-डॉल्फिन कंजर्वेशन के क्षेत्र में विशेष कार्य में जुटे एक्सपर्ट

PATNA: डॉल्फिन राष्ट्रीय जलीय जीव है और इसे बचाने के लिए जो प्रयास किये गये थे उसके अच्छे नतीजे मिल रहे हैं। अवेयनेस भी फैल रहा है। लेकिन डॉल्फिन संरक्षण के नाम पर एक दिन सेलिब्रेट करने से काम नहीं होगा। इसके लिए साल के बचे 364 दिन को भी उसी जज्बे के साथ सतर्क और सक्रिय रहना होगा। ये बातें डॉल्फिनमैन के नाम से मशहूर एवं पद्मश्री डॉ आर के सिन्हा ने डॉल्फिन डे के मौके पर अरण्य भवन में आयोजित एक राजकीय कार्यक्रम में कही। कार्यक्रम का शुभारंभ वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह एवं डॉ आरके सिन्हा ने दीप प्रज्जवलित की। इस मौके पर हॉल में बड़ी संख्या में विभिन्न कॉलेजों के छात्र एवं मछुआरे उपस्थित रहे। दीपक कुमार सिंह ने इसके संरक्षण के लिए किये गए कार्यो की सराहना की और आगे भी विभाग की ओर से पूरा सर्पोट देने की बात कही।

जल्द होगा उद्घाटन

प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि जल्द ही पटना यूनिवर्सिटी में देश का पहला रिसर्च सेंटर स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले से तक कार्यक्रम के अनुसार इसका उद्घाटन डॉल्फिन डे के मौके पर ही होना था, लेकिन अपरिहार्य कारणों से इसे आज संपन्न नहीं किया जा सका। जल्द ही इसके तिथि की घोषणा की जाएगी और पटना लॉ कॉलेज में इसका शुभारंभ किया जाएगा।

नई पीढ़ी पर बड़ी जिम्मेवारी

डॉ आर के सिन्हा ने कहा कि बीते करीब तीन-चार दशकों से मैं डॉल्फिन संरक्षण के लिए काम कर रहा हूं। मैंने इस दौरान यह बताया है कि इसका होना हमारे लिए यानि मनुष्यों के लिए कितना महत्वपूर्ण है। उन्होंने मंच से अपने दो छात्रों डॉ गोपाल शर्मा और शिशिर कुमार का जिक्र करते हुए कहा कि इन्होंने भी इसके लिए बड़ा काम किया है। अब नई पीढ़ी के उपर इसके संरक्षण और संवृद्धि की बड़ी जिम्मेदारी है।

राष्ट्रीय स्तर पर हो सर्वे

इस समारोह में जूलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, पटना के प्रभारी अधिकारी डॉ गोपाल शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर डॉल्फिल के सर्वे की बड़ी आवश्यकता है। फिलहाल संपूर्ण बिहार में भी इसका सर्वे नहीं हो पाया है। कम से कम बक्सर से मनिहारी तक साल भर में एक बार सर्वे जरुर होना चाहिए। उन्होंने महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए नदियों में मेकेनिकल ड्रेजिंग की बजाय बैंडलिंन को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। मेकेनिकल ड्रेनिंग के कारण हैबिटेट को बहुत नुकसान होता है।

पटना में कई डॉल्फिन

यदि पटना की बात करें तो यहां गंगा नदी में सुरक्षित आवास क्षेत्र है। जूलाजिलक सर्वे ऑफ इंडिया (जेडएसआई) के प्रभारी अधिकारी डॉ गोपाल शर्मा के अनुसार 2019 के प्रारंभ में बक्सर से मोकामा तक डॉल्फिन का सर्वे किया। करीब 298 किलोमीटर में 333 डॉल्फिन पाये गए। इसी प्रकार, सुनील चौधरी के द्वारा मोकामा से मनिहारी तक के 278 किलोमीटर के डिस्टेंस में 750 डॉल्फिन की गिनती की गई। इसकी उपस्थिति क्लीन वाटर का इंडीकेशन माना जाता है। क्योंकि यह क्लीन वाटर में ही रहता है।