फर्जी व गलत डॉक्यूमेंट लगा कर किया जा रहा ऑनलाइन आवेदन

37 से अधिक लाइसेंस सत्यापन में हुए रिजेक्ट दो माह में

Meerut। कुछ साल पहले तक ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए कई नकली डॉक्यूमेंट का प्रयोग कर ऑफ लाइन आवेदन किया जाता था। इसमें कई बार दिव्यांग से लेकर आतंकियों के लाइसेंस बनवाने का मामला भी सामने आ चुका है अब ऑफ लाइन आवेदन प्रक्रिया बंद होने के बाद भी लाइसेंस के लिए नकली डॉक्यूमेंट का फर्जीवाड़ा खत्म होने का नाम नही ले रहा है। ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदक फर्जी एड्रेस प्रूफ और आईडी प्रयोग कर रहे हैं जो कि लाइसेंस के सत्यापन के दौरान सामने आ रहे हैं.आरआई सीएल निगम ने बताया कि लाइसेंस के लिए आवेदन ऑनलाइन फीड होते हैं लोकल स्तर पर जांच नही हो सकती। लेकिन अब लाइसेंस घर पर डिलीवर हो रहे हैं ऐसे में असली आवेदक को ही लाइसेंस दिया जाता है जिसमें ऐसे केस में फर्जीवाडा पकड़ में आ जाता है।

37 से अधिक लाइसेंस हुए निरस्त

गत दो माह में करीब 37 से अधिक ऐसे संदिग्ध लाइसेंस को निरस्त किया जा चुका है। जिनकी आईडी मिस मैच या एड्रेस प्रूफ गलत पाए जाने पर लाइसेंस डिलीवर नही किया गया। लाइसेंस का एड्रेस गलत होने के बाद आवेदक को वैरीफिकेशन के लिए कार्यालय बुलाया जाता है लेकिन इन 37 लाइसेंस को लेने कोई आवेदक नही आया। जांच की गई तो पता चला कि लाइसेंस के साथ लगाए गए आधार कार्ड और एड्रेस का प्रूफ किसी अन्य शख्स के प्रयोग किए गए थे।

अब होगी जांच

ऐसे संदिग्ध मामले पकड़ में आने के बाद लाइसेंस आवेदक के डॉक्यूमेंट को मुख्यालय स्तर पर दोहरी जांच के बाद लाइसेंस प्रक्रिया को पूरा करने की तैयारी की जा रही है। लोकल स्तर पर भी आवेदक को आरआई के सामने अपने ऑरिजनल डॉक्यूमेंट लेकर आना होगा।

दलालों का नेटवर्क

दरअसल आरटीओ कार्यालय में 70 प्रतिशत लाइसेंस दलालों के माध्यम से बनाए जाते हैं। कई बार आवेदक अनफिट या अपाहिज होने के बाद भी लाइसेंस बनाने के लिए दलाल के माध्यम से दूसरे के आईडी या आधार कार्ड का प्रयोग कर लाइसेंस के आवेदन कर देता है। कुछ केस में चोरी के वाहन बेचने के लिए फर्जी लाइसेंस की जरुरत होती है इसलिए फर्जी लाइसेंस बनवाया जाता है। ऐसे में दलाल आवेदक के डॉक्यूमेट में फर्जीवाडा कर आवेदन कर देते हैं।