आगरा। किसी भी बड़ी घटना पर लखनऊ में बैठे अधिकारी तत्काल जिले के पुलिसकर्मियों को वायरलेस पर दिशा-निर्देश दे सकेंगे। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी से भी बात कर सकेंगे। डायल-100 के तहत आधुनिक किए जा रहे पुलिस महकमे को अब एडवांस योजना में अब ये सुविधा भी मिलने जा रही है। इस प्रोजेक्ट का काम जोर-शोर से जारी है। इसके शुरू होने के बाद ऑर्डर पर रिस्पॉन्स टाइमिंग में कटौती होगी। किसी घटना पर भी समय रहते काबू पाया जा सकेगा।

कई प्रोजेक्ट पर चल रहा काम

डायल-100 के तहत पुलिस को हाईटेक बनाने की कवायद जारी है। कई प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। इसमें अब कुछ एडवांस योजनाओं को भी शामिल किया गया है। इसमें रेडियो ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (आरओआईपी) सॉफ्टवेयर से प्रदेश के सभी वायरलेस जोड़े जा सकेंगे। जरूरत के हिसाब से सॉफ्टवेयर काम करेगा। प्रदेश में यदि पांच जिलों के एसएसपी को डीजीपी को एक साथ आदेश करना है, तो सॉफ्टवेयर पांच जिलों के एसएसपी के वायरलेस को एक साथ कनेक्ट करेगा। इससे समय की बचत होगी और सूचना तुरंत अधिकारियों को मिल सकेगी। अभी इस योजना पर काम चल रहा है। आगरा में इसके लिए टॉवर लगाए जाने का काम चल रहा है। गौरतलब है कि डायल-100 के तहत अभी तक थानास्तर पर घटनास्थल के प्वॉइंट बनाने का काम चल रहा है। वैन के लिए पुलिसकर्मियों की संख्या भी तय कर दी गई है। रिस्पॉन्स टाइम भी व्हीकल के हिसाब से अलग-अलग है।

अभी तक हो रहा तीन टावरों पर काम

एसपी प्रोटोकॉल विद्या सागर मिश्र ने बताया कि इसके लिए आईजी कार्यालय, डीआईजी कार्यालय व कंट्रोल रूम पर टॉवर लगे हैं। अभी इन पर काम चल रहा है। अन्य स्थानों पर भी टावर लगाए जाएंगे। इसके लिए स्थान तलाशे जा रहे हैं। प्रदेश भर में इसके लिए काम चल रहा है। पूरे टॉवर लगते ही योजना को शुरू कर दिया जाएगा।

सीधे सभी को नहीं जाता है आदेश

अभी तक जिलेवार वायरलेस सिस्टम काम करता है। किसी भी आदेश को जिले में लागू करने के लिए या आदेश का पालन कराने के लिए संबंधित अधिकारी वायरलेस कर देते हैं। यदि लखनऊ में बैठे अधिकारी सीधे जिले में समस्त थाना क्षेत्र को आदेश देना चाहें भी, तो ऐसा नहीं किया जा सकता। इसके लिए चेन सिस्टम काम करना पड़ता है। इसके तहत डीजी कंट्रोल रूम से पहले जोन के आईजी कंट्रोल रूम कार्यालय को आदेश देते हैं। इसके बाद आदेश रेंज कंट्रोल कार्यालय भेजा जाता है। इसके बाद डिस्टिक कंट्रोल को आदेश भेजा जाता है। ट्विटर या मोबाइल पर संपर्क साधा जाता था। इसके बाद ही आदेश का पालन किया जाता है। इस पूरे क्रम में कम से कम 10 से 15 मिनट तक लगते हैं।

एक वायरलैस से होगा प्रदेश अलर्ट

इस सुविधा के शुरू होने के बाद पुलिस के फैसले लेने में तेजी आएगी। किसी भी बड़ी घटना पर तुरंत फैसला लिया जा सकेगा। कोई भी बड़ा कांड होने पर बाहरी जिलों की फोर्स बुलाई जाती है। ऐसे में इस सुविधा से तत्काल आदेश दिया जा सकेगा। वहीं, लखनऊ में बैठे अधिकारी भी मौके के हालातों से सीधे रूबरू हो सकेंगे। इस योजना से वे सीधे मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी से भी वायरलेस पर बात कर सकेंगे।