करते रहे। दूसरे दिन मूल्यांकन में परीक्षकों की संख्या भी ठीकठाक नजर आई। रविवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने मूल्यांकन केन्द्रों का जायजा लिया। इस दौरान शिक्षक मूल्यांकन कार्य में व्यस्त दिखे। हालांकि बीच बीच में कापियों को देखकर उसमें स्टूडेंट्स के द्वारा लिखे गए कई आंसर पर चर्चा भी होती रही। इसमें सबसे अधिक चर्चा सादी कापियों की बढ़ती संख्या पर हुई।

62,68,03

परीक्षकों को एलाट हाई स्कूल की कापियां

99,53,28

इंटरमीडिएट में एलाट कापियां

470

मूल्यांकन केन्द्रों पर कार्य कर रहे डीएचई

2466

परीक्षक मूल्यांकन केन्द्रों पर कर रहे कॉपियों की जांच

10,5954

कॉपियों की दो दिन में हो गई जांच

उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में इस बार रिजल्ट काफी नीचे जा सकता है। पिछले सालों की तुलना में इस बार लग रहा है कि स्टूडेंट्स ने कुछ लिखा ही नहीं है।

डॉ। सीएल मिश्रा

अभी तक की कापियों को देखकर निराशा ही हाथ लगी है। ज्यादातर कापियों की हालत ऐसी है कि सोचना पड़ रहा है आखिर इन्हें नंबर क्यों दें।

शरद चन्द्र मिश्र

मूल्यांकन के दौरान इस बार जो स्थिति सामने आ रही है उससे रिजल्ट का ग्राफ काफी नीचे गिरने का पूरी संभावना है।

रामचन्द्र सोनी

ज्यादातर कापियां खाली ही मिल रही हैं। ऐसे में इसका असर रिजल्ट पर पड़ना स्वाभाविक ही है।

कृष्णकांत यादव