RANCHI:बहुचर्चित 34वें नेशनल गेम्स घोटाले में फंसे पूर्व खेल मंत्री बंधु तिर्की को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने बुधवार दोपहर सीबीआइ कोर्ट से बाहर निकलते ही गिरफ्तार कर लिया। बंधु तिर्की सीबीआइ कोर्ट में चल रहे आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में बुधवार को गवाही सुनने पहुंचे थे। एसीबी की टीम उन्हें गिरफ्तार कर पहले एसीबी मुख्यालय ले गई और सदर अस्पताल में मेडिकल जांच करवाने के बाद एसीबी के विशेष न्यायाधीश दिवाकर पांडेय (प्रभारी) के कोर्ट में पेश किया। यहां से उन्हें 14 दिनों के न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार भेज दिया गया। जेल जाने से पूर्व मीडिया से बातचीत में बंधु तिर्की ने कहा कि उनके पास कोई अवैध संपत्ति या अतिरिक्त बैंक बैलेंस नहीं है। बिना ठोस सबूतों के उन्हें गिरफ्तार किया गया है, अदालत में यह साबित नहीं हो पाएगा।

क्या है मामला

ज्ञात हो कि 2011 में रांची में आयोजित 34वें नेशनल गेम्स के दौरान 28.34 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। इसमें नियमों को ताक पर रखकर जरूरत से अधिक स्पो‌र्ट्स इक्विपमेंट्स अधिक मूल्य पर खरीदी गई थी। इसकी खरीद के लिए निविदा समिति बनी थी। समिति में एनजीओसी के महासचिव एसएम हाशमी और कोषाध्यक्ष मधुकांत पाठक थे। वहीं, खेल निदेशक पीसी मिश्रा थे। इस घोटाले में तीनों के विरुद्ध एसीबी पहले ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। तीनों जमानत पर हैं। उस दौरान बंधु तिर्की झारखंड के खेल मंत्री थे। वहीं नेशनल गेम्स आयोजन समिति के कार्यकारी अध्यक्ष आरके आनंद के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई पर फिलहाल अदालत ने रोक लगा रखी है। अन्य आरोपितों के विरुद्ध वारंट के लिए भी एसीबी प्रयासरत है, ताकि उन्हें भी गिरफ्तार किया जा सके।

क्या है पूर्व मंत्री बंधु तिर्की पर आरोप

झारखंड सरकार के पूर्व खेल मंत्री बंधु तिर्की पर आरोप है कि उन्होंने धनबाद में दो स्क्वैश कोर्ट के निर्माण में वित्तीय अनियमितता की। स्क्वैश कोर्ट के निर्माण की जिम्मेदारी मुंबई की एक कंपनी जाइरेक्स इंटरप्राइजेज को दी गई थी। कंपनी ने 1,44,32850 रुपये का एस्टीमेट दिया था। इस प्रस्ताव पर आयोजन समिति के महासचिव एसएम हाशमी और तत्कालीन खेल निदेशक तथा सचिव की अनुशंसा के बाद फाइल तत्कालीन विभागीय मंत्री (खेल मंत्री) बंधु तिर्की के पास भेजी थी। इस फाइल को तत्कालीन मंत्री बंधु तिर्की ने नीतिगत निर्णय लेते हुए 20 अक्टूबर 2008 को अनुमोदित कर दिया था। इसमें कंपनी को अग्रिम 50 लाख रुपये दिए गए थे, लेकिन बाद में बिना स्वीकृति के भुगतान के कारण वित्तीय अनियमितता की पुष्टि हुई थी।

2010 में एसीबी ने दर्ज की थी एफआईआर

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने 34वें नेशनल खेल घोटाले में निगरानी थाना कांड संख्या 49/2010 दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया था। इसमें आरके आनंद, बंधु तिर्की सहित कई लोग आरोपित किए गए थे। आरोपितों पर नेशनल खेलों से संबंधित तैयारियों, समारोह के आयोजन व वस्तुओं के क्रय में अनियमितता की पुष्टि हुई थी। इस कांड में अप्राथमिकी अभियुक्त सुविमल मुखोपाध्याय, एचएल दास, प्रेम कुमार चौधरी, शुकदेव सुबोध गांधी व अजीत जोइस लकड़ा के विरुद्ध भी आरोप पत्र समर्पित करने व अभियोजन चलाने के लिए संबंधित सक्षम प्राधिकारों से अभियोजन स्वीकृति मांगी जा चुकी है। एसीबी ने अनुसंधान जारी रखते हुए प्राथमिकी अभियुक्त प्रकाश चंद्र मिश्र व सैयद मतलूब हाशमी के विरुद्ध 9 जनवरी 2015 को आरोप पत्र दाखिल किया था। वहीं, प्राथमिकी अभियुक्त मधुकांत पाठक के विरुद्ध 16 अप्रैल 2018 को आरोप पत्र दाखिल हुआ था।