- 2 मशीन पाउच पैकिंग की

- 250 बोरी पानी पाउच की

- 1 बोरी में 100 पाउच

- 200 एमएल पानी एक पाउच में

- 2 रुपये कीमत एक पाउच की

- बिना मानक के चल रहा था मकान में अवैध पानी पाउच पैकिंग का कारखाना

- पांच हजार तैयार पाउच बरामद, एफडीए ने सैंपल के लिए भेजा

- पैकिंग डेट, बैंच नंबर और बेस्ट बिफोर सूचना अंकित नहीं पाउच में

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LUCKNOW : शहर में बड़े पैमाने पर अवैध पानी का कारोबार चल रहा है. गर्मी की तपिश बढ़ते ही कारोबार में पंख लग जाते हैं. हर दिन हजारों लीटर पानी अवैध तरीके से पैक कर बाजार में बेचा जा रहा है. इसकी पैकिंग न तो मानक के अनुरूप है और न ही पानी शुद्ध और साफ है. एफएसडीए ने शनिवार को अवैध रूप से चल रही एक पानी की फैक्ट्री को माल लदे डाले का पीछा करके पकड़ा. जानकीपुरम एक मकान में चल रही अवैध पानी फैक्ट्री में छापेमारी की गई तो कई चौंकाने वाले सच सामने आये.

अवैध रूप से चल रहा था पानी का प्लांट

फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमनिस्ट्रेशन की टीम ने शनिवार दोपहर टेढ़ी पुलिया के पास एक लोडर यूपी 32 ईएम 1812 में पानी के पाउच लदी बोरियां देखीं. डाला सवार हरदोई निवासी ड्राइवर शराफत अली पानी के भरे पाउच की बोरियां दुकानों में सप्लाई कर रहा था. एक बोरी की कीमत 75 रुपये वसूल किए जा रहे थे. एफएसडीए की टीम ने डाले का पीछा किया और जानकीपुरम के सेक्टर आई के एक मकान में पहुंची, जहां अवैध रूप से पानी का प्लांट चल रहा था. प्लांट में पानी के पाउच बनाने की मशीन के साथ पानी के पाउच की सैकड़ों बोरियां भरी मिली.

जलधारा ब्रांड के नाम से पाउच

एफएसडीए की टीम ने बताया कि पानी के प्लांट में जलधारा ब्रांड के नाम से पानी के पाउच तैयार हो रहे थे. प्लांट में पानी पाउच की पैकिंग की दो मशीन, 250 बोरी पानी पाउच, जिसमें हर बोरी में करीब सौ पाउच भरे हुए थे. एक पाउच में दो सौ एमएल पानी था और मार्केट में बिक्री रेट दो रुपये था. बरामद पानी पाउच की कीमत करीब पचास हजार रुपये बताई जा रही है.

बिना मानक चला रहे थे प्लांट

पानी का प्लांट करीब दो साल से चल रहा था. प्लांट के मालिक चौक अशरफाबाद निवासी मोहित कुमार सक्सेना का कहना है कि वह मार्केट में पानी के पाउच तैयार कराके बेचते हैं. हालांकि आर प्लांट के कई और मशीनें और बीस लीटर जार भी मिले है. टीम के अनुसार पाउच में न तो बीआईएस सर्टिफिकेट और ना ही एफएसएसएआई लाइसेंस मिला है. यहीं नहीं पैकिंग पाउच में डेट, बैच नंबर, बेस्ट बिफोर की सूचना भी अंकित नहीं पाई गई. प्लांट मालिक इससे संबंधित कोई भी दस्तावेज मौके पर नहीं दिखा सका. एफएसडीए की टीम ने प्लांट को सीज कर दिया और पानी के पाउच को सैंपल के लिए जब्त कर लिया. रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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सैकड़ों अवैध प्लांट चल रहे

पानी की सप्लाई के नाम पर शहर में सैकड़ों अवैध पानी के प्लांट चल रहे हैं, जिनका न तो कोई रजिस्ट्रेशन है और न ही फूड विभाग के किसी मानक को पूरा किया जा रहा है. शहर में गिनती की सात ब्रांडेड कंपनी ही पानी की पैकिंग कर बेचने के लिए वैध हैं जबकि शहर में गली गली में पानी के प्लांट चल रहे हैं. बीस लीटर पानी के जार से लेकर 16 लीटर ठंडे पानी के जार और पाउच की धड़ल्ले से बिक्री कर रहे हैं.

प्लांट में तीन लाख का खर्च

अवैध प्लांट लगाने में केवल तीन लाख का खर्च आता है. आर प्लांट के साथ पानी ठंडा करने के लिए चिलर मशीन लगाई जाती है. यहीं नहीं सबमर्सिबल की बोरिंग से पानी निकालकर आर प्लांट में फिल्टर कर बीस लीटर जार में भरा जाता है. पानी ठंडा करने के लिए फिल्टर का एक पाइप चिलर जार में लगा होता है. मशीन से लेकर पूरे सिस्टम को लगाने में तीन से साढ़े तीन लाख रुपये का खर्च आता है जबकि वैध रूप से यह काम करने के लिए कई तरह के लाइसेंस के साथ प्लांट को हाईजेनिक बनाने के लिए लाखों रुपये खर्च आता है.

हर महीने करोड़ों का कारोबार

पानी प्लांट और उनकी सेल मार्च महीने से शुरू हो जाती है. अक्टूबर माह तक इनकी मार्केट काफी तेज रहती है. 8 महीने के कारोबार में सबसे ज्यादा बीस लीटर जार और पाउच बिकते हैं. हालांकि पानी पाउच की बिक्री और डिमांड 12 महीने रहती है. एक महीने में एक प्लांट की सेल 30 से 40 हजार रुपये होती है. शहर में तीन से चार सौ अवैध प्लांट चल रहे हैं जिसकी एक महीने में सेल 60 से 70 हजार रुपये तक है. हर महीने लाखों और साल में करोड़ों रुपये का अवैध प्लांट से राजस्व को चूना लगाया जा रहा है.