- आरटीओ में आती है कंप्लेन, चेकिंग में पकड़ी गई गाडि़यां तब हुआ खुलासा

- शहर में नंबर प्लेट बदलकर चल रहीं गाडि़यां

GORAKHPUR: शहर में आए दिन अजीबोगरीब मामले सामने आते रहते हैं। इस समय गाड़ी चेकिंग में एक नया खेल देखने को मिल रहा है कि लोग सड़कों पर नंबर बदलकर कॉमर्शियल वाहन चला रहे हैं। ज्यादातर कॉमर्शियल गाडि़यों में ये खेल किया जा रहा है। नंबर बदलने का फर्जीवाड़ा करने वालों से पूछताछ में पता चला है कि फाइनेंसर से बचने के लिए ऐसा किया जा रहा है। वहीं कई लोग चालान की मार से बचने के लिए भी ऐसा कर रहे हैं।

केस-1

बुधवार को झंगहा पुलिस ने एक बड़ी जालसाजी का पर्दाफाश किया। कर्मजीत यादव ने काफी पहले एक ट्रक फाइनेंस कराया था। उनके ट्रक का नंबर यूपी 53 ईटी 1665 है। इसका कर्ज भी उन्होंने पूरा जमा कर दिया। उन्हें सूचना मिली कि कई ट्रक मालिक फाइनेंसर से बचने के लिए उनकी गाड़ी का नंबर अपनी गाडि़यों पर लगाकर यूज कर रहे हैं। इसकी सूचना उन्होंने 100 नंबर पर दी। जिसपर पुलिस ने एक ट्रक पकड़ा। ट्रक पर कर्मजीत की गाड़ी का नंबर लगा था। फर्जीवाड़ा करने वाले ट्रक मालिक नितिन यादव को पकड़ा। उसने पुलिस को बताया कि किश्त बाकी थी। डर लग रहा था कि कहीं फाइनेंसर उसकी गाड़ी ना खींच लें इसलिए उसने ऐसा किया।

केस-2

बीते दिनों एसपी ट्रैफिक ने एक ऑटो पकड़ा था जिसकी जांच की गई तो पता चला कि इस पर लगा नंबर टैंकर का है। इसपर ड्राइवर पर नंबर से छेड़छाड़ करने का मुकदमा दर्ज किया गया। ड्राइवर रशीद से कड़ाई से पूछताछ हुई तो उसने बताया कि लोन की वजह से उसने अपनी गाड़ी पर टैंकर का नंबर यूपी 53-टी-6982 लगाया था।

किश्त बाकी होने पर उठा लेते गाड़ी

गाड़ी मालिकों की मानें तो एक से दो किश्त बाकी होते ही फाइनेंसर घर पर दस्तक देने लगते हैं। इनके साथ कई लोग रहते हैं जो जल्दी किश्त जमा करने का प्रेशर बनाते हैं। वहीं जिस वाहन की कई किश्त टूट जाती हैं, वो गाडि़यां कहीं से भी उठा ली जाती हैं। ऐसे में कहीं भी गाड़ी भेजने में डर लगता है।

दूसरे शहरों में भी पकड़ते गाड़ी

फाइनेंसर के यहां से जिन गाडि़यों की ज्यादा किश्त बाकी होती है। उनकी लिस्ट हर बड़े शहर में भेज दी जाती है। वहां पर किश्त वाली गाड़ी मिलने पर उन्हें पकड़ लिया जाता है।

चालान से बचने के लिए भी कर रहे फ्रॉड

कई गाडि़यां जो गलत नंबर पर चलते हुए पकड़ी गई। उनके ड्राइवर ने बताया कि बार-बार के चालान से बचने के लिए हम लोग ऐसा करते हैं।

फैक्ट फिगर

शहर में गाडि़यों की संख्या- 9 लाख

हर साल बढ़ रहे वाहनों की संख्या- 15 से 20 हजार

आरटीओ का मंथली चालान टारगेट - 350

आरटीओ में डेली चालान वसूली- लगभग 1 लाख

टै्रफिक पुलिस की राजस्व वसूली डेली- 10 हजार से अधिक

ट्रैफिक पुलिस द्वारा डेली चालान- 100 से अधिक

वर्जन

दूसरी गाड़ी का नंबर लगाकर चलना गलत काम है। ऐसे लोगों की गाड़ी सीज कर दी जाती है।

- श्याम लाल, आरटीओ प्रशासन