आगरा। अगर आप ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) के लिए ऑनलाइन एप्लाई कर रहे हैं, तो सावधान हो जाएं। शातिरों ने आपके द्वारा जमा की जाने वाली फीस को हड़पने की तैयारी कर रखी है। थोड़ी सी लापरवाही आपको चपत लगवाने के साथ ही ड्राइविंग लाइसेंस की पूरी प्रक्रिया दोबारा करने पर मजबूर कर सकती है। आरटीओ ऑफिस में कंप्लेन पहुंचने पर दो मामले पकड़ में आ चुके हैं। अब तक दर्जनों लोग शिकार हो चुके हैं। इस संबंध में पुलिस में भी शिकायत की गई।

मिले-जुले वेब एड्रेस तैयार किए

नए व्हीकल एक्ट के तहत हुए जुर्माने में बदलाव के बाद से जिस व्यक्ति के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है, वह लाइसेंस बनवाने की दौड़ में शामिल हो गया है। आरटीओ में भी डीएल के लिए वेटिंग लंबी होती गई। रोज लाइनें लगने लगीं। ऐसे में साइबर शातिरों ने इसे ठगी का जरिया बना लिया। डीएल एप्लीकेशन की वेबसाइट के वेब एड्रेस से जुड़े यूआरएल (यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर) क्रिएट कर लिए। ऐसे में आवेदक जब भी वेब पर डीएल के लिए वेबसाइट सर्च करता है, तो ये फर्जी वेबसाइट भी शो होती हैं। कंफ्यूजन में आवेदक इन फर्जी वेबसाइट्स पर डिटेल फिल कर पेमेंट कर देता है। इसके बाद न तो लाइसेंस आता है और न ही फीस वापस होती है। अपने साथ ठगी का अहसास आवेदक को तब होता है, जब वह कई दिनों बाद भी लाइसेंस से जुड़ी कोई अपडेट नहीं मिलने पर आरटीओ ऑफिस पहुंचता है।

इस तरह पूरी होती है प्रक्रिया

डीएल के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जाता है। इसके बाद स्लॉट अलॉट होता है। इसमें बताए गए समय पर संबंधित व्यक्ति को आरटीओ आफिस पहुंचना होता है। वहां पर दस्तावेजों की स्क्रूटनी होती है। इसके बाद अन्य औपचारिकता होने के बाद लर्निग लाइसेंस बनता है।

ऐसे खुला मामला

ठगी कि शिकार लोगों को काफी समय बाद जब कोई रेस्पॉन्स नहीं मिला तो उन्होंने आरटीओ ऑफिस में संपर्क किया। वहां पर पीडि़त लोगों ने अपनी समस्या से अवगत कराया। जब उनसे पूछा गया कि आवेदन कैसे और किस वेब एड्रेस पर किया तो हकीकत सामने आ गई। इसके बाद उन्हें सलाह दी कि वे आवेदन सारथी वाली ही साइट पर करें। और फर्जी वेब एड्रेस के संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराएं।

किया जाएगा प्रचार-प्रसार

मामला पकड़ में आने के बाद परिवहन विभाग में हड़कंप मच गया है। इसके पीछे विभाग भी अपनी कमी मान रहा है कि उनकी वेबसाइट का प्रचार प्रसार कहीं न कहीं पर कम है, ये इसी का कारण है कि लोग फर्जी वेबसाइट का शिकार हो रहे हैं। मामला परिवहन मुख्यालय तक पहुंचा है। इसके बाद मुख्यालय स्तर से सभी संभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे सही वेबसाइट का प्रचार प्रसार करें। ताकि कोई भी आवेदक फजीवाडे़ का शिकार न हो सके। एआरटीओ ने भी इसके प्रचार प्रसार किए जाने के निर्देश दिए जाने के साथ ही आवेदकों से अपील की है कि पूरी जांच पड़ताल के बाद ही आवेदन करें।