घर में शरीफ हैं जनाब

एक लड़की होने के सही मायने काफी अलग हैं और उसे सड़क पर निकलते ही इसका अहसास भी हो जाता है। थर्सडे को आई नेक्स्ट ने दून में एक ऐसी सच्चाई जांची, जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। अपने घर-परिवार-मोहल्ले में शराफत की मिसाल माने जाने वाले कई लोग रोड पर आते ही खूंखार बन जाते हैं। सड़क पर न तो उनकी कोई बहन है और न ही कोई मां हर लड़की उन्हें उपभोग की वस्तु नजर आती है। कैपिटल का कोई भी कोना ऐसा नहीं मिला जहां लड़की को घूरने वाली निगाह न मिली हो।

हर कहीं एक ही कहानी

राजपुर रोड को फैशन स्ट्रीट कहना गलत नहीं होगा। सभी बड़े शोरूम यहीं है। रोज की तरह थर्सडे को भी यहां गल्र्स की काफी भीड़ थी। कोई अपने लिए खरीदारी कर रही थी तो कोई अपने परिवार के साथ थी। बाहर निकलने पर लड़कियों सामना दो ऐसे लड़कों से हुआ जो बाइक पर बैठकर लगातार उन्हें घूरे जा रहे थे। ठीक इसी तरह गांधी पार्क के सामने का माहौल भी नजर आया। क्या मजाल कि पार्क के बाहर खड़े एक बुजुर्ग जनाब वहां से गुजरने वाली किसी भी लड़की को बिना घूरे रह पाते। पास ही एक एक महिला कांस्टेबल सादी वर्दी में ड्यूटी पर तैनात थी, लेकिन उसके पास ऐसा कोई सबूत नहीं था, जिसके जरिए वो ऐसा करने वालों को रोक सके।

नहीं कोई इलाज

लंबे समय से लड़कियां अंकल, ब्वॉयज और बुजुर्ग की बुरी नजरों का शिकार होती रही हैं। कई निगाहें तो तब तक पीछा करती हैं, जब तक रोड पर जा रही लड़की बिल्कुल दूर न हो जाए। क्लॉक टावर सहित पलटन बाजार उन लोगों की खास पसंद है, जिन्हें घूरने में मजा आता है। नाम व फोटो न छापने की शर्त पर मार्केट में आई एक लड़की ने बताया कि ये क्रम घर से निकलने के बाद विक्रम या बस और फिर रोड तक यूं ही चलता रहता है। मेरा बस चले तो मैं उन लोगों की आंखें फोड़ डालूं जो घर से बाहर निकलते ही ये भूल जाते हैं कि, उनका अपना परिवार भी है और परिवार में एक बेटी या बहन भी होगी।

Police कुछ नहीं करती

गल्र्स की सुरक्षा को लेकर हाल ही में दून पुलिस द्वारा एक नंबर जारी किया गया है, जिस पर आने वाली हर कॉल को गंभीरता से लिया जाता है। अब तक करीब एक दर्जन मामले भी सामने आ चुके हैं, जिसमें पुलिस द्वारा एक्शन लिया गया। लेकिन आई टॉर्चर की परेशानी से हर दिन दो चार होने वाली कैपिटल की तमाम लड़कियों के पास ऐसा कोई नंबर नही है, जिस पर कॉल करने के बाद उनकी यह प्रॉब्लम सॉल्व हो सके।