कोलकाता (एएनआई)। सिंगूर भूमि पुनर्वास और विकास विधेयक 2011 की वर्षगांठ पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने पिछले साल पारित नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि एक उनकी सरकार किसानों के अधिकारों के लिए लड़ती है और उनकी शिकायतों को दूर करती है और दूसरी ओर एक 'उदासीन' केंद्र उन्हें पीड़ित कर रहा है। किसानों को 'समाज की रीढ़' बताते हुए ममता बनर्जी ने आगे कहा कि वह उनकी भलाई के लिए लड़ना जारी रखेंगी, साथ ही किसानों के अधिकारों को बनाए रखना उनके लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है।

किसानों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने एक ट्वीट में कहा आज के दिन, दस साल पहले, सिंगूर भूमि पुनर्वास और विकास विधेयक 2011 को पश्चिम बंगाल विधानसभा में एक लंबे और कठिन संघर्ष के बाद पारित किया गया था। हमने एकजुट होकर अपने किसानों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी। इसके अलावा उनकी शिकायतों का समाधान किया, जिससे उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आया। यहां के किसान और उनके परिवार आज काफी खुश हैं।

विकास अधिनियम, 2011 पारित किया

ममता ने सत्ता में आने के बाद पिछली वाम मोर्चा सरकार द्वारा टाटा को दी गई जमीन पर कब्जा करने के लिए सिंगूर भूमि पुनर्वास और विकास अधिनियम, 2011 पारित किया। 14 जून, 2011 को विधानसभा में विधेयक पारित किया गया था। टाटा समूह को तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा 2006 में एक कार निर्माण कारखाना बनाने के लिए लगभग एक हजार एकड़ जमीन दी गई थी, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के हिंसक विरोध के मद्देनजर ( टीएमसी) परियोजना को रोक दिया गया था।

कई लोग दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले

टाटा मोटर्स ने कानून को चुनौती देते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया। भूमि के अधिग्रहण को एक निचली अदालत ने बरकरार रखा और टीएमसी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा पारित कानून को अपील पर असंवैधानिक घोषित कर दिया गया। उसके बाद यह विवाद सुप्रीम कोर्ट में चला गया, जिसने किसानों के पक्ष में फैसला सुनाया। किसान पिछले छह महीने से केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। कई लोगों ने दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाला है।

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