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PRAYAGRAJ: पद्मश्री विष्णु श्रीधर वाकणकर के जन्म शताब्दी समारोह के दूसरे दिन कलाकारों ने अपने सुरों का जादू बिखेरा। संस्कार भारती की ओर से आर्गनाइज प्रोग्राम के दौरान सुरों से सजे महफिल का दर्शकों ने भी जमकर लुत्फ उठाया। दर्शकों ने तालियां बजाकर कलाकारों का उत्साह बढ़ाया।

लागा चुनरी में दाग

सुरों से सजे कार्यक्रम की शुरुआत गणेश श्रीवास्तव के ओम नम: शिवाय भजन से हुआ। लागा चुनरी में दाग निर्गुण गीत सुनाकर गणेश श्रीवास्तव ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। रत्नेश दुबे ने राम नाम अति मीठा है, भजन गाकर पहले श्रोताओं को राममय किया और अगले भजन चिठिया ले जा उधो, जाके कहियो कन्हैया से गाकर गंभीर कर दिया। सारे श्रोताओं पर ब्रज की गोपियों का कृष्ण प्रेम और बिछोह का विरह तारी हो गया। लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने वाले आशुतोष श्रीवास्तव ने हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला की संगीतमयी प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान लोक गायिका मंजू नारायण,रागिनी चन्द्रा ने मिर्जापुरी कजरी की प्रस्तुति दी। इसके पहले कार्यक्रम की शुरुआत अध्यक्षता कर रहे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संगीत विभाग के प्रोफेसर जयंत खोत, संस्कार भारती के संस्थापक संरक्षक बाबा योगेन्द्र, अध्यक्ष कल्पना सहाय ने दीप जलाकर किया।