- जोनल लेवल और कोर्ट के पैरवीकार को दी जाएगी जानकारी

- साक्ष्य संकलन में लापरवाही, टेक्नीकल कमियों का उठाते फायदा

GORAKHPUR: जिले में साइबर क्रिमिन्ल्स को कोर्ट में सजा दिलाने के लिए कड़ी पैरवी की जाएगी। कोर्ट में मुकदमे के दौरान आरोपी किसी खामी का फायदा नहीं उठा सकेंगे। अभियोजन विभाग में इन खामियों को दूर करने के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है। केस की विवेचना करने वाले इंस्पेक्टर और सरकारी वकीलों के लिए स्पेशल ट्रेनिंग सेशन चलाया जाएगा। मार्च में ट्रेनिंग की शुरुआत हो सकती है।

प्राइवेट सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स देंगे ट्रेनिंग

हाईटेक सिस्टम यूज करने से साइबर क्राइम के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। मुकदमा दर्ज कर पुलिस टीम कार्रवाई कर रही है। लेकिन जांच के तमाम बिंदुओं की सही जानकारी के अभाव में क्रिमिन्ल्स को पकड़ना आसान नहीं रहा। यदि कोई पकड़ा गया तो उसके खिलाफ कोर्ट में पर्याप्त साक्ष्य देकर सजा दिलाना भी आसान काम नहीं है। इसलिए प्राइवेट सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स की मदद से ट्रेनिंग दिलाई जाएगी। इसमें इंस्पेक्टर, विवेचक और अभियोजन अधिकारियों को शामिल किया जाएगा।

फार्म 65 बी भरवाने पर जोर

इलेक्ट्रानिक साक्ष्य जुटाने में कई चूक हो जाती है। इससे क्रिमिन्ल्स को कोर्ट में फायदा पहुंचता है। कई बार पुलिस टीम किसी की मोबाइल कॉल डिटेल निकालती है तो उसकी कच्ची कापी मुकदमे में सब्मिट कर देती है। इससे उसके टैंपर्ड होने का सवाल कोर्ट में उठता है। इसको देखते हुए विवेचकों को बताया जाएगा कि वह सीडीआर लेते समय कंपनी से फार्म 65 जरूर कलेक्ट करें। इससे कंपनी यह साबित करती है कि सीडीआर में दी गई जानकारी पूरी तरह से सत्य है। इसके अलावा सीसीटीवी कैमरों की फुटेज लेने के दौरान कैमरे के ऑनर से भी फार्म 65 बी पर डिटेल भरवानी होगी। गोरखनाथ एरिया में युवती के अपहरण, गैंग रेप के मामले में पुलिस टीम फार्म 65 पर सीडीआर मंगा रही है। ताकि आरोपी कोर्ट में उसे चुनौती न दे सकें। ऐसा होता है कि साइबर क्राइम में यूज कंप्यूटर सीपीयू कलेक्ट करने में पुलिस कोई खास लिखा-पढ़ी नहीं करती। कोर्ट में पेश करने पर आरोपित उसे अपना मानने से इंकार कर देते हैं। इस तरह से अन्य मामलों में भी लापरवाही होती है।

सबूत जुटाने में होती है लापरवाही

-विवेचक को यह पता नहीं होता कि किस तरह से, कितने सबूत जुटाए जाएं।

-क्राइम में यूज कंप्यूटर, सीपीयू इत्यादि कलेक्ट करने में लापरवाही होती है।

-कॉल डिटेल और नेट लॉग रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करने को लेकर जानकारी नहीं होती।

-सीडीआर को कच्चे पेपर पर उपलब्ध कराया जाता है। कई बार विवेचक उसे कोर्ट भेज देते हैं।

यह दी जाएगी ट्रेनिंग

-ट्रेनिंग में विवेचकों को चेन ऑफ कस्टडी के बारे में बताया जाएगा।

- विवेचना के दौरान किस तरह से साक्ष्य संकलन करें जिससे कोर्ट में आरोपी न मुकरें।

- चेन आफ कस्टडी फॉर्म को मौके पर कैसे और किन लोगों के बीच में भरवाया जाए।

- कोर्ट में पेश किए जाने वाले इलेक्ट्रानिक इक्विपमेंट्स सील करने के दौरान मौजूद लोगों का सिगनेचर बनवाया जाएगा।

साइबर क्राइम के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। किसी घटना में साक्ष्य संकलन के दौरान मामूली सी लापरवाही का फायदा आरोपित को मिल सकता है। इसलिए ऐसे मामलों में क्या प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए। इसकी ट्रेनिंग दिया जाना नितांत आवश्यक है। जल्द ही विवेचक और अभियोजन अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी।

वीडी मिश्रा, एसपीओ, गोरखपुर