क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ: राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज(रिम्स) रांची में एडमिशन के नाम पर फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है. इसका खुलासा गुरुवार को तब हुआ जब त्रिपुरा के अगरतला निवासी अनुराग चक्रवर्ती अपने पिता सजल चक्रवर्ती के साथ रिम्स पहुंचे. दिन के 11 बजे स्टूडेंट सेक्शन के स्टाफ संदीप से मिले और कहा कि उनका कोल इंडिया के कोटे से रिम्स में एडमिशन हुआ है. इससे संबंधित जरूरी सभी दस्तावेज भी दिखाए, लेकिन जब इन दस्तावेजों की जांच की गई तो सभी फर्जी पाए गए. इसके बाद डायरेक्टर डॉ डीके सिंह ने दोनों पिता-पुत्र को अपने कार्यालय में बुलाया और पूरे मामले की जानकारी ली. इसके बाद दोनों पिता-पुत्र को फर्जी दस्तावेज के सहारे एडमिशन लेने की कोशिश करने के आरोप में पुलिस के हवाले कर दिया गया.

क्या है मामला

पिता-पुत्र द्वारा निदेशक को बताया गया कि करीब 3 महीने पूर्व उन्हें फ ोन करके रिम्स बुलाया गया था. तब दीपक, मनोज और एमसीआई प्रतिनिधि बताकर उदय सिंह नामक तीन लोगों से उन्हें मिलवाया गया. भरोसा दिया गया कि रिम्स में उनका एडमिशन हो जाएगा. इसके एवज में इन तीनों को कुछ कैश दिए गए. वहीं, लगभग 15 लाख रुपए इनके द्वारा बताए गए अकाउंट में ऑनलाइन ट्रांसफ र किया गया था. रुपए देने के बाद उन्हें रिम्स की जरूरी सभी रसीदें जो एडमिशन के लिए जरूरी होती हैं दी गई थीं. इसी आधार पर वो नामांकन के लिए आए हुए थे. लेकिन, यहां आने पर पता चला कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है.

एफआईआर दर्ज

दोनों पिता-पुत्र ने निदेशक से अनुरोध किया कि इस मामले में पुलिस को शामिल नहीं किया जाए. इसके बाद भी निदेशक ने यह कहते हुए मामले में एफ आईआर दर्ज करा दी कि इस घटनाक्रम में रिम्स कैंपस का इस्तेमाल हुआ है.

वर्जन

दोनों के बयानों के अनुसार, नामांकन के लिए 12 लाख रुपए ऑनलाइन अदा किए गए हैं. इसके अलावा इनके द्वारा जिन तीन व्यक्तियों के नाम बताए गए हैं वो रिम्स में नहीं है. ऐसे में यह प्रतीत नहीं होता है कि इस धोखाधड़ी में रिम्स का कोई स्टाफ शामिल है. मामले की जानकारी पुलिस को दे दी गई है. आगे की कार्रवाई पुलिस अपने अनुसार करेगी.

-डॉ डीके सिंह, निदेशक, रिम्स