नई दिल्ली (एएनआई)। Farmers Protest: कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध-प्रदर्शन आज 50वें दिन भी जारी है। हालांकि केंद्रीय कानूनों के खिलाफ चल रहे इस किसानों आंदोलन के चलते ऑटोरिक्शा चालकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। एक ऑटोरिक्शा चालक अखिलेश ने कहा, हमें विरोध के कारण सिंघू सीमा पार करने की अनुमति नहीं है। इसलिए हम यात्री को विरोध स्थल से पहले ही छोड़ देते हैं। एक अन्य ड्राइवर प्रिंस ने कहा, मैं आमतौर पर यमुना नगर इलाके के पास ड्राइव करता हूं। मैं यहां आया था क्योंकि मुझे सिंघू सीमा पर एक यात्री को उतारना था। उसे छोड़ने के बाद, मुझे किसान आंदोलन की वजह से सिंघू से एक यात्री बैठाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। कभी ऐसा वक्त था कि यहां बहुत सारे यात्री खड़े रहते थे। महामारी और किसानों के विरोध के कारण संख्या अब कम हो गई है। हमारी दैनिक कमाई में भी आंदोलन के बाद बड़ी गिरावट आई है।

धरना स्थलों पर नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई

वहीं कल किसानों ने लोहड़ी के मौके पर दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर बने धरना स्थलों पर नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई। गाजीपुर बॉर्डर (दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा) और टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने लोहड़ी के मौके पर नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई। इस दाैरान दर्शनपाल सिंह, किसान नेता ने कहा कि हमने 3 कानूनों की प्रतियां जलाकर सरकार को संदेश दिया है कि इसी तरह ये बिल एक दिन हमारे गुस्से की भेंट चड़ेंगे और सरकार को कानून वापस लेने पड़ेंगे। 18 तारीख को महिलाएं पूरे देश में बाजारों में, एसडीएम दफ्तरों, जिला मुख्यालयों में विरोध प्रदर्शन करेंगी।

विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं किसान

इसके अलावा राकेश टिकैत, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता ने कहा था कि आंदोलन में कोई देश विरोधी बातें कर रहा है तो सरकार उसे गिरफ़्तार करे। कृषि क़ानून कैसे ख़त्म हो सरकार इस पर काम करे। सरकार ने 10 साल पुराने ट्रैक्टर पर बैन लगाया है तो हम 10 साल पुराने ट्रैक्टर को दिल्ली की सड़कों पर चला कर दिखाएंगे। बता दें कि किसान तीन नए बनाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्र सरकार और किसानों के बीच अब तक बात नहीं बनी है। वह अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है।

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