आज से कोई 23 साल पहले की बात है। रविवार की सुबह होते ही लोग टेलीविजन पर अपनी आंखे गड़ा कर बैठ जाया करते थे। सडक़ों पर सन्नाटा पसरा रहता था और हर जगह बस एक ही स्वऱ गूंजता था, महाभारत। उस सीरियल में कृष्ण की भूमिका नीतिश भारद्वाज ने निभाई थी। तब से अब तक जिंदगी में अनेक उतार-चढ़ाव देख चुके नीतिश आज भी उस दौर को भुला नहीं पाए हैं।

क्या फील कर रहे थे जब पहली बार यह रोल आपको ऑफर किया गया?

यह रोल बेहद कठिन स्क्रीन टेस्ट से गुजरने के बाद मिला था। संस्कृत और हिन्दी में डायलॉग डिलीवरी की मेरी एबिलिटी परखी गई। फिर शरारती अंदाज और कांफीडेंस लेवल काम आया। रोल मिलने के बाद भी मुझे लगता रहा कि किसी बड़े एक्टर को यह भूमिका निभानी चाहिए,  मन में संदेह था। बाद में मैंने इसे जिम्मेदारी की तरह लिया। मेरी मां ने मुझसे कहा कि किसी और को हो न हो उन्हें इस बात का भरोसा है कि वह कृष्ण की भूमिका को अच्छी तरह निभा सकते हैं। क्योंकि उन्होंने मेरे जीवन में गीता और संत ज्ञानेश्वर का दर्शन उतारा है.nitish

आपने वेटनेरी डॉक्टर की ट्रेनिंग ली, एक्टिंग की और फिर पॉलिटिशयन बन गए,  इसे डेस्टिनी या फिर कुछ और मानते हैं?

जब मैँ पीछे मुडक़र अपनी जिंदगी को देखता हूं तो अहसास होता है कि जीवन के रगंमंच पर हम सब सिर्फ कठपुतलियां हैं जिनकी भूमिका पहले से तय है।

मेरे और कृष्ण के जीवन में भी समानताएं हैं। वह गायों के बीच रहते थे और मैंने भी वेटनेरी डॉक्टर के तौर पर ऐसा किया। वह पॉलिटिशयन भी थे और इसलिए मैं भी उस डायरेक्शन में गया।

वह योगी थे और मैं स्प्रिचुअलिटी की डगर पर सामान्य साधक हूं। मैं हमेशा कर्म के कॉस्मिक लॉ को फॉलो करने की कोशिश करता हूं। वही मेरे लिए धर्म है। मुझे नहीं मालूम की डेस्टिनी आखिर मुझे कहां लेकर जाएगी।

महाभारत के बाद स्मॉल स्क्रीन पर कई सारे एक्टर्स ने कृष्ण का किरदार निभाया है लेकिन आप जैसी पापुलैरिटी किसी और को नहीं मिली.

इसकी कई वजहें हैं। 1988-90 में दूरदर्शन अकेला टीवी चैनल था। बेस्ट फिल्ममेकर टेलीविनज शोज बना रहे थे। डा। राही मासूम रजा ने किरदार को शब्द दिए। उनके डायलॉग्स को 49 परसेंट,  बीआर और रवि चोपड़ा के डायरेक्शन को 49 परसेंट क्रेडिट दिया जाना चाहिए। मेरा काम बाकी का दो परसेंट डिलीवर करना था। एक्टिंग करते वक्त मैं स्वयं को कृष्ण को समर्पित कर देता था।

आप कृष्ण को किस तरह डिफाइन करेंगे?

पूर्ण पुरुषोत्तम,  व्यक्ति जिसने किसी बड़े लक्ष्य के लिए जीवन जीने की कला तो सीखी ही साथ ही उससे अलग होना भी सीख लिया। कृष्ण क्या सिखाते और कैसे मोटिवेट करते हैं? अपने लक्ष्य तय करना और किस तरह मैटीरियल डिजायर्स और स्प्रिचुअलिटी के बीच बैलेंस बिठाना है। कर्म के कॉस्मिक लॉ को समझकर उसके हिसाब से व्यवहार करना चाहिए। वह प्रेम,  शांति और संयम के साथ जिंदगी कैसे बिताई जा सकती है यह भी सिखाते हैं।

कामयाब होने की जल्दबाजी में किसी और की राह में रोड़े नहीं अटकाने चाहिए। ऐसा करके हम अपने ही रास्ते में बाधाएं खड़ी कर लेते हैं। हमें ईश्वर पर विश्वास रखकर अपना काम करते रहना चाहिए। सही समय आने पर सभी को जो उनके हिस्से का है मिलता ही है। आपका ईश्वर कोई भी किसी भी धर्म का हो सकता है,  मां भी। जो आपको समर्पण और अपने अहं से छुटकारा पाना सिखाए।

आपको कृष्ण की पर्सनालिटी का कौन सा हिस्सा सबसे ज्यादा प्रभावित करता है?

कृष्ण के हर काम के पीछे एक बड़ा उद्देश्य छिपा होता था। हर स्तर पर अधर्म से लडऩे का उत्साह और हर किसी को बराबर समझना। धर्म और ह्यूमन वैल्युज के लिए नेवर टू डाई एट्टियूड। वह सब करते हुए भी डिटैच रहना जानते थे।

अन्ना हजारे के जन लोकपाल बिल को लेकर चलाए जा रहे आंदोलन को आप किस रूप में देखते हैं?

महात्मा गांधी हमारे स्वाधीनता संग्राम के कृष्ण थे। जिन्होंने सभी भारतीयों के अंदर के कृष्ण को जगाकर उन्हें ब्रिटिश शासन और अपने डेमोक्रेटिक राइट्स के लिए लडऩा सिखाया। अन्ना हजारे और उनके फॉलोवर आज के समय के कृष्ण हैं जो भ्रष्टाचार रूपी कैंसर को खत्म करना चाहते हैं। हम सभी के भीतर कृष्ण है जिसे भ्रष्टाचार रूपी अधर्म से लडऩा चाहिए।

स्माइल का कमाल था

एमटीवी रोडीज और स्प्लिट्सविला जैसे रिएलिटी शोज से स्मॉल स्क्रीन पर कदम रखने वाले विशाल कारवाल टेलीविजन के नए श्रीकृष्ण हैं। रिएलिटी से रील लाइफ में कृष्ण बनने तक का उनका सफर तय करने वाले विशाल स्मॉल स्क्रीन के पहले कृष्ण नीतिश भारद्वाज के बचपन से फैन हैं। vishal

रोडीज जैसे शो करने के बाद श्रीकृष्ण का रोल। यह भूमिका मिली कैसे?

बचपन में महाभारत देखा करता था। तभी से नितीश भारद्वाज की नकल उतारा करता था। जब पता चला कि फिर से श्रीकृष्ण पर द्वारकाधीश के नाम पर सीरियल बनने जा रहा है तो ऑडीशन देने पहुंच गया। श्रीकृष्ण का रोल मिलने में मेरी स्माइल का सबसे बड़ा रोल था।

बस स्मा्इल से ही काम चल गया

नहीं केवल स्माइल से नहीं स्क्रीन टेस्ट। के वक्त हिंदी भी देखी गई थी। हिंदी में मेरी डायलॉग डिलीवरी अच्छी थी और श्रीकृष्ण के गेटअप में मैं परफेक्ट लग रहा था सो मेरा सेलेक्शन हो गया. 

द्वाराकाधीश में काफी कठिन हिन्दी का इस्तेमाल किया गया है.  आप डायलॉग कैसे याद करते हैं?

मैं जब भी कैमरे के सामने जाता हूं तो आंखे बंद करके नीतीश जी की महाभारत की छवि को याद कर लेता हूं। ऐसा करने से मेरा काम आसान हो जाता है और मुझे स्क्रिप्ट  भी नहीं याद करनी पड़ती है।

क्या श्रीकृष्ण के रोल के लिए आपको कोई होमवर्क करना पड़ा

खास होमवर्क तो नहीं किया लेकिन हॉं  महाभारत के कुछ एपीसोड देखे और कुछ बुक्स पढ़ी।

आज श्रीकृष्ण का रोल करने के बाद क्या खुद में कुछ बदलाव महसूस करते हैं.

हां, बहुत बड़े बदलाव महसूस होते हैं। मैं कैमरे के सामने जाने से पहले बहुत नर्वस रहता था जब से द्वारिकाधीश में श्रीकृष्ण का रोल

कर रहा हूं तब से ज्यादा कांफीडेंट महसूस करता हूं।

आज लोग आपको श्रीकृष्ण के रूप में देख रहे हैं। क्या कभी ऐसा हुआ कि किसी ने आपको असल में भगवान मान कर आपके पैर छू लिए हों। ऐसा नितीश भारद्वाज जी के साथ कई बार हुआ है।

लोगों के मन आज भी नितीश जी की ही छवि है श्री कृष्ण के रूप में। मैं उनकी जगह नहीं ले सकता हां लोगों के मन में अपनी जगह

बनाने की कोशिश कर रहा हूं। आज तक किसी ने मेरे पैर नहीं छुए और मैं चाहता भी नहीं की कोई मुझे भगवान समझे।

रील लाइफ में तो आप श्री कृष्ण की भूमिका बखूबी निभा रहे हैं क्या असल जिंदगी में भी आप कभी श्री कृष्ण बने हैं।

कई बार। बचपन में जन्माष्टमी के दिन घर के पास एक मंदिर में झांकियां निकाली जाती थी मैं कई बार उसमें श्री कृष्ण बना।

क्या अन्ना हजारे के एंटी करप्शन प्रोटेस्ट को आप सही मानते हैं।

करप्शन सही में बहुत बढ़ चुका है, अन्ना हजारे ने इसके खिलाफ जो जंग छेड़ी है वो बिलकुल जायज है और मैं उनका समर्थन ही करुंगा। सच कहूं तो रील लाइफ में मैं जरूर श्री कृष्ण का रोल प्ले कर रहा हूं पर रियल लाइफ में अन्ना श्री कृष्ण का रोल प्ले कर रहे हैं।

Interview by Anuradha Gupta for inextlive.com

 

Bollywood News inextlive from Bollywood News Desk