- वाराणसी में मिले 22 फर्जी बीएड डिग्री होल्डर में दो डीडीयूजीयू से भी

- चार में दो की हो चुकी मौत, एक संविदा और एक एंप्लॉई हो चुका रिटायर

- फर्जी मार्कशीट के लिए रिकॉर्ड में भी की गई थी टेंपरिंग, लेकिन विभाग में नहीं दुरुस्त करा सके रिकॉर्ड

GORAKHPUR: वाराणसी में चल रही फर्जी डिग्री मामले की जांच में गोरखपुर पर भी आंच आ गई है। पहले सिर्फ यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्री का मामला ही सामने आया था, लेकिन अब इसमें किसी इंटरनल आदमी का हाथ होने की बात से यूनिवर्सिटी में हलचल मची हुई है। मगर मामला काफी पुराना होने की वजह से संदेह के घेरे में आने वाले कर्मचारी या तो रिटायर हो चुके हैं या फिर दुनिया छोड़ चुके हैं। ऐसे में इनवेस्टिगेशन करने वाले ऑफिसर की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हालत यह है कि अब जिम्मेदार इस मामले को जल्द से जल्द खत्म करने की जुगत में लग गए हैं, जिससे उनका इससे पीछा छूट जाए।

22 डिग्री मिली थीं फर्जी

वाराणसी में फर्जी बीएड की डिग्री पर नौकरी का मामला सामने आया था। इसमें जब जांच हुई, तो दो मामले गोरखपुर यूनिवर्सिटी से भी जुड़े मिले। जब इसकी प्राइमरी लेवल पर जांच हुई, तो गोरखपुर यूनिवर्सिटी ने फेक डॉक्युमेंट की रिपोर्ट लगाकर मामले की जांच बंद कर दी। लेकिन इसी जांच के दौरान एक बात यह भी सामने आई कि एक स्टूडेंट की डिग्री तो फर्जी थी ही, वहीं इसकी जगह जिस स्टूडेंट का रिकॉर्ड था, उसमें भी टेंपरिंग की गई थी। ऐसे में यूनिवर्सिटी ने एक जांच कमेटी बनाई, जिसने मामले की जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी।

चार लोग मिले जिम्मेदार

जांच कमेटी की रिपोर्ट में इस मामले में तत्कालीन डीलिंग क्लर्क के साथ चार लोग जिम्मेदार मिले। इसको लेकर संस्था की ओर से कैंट थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया गया। 2015 में जब मामले की जांच शुरू हुई, तो यह बात सामने आई कि जो कर्मचारी इस मामले में संलिप्त थे, उनमें से तीन रिटायर हो चुके हैं और एक संविदाकर्मी है। रिटायर होने वालों में भी दो कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। पूछताछ के लिए अब कोई नहीं बचा है, ऐसे में आईओ को जांच में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और केस क्लोज नहीं हो पा रहा है।

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रिकॉर्ड में की गई थी टेंपरिंग

यूनिवर्सिटी से दो स्टूडेंट्स की फेक डिग्री बनाकर जॉब के लिए अप्लाई किया गया था। इसमें जब फेक डिग्री का मामला सामने आया कि तो जांच शुरू हुई। गोरखपुर में भी दो लोगों के रिकॉर्ड खंगाले गए। इसमें एक लड़की की डिग्री जो फर्जी थी, इसको ओरिजनल बनाने की काफी कोशिश हुई थी। फर्जीवाड़ा करने वालों ने जहां दस्तावेज बनाने में काफी सावधानी बरती, तो वहीं रिकॉर्ड मेनटेन करने के लिए टेंपरिंग करने से पीछे नहीं रहे। लेकिन उन्होंने एक गलती यह कर दी कि रिकॉर्ड रूम के डाटा को तो उन्होंने दुरुस्त करा लिया, लेकिन विभाग के डाटा को अपडेट न करा सके, जिसकी वजह से उनकी चोरी पकड़ी गई। जिसकी रिपोर्ट जांच कमेटी ने 2015 में ही सौंप दी थी।