जरूरी है रेग्यूलर ट्रीटमेंट

 ट्यूबरक्यूलोसिस एक तेजी से बढ़ती समस्या बनती जा रही है। देश में टीबी हर तीन मिनट में दो लोगों को अपना शिकार बनाता है। बात डिस्ट्रिक्ट की करें, तो पिछले एक साल में 29 सौ से ज्यादा टीबी के नए पेशेंट डिटेक्ट हुए।

पड़ सकता है महंगा
अगर 14 दिनों से अधिक खांसी हो, फीवर रहता हो, वेट लॉस हो या भूख में कमी आ जाए,आपको ऐसा कोई सिम्पटम दिखाई देता है, तो उसे इग्नोर करना महंगा पड़ सकता है। जी हां, ये सारे सिम्प्टम्स टीबी की तरफ इशारा करते हैं। टीबी पूरी दुनिया के लिए एक समस्या है। वल्र्ड में हर साल करीब 90 लाख लोग टीबी से ग्र्रसित होते हैं। बात अगर कंट्री की करें, तो टीबी मोर्टेलिटी के सबसे बड़े कारणों में से एक है। देश में हर साल टीबी करीब तीन लाख लोगों की जान लेती है।

बढ़ रहे हैं मामले
डिस्ट्रिक्ट में भी टीबी के मामले तेजी से बढ़े हैं। 2013 में टीबी के नौ  हजार 698 सस्पेक्ट्स की जांच की गई, थी जिनमें 2908 टीबी के नए मामले पाए गए। वहीं एमडीआर के 19 सस्पेक्ट्स की जांच की गई, जिनमें आठ केस आईडेंटिफाई किए गए। हाल ही में जारी एनुअल हेल्थ सर्वे 2011-12 के अनुसार डिस्ट्रिक्ट में प्रति एक लाख पॉपुलेशन पर 245 लोग टीबी के लिए डायग्नोज किए गए। 2010-11 में ये संख्या 197 थी।

Awareness है जरूरी
डिस्ट्रिक्ट टीबी ऑफिसर डॉ प्रभाकर भगत ने कहा कि टीबी से बचाव के लिए लोगों में अवेयरनेस बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर बीमारी डिटेक्ट हो जाने पर पेशेंट रेग्यूलर ट्रीटमेंट करवाए, तो छह से आठ महीने में ये बीमारी पूरी तरह ठीक हो जाती है। उन्होंने बताया कि गवर्नमेंट की तरफ से टीबी का फ्री चेकअप और ट्रीटमेंट करवाया जाता है। टीबी पेशेंट्स के चेकअप और ट्रीटमेंट के लिए डिस्ट्रिक्ट में भी पांच टीबी यूनिट और 17 डीएमसी बनाए गए हैं।

टीबी के ट्रीटमेंट के लिए लोगों में अवेयरनेस होना बेहद जरूरी है.  रेग्यूलर ट्रीटमेंट से बीमारी का पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।
-डॉ प्रभाकर भगत
डिस्ट्रिक्ट टीबी ऑफिसर, ईस्ट सिंहभूम

Report by : abhijit.pandey@inext.co.in