किसानों ने दिया जवाब

हरियाणा में नेताओं की विवादित बयानबाजी से लोग आहत है. ताजा विवाद राज्य के कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ के उस बयान से खड़ा हुआ है, जिसमें उन्होंने आत्महत्या करने वाले किसान को कायर और अपराधी बताया है. उनके इस बयान से किसान आहत हैं. किसानों ने अपनी पीड़ा जाहिर की है. वे मानते है कि आत्महत्या नहीं करनी चाहिए, लेकिन जब कोई दूसरा रास्ता दिखाई नहीं दे तो ऐसा करने पर मजबूर होना पड़ता है. जिन किसानों ने आत्महत्या की है, उनके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ होगा. इस प्रकार की संकट की घड़ी में पीड़ित परिवार की ढांढस बंधाना तो दूर कृषि मंत्री उनके जख्मों को कुरेदने का काम कर रहे है.

कायर नहीं होता किसान

'धरती पुत्र कभी कायर नहीं हो सकता. वह हर परिस्थितियों का सामना करने की हिम्मत रखते है. लेकिन जब प्रकृति की मार और सरकार की बेरुखी दोनों ही बर्बाद करने की ठान लेते है तो उस हालत में उनके पास एक मात्र रास्ता आत्महत्या ही बचता है. ऐसे में सरकार के ओहदेदारों को चाहिए कि वह इस प्रकार की बयानबाजी न करे.'

-राव मान सिंह, अध्यक्ष, किसान क्लब .

'भाजपा सरकार के नेताओं में विवादित बयानबाजी करने की आदत बनती जा रही है. कृषि मंत्री ने आत्महत्या करने वाले किसानों को कायर बता कर किसान समाज का अपमान किया है. उन्हें चाहिए कि वह अपने शब्दों को वापस लेकर किसानों से माफी मागे. साथ ही उनके परिवार की हर संभव मदद करे.'

-सतपाल सिंह, तिरपड़ी.

'जिस प्रकार से सीमा पर तैनात जवान देश की सुरक्षा के लिए सीना ताने खड़ा रहता है. किसान भी देश के लोगों का पेट भरने और अन्न सुरक्षा के लिए लिए रात-दिन खेतों में तैनात रहते हैं. जब कोई किसान के दर्द को नही समझेगा तो उस हालत में उनके पास आत्महत्या के अलावा दूसरा रास्ता नहीं बचता है. '

-भीम सिंह यादव, किसान एंव पूर्व सैनिक.

' किसान का सीना फौलादी होता है. वह किसी भी समस्या से निबटने के लिए तैयार रहता है, लेकिन अपनी फसल को बर्बाद होते देख इतना कमजोर हो जाता है कि वह कभी भी टूट सकता है. इसी प्रकार के हालात आत्महत्या करने वाले किसानों के साथ हुआ होगा. इसलिए उन्हें कायर कह कर उनकी पवित्र आत्मा का अपमान करना गलत है.'

-रामधन, किसान जोनियावास.

साभार: दैनिक जागरण

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