::आई स्पेशल:::

-आगामी विधानसभा सत्र के में पेश किया जा सकता है एक्ट

-बसों में मुफ्त सफर और पेंशन की मिलेगी सुविधा

देहरादून,

एचआईवी पेशेंट्स के प्रति लोगों को नजरिया बदलने की राज्य सरकार ने कवायद शुरू कर दी है। आने वाले दिनों में न सिर्फ उन्हें सरकार ज्यादा सुविधाएं देगी, बल्कि उनके साथ होने वाले सामाजिक भेदभाव को भी दूर किया जा सकेगा। इसके लिए स्टेट गवर्नमेंट की ओर ने एक एक्ट को फाइनल टच दिया जा चुका है। बताया जा रहा है कि सीएम ऑफिस से भी एक्ट के मसौदे को मंजूरी मिल चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद आने वाले विधानसभा सत्र में यह एक्ट सदन में पेश किए जाने की तैयारी है।

केंद्र ने 2017 में दी एक्ट को मंजूरी

केंद्र सरकार ने वर्ष 2017 में एचआईवी/एड्स (प्रिवेंशन एंड कंट्रोलल) एक्ट 2017 को संसद से पास कराया था। दो साल पहले बने इस एक्ट के बाद अब उत्तराखंड में एक्ट लागू करने की तैयारी है। इसके लिए राज्य ने नए एक्ट को फाइनल टच दे दिया है। जिस पर सीएम ऑफिस से भी मंजूरी मिल गई है। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार के एक्ट में मामूली संशोधन करके उत्तराखंड के लिए एक्ट तैयार किया गया है। बताया जा रहा है कि आगामी विधानसभा सत्र के दौरान कैबिनेट से पास होने के बाद सदन में पेश किया जाएगा। दरअसल, एचआईवी संक्रमितों को हॉस्पिटल्स में स्टॉफ से सहयोग न मिलने और समाज में भेदभाव किये जाने की समस्या सामने आती है। इसे रोकने में यह एक्ट मदद करेगा।

बनेगा अलग सेल

जानकार बताते हैं कि नए एक्ट के तहत एचआईपी पॉजिटिव की समस्याओं क समाधान के लिए एक लीगल सैल का गठन किया जाएगा। यह सेल सामने आने वाली प्रॉब्लम्स को शार्ट आउट करने में मददगार होगा। सेल के गठित होने के बाद कोटर्1 तक जाने की जरूरत नहीं पडेंगी।

बसों में फ्री यात्रा की सुविधा

एचआईवी पॉजिटिव को सरकारी बसों में फ्री यात्रा सुविधा देने को भी सीएम ने अपनी मंजूरी दे दी है। सीएम पहले ही इसकी घोषणा कर चुके हैं। लेकिन अब उन्होंने इस फाइल पर मुहर लगा दी है। इसके लिए 4100 एचआईवी पीडि़त को चयनित किया गया है। इनमें से करीब साढ़े तीन हजार उत्तराखंड के बताए गए हैं। वैसे राज्य के 13 जिलों में मौजूद एआरटी सेंटर्स में जनवरी 2019 तक 6982 एचआईवी पॉजिटिव दर्ज हैं। लेकिन बसों में फ्री यात्रा की सुविधाएं देने के लिए बाकी पेशेंट्स को बाद में जोड़ने का दावा किया जा रहा है। फ्री बस पास में किसी भी स्टेट के पेशेंट्स हो सकते हैं। इसके लिए ऐसे पेशेंट्स को स्पेशल मेडिसिन कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा। जिससे एचआईवी पॉजिटिव की गोपनीयता बनी रही। इस पर 35 से 40 लाख रुपए सालाना खर्च आने का अनुमान है।

पेंशन पर भी सीएम की मुहर

समाज कल्याण विभाग के तहत मिलने वाली पेंशन योजना के तहत राज्य सरकार ने पीडि़तों को एक हजार रुपए पेंशन दिए जाने पर भी मंजूरी दे दी है। इसके लिए सालाना साढ़े तीन से चार करोड़ खर्च का अनुमान है। लेकिन पेंशन योजना के तहत पीडि़त का उत्तराखंडवासी होना जरूरी है। स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के असिस्टेंट प्रोजेक्ट डायरेक्टर डा। अर्जुन सेंगर ने बताया कि इन दो योजनाओं पर सीएम ने अपनी मुहर लगा दी है।