अपने पूर्वजों की कब्र, विवाह और अन्य यादों को समेटने के साथ मेरठ के इतिहास को भी संजोया

Meerut : अपने देश में इन दिनों पितृपक्ष चल रहा है। यह संयोग ही है कि पितरों को याद करने और उन्हें नमन करने की बेला में गोरे भी अपने पितरों को ढूंढते हुए मंगलवार को मेरठ आ पहुंचे।

तीन देशों से पहुंचे प्रतिनिधि

ब्रिटेन, अमेरिका और आस्ट्रेलिया से 16 सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल तीन सप्ताह के भारत दौरे पर है। रविवार को दिल्ली पहुंचे इस विदेशी ग्रुप ने मेरठ का रुख किया और यहां के सबसे पुराने चर्च सेंट जोंस चर्च और उसकी सीमेट्री का भ्रमण किया। कई विदेशी तो ऐसे थे, जिनके किसी रिश्तेदार की सेंट जोंस चर्च में शादी हुई थी तो किसी ने यहां ईसाई दीक्षा ली तो किसी की कब्र मेरठ में ही है। अपने पूर्वजों से जुड़ी यादों को संजोने में ये विदेशी चर्च से सीमेट्री तक तल्लीनता से जुटे रहे। हालांकि बढ़ी हुई झाडि़यों की वजह से ये उनकी कब्र नहीं ढूंढ सके। कई तो ऐसे थे जिनकी छठी या सातवीं पीढ़ी मेरठ में रही है। इतिहासविद् डा। अमित पाठक ने मेरठ के इतिहास पर आधारित एक प्रजेंटेशन दिया। दोपहर बाद यह दल दिल्ली के लिए रवाना हो गया।

ये लोग थे शामिल

मेरठ के दौरे पर आने वालों में एलीन मैकग्रेगर, सायल्विया, पीटर फ्रायर, डुयेन यंग, वाल्मे जून, वाल्मे स्टेला, मार्क यंग, क्रिस्टोफर शॉर्पल्स, रॉबर्ट किनलोच, लाउरा, पेनीलोप सूडी, नोएल गुंटर, नाइजेल, विवेन पेन्नी, जॉन ब्रूक्स एवं एनी शामिल थे। ये सभी फैमिलीज इन ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी से जुड़े हैं।

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इस तरह के दौरे मेरठ के पर्यटन को बढ़ावा देने के मकसद से काफी लाभकारी बनाए जा सकते हैं। ब्रितानियों का मेरठ अक्सर आना होता है, ऐसे में हम उसे अवसर के तौर पर लें।

-पंकज यादव, जिलाधिकारी

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तीन पीढि़यां साथ खोज रहीं थी पूर्वजों के निशां

ब्रितानियों के इस दल में एक परिवार ऐसा भी था, जिसकी तीन पीढि़यां अपने पितरों को खोजने निकली थीं। वाल्मे स्टेला यंग अपने माता-पिता डुएन व वाल्मे जून के साथ ही बेटे मार्क को भी लेकर आई थीं। उनके साथ उनकी बहन पेनीलोप भी थीं।