फेसबुक प्लेटफार्म पारदर्शी बनाने का दबाव

पेरिस (एफपी)। सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी फेसबुक ने इस साल के शुरुआती तीन महीनों में करीब 58.3 करोड़ फेक अकाउंट को बंद कर दिया। ये सभी अकाउंट हिंसा, आतंकवाद और नफरत फैलाने वाले कंटेंट को प्रसारित करने में लिप्त पाए गए थे। कैंब्रिज एनालिटिका का मामला सामने आने के बाद से ही फेसबुक पर अपने प्लेटफॉर्म को ज्यादा पारदर्शी बनाने का दवाब है। इसी क्रम में कंपनी ने करोड़ों फेक अकाउंट बंद करने के साथ ही 200 एप पर भी रोक लगाई है।

अब भी हैं तीन से चार प्रतिशत फेक यूजर

इतनी बड़ी संख्या में अकाउंट बंद होने के बावजूद साइट पर सक्रिय तीन-चार प्रतिशत अकाउंट अब भी फेक यूजर द्वारा संचालित हो रहे हैं। फेसबुक ने एक बयान में कहा है, इस कदम से प्रतिदिन फेक अकाउंट बनाने की कोशिशों पर विराम लग जाएगा। 2017 के आखिरी तिमाही के मुकाबले इस बार बेहतर आर्टिफिशयल इंटेलीजेंसी की मदद से तीन गुना अधिक ऐसे पोस्ट की पहचान की गई जिसमें ग्राफिक की मदद से हिंसा भड़काने का प्रयास था।

शत-प्रतिशत स्पैम पता करेगी फेसबुक

कंपनी ने शत-प्रतिशत स्पैम का पता लगाने और 83.7 करोड़ पोस्ट हटाने का भी दावा किया। फेसबुक ने कहा, हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और यूजरों की सुरक्षा दोनों के लिए जवाबदेह हैं। कोई कंटेंट हिंसा फैलाने वाले या व्यंग्य के तौर पर लिखे गए हैं इसकी पहचान के लिए एआइ की जगह इंसानों की जरूरत है। इसलिए इस साल कंपनी ने तीन हजार से अधिक कर्मचारी नियुक्त किए हैं जो फेक यूजर और भड़काऊ कंटेंट पर नजर रखेंगे।

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