-मां-पिता, पत्‍‌नी और बेटे से बेहद प्यार करते थे विनीत, फिर ऐसा क्यों?

-सुसाइड नोट विनीत को घोषित कर रहा मानसिक पीडि़त, पड़ोसियों ने नकारा

अखिल कुमार

आई इनवेस्टीगेटिव

Meerut: सुसाइड नोट की इस स्क्रिप्ट का डायरेक्टर विनीत है या कोई और? रोंगटे खड़े कर देने वाले घटनाक्रम में अहम है सुसाइड नोट। सुसाइड नोट पर यकीन कर लें? तो ये केस एक लाइन में क्लोज। एक बेहद सनकी इनसान (विनीत) की सनक ने पूरे परिवार को समाप्त कर दिया? और खुद भी फंदे पर झूलकर जान दे दी। या किसी ने परिवार को इस कदम दबाव में लिया कि तीन पीढि़यां हिप्नोटाइज होकर सिर्फ वहीं कर रहीं थी तो गेम प्लानर कराना चाह रहा था। उसकी मौजूदगी या गैरमौजूदगी में वहीं हुआ जो उसने चाहा। पांच मौत का केस सुसाइड पर क्लोजकुछ है जिससे पर्दा हटना बाकी है। ऐसा लोग कह रहे हैं।

कर्ज नहीं हो सकता वजह?

आखिर कर्ज से दबे इनसान को अपने पूरे परिवार को समाप्त करने की क्या पड़ी थी? आखिर क्यों अपनी नाकामयाबी का ठीकरा उन्होंने अपने बुजुर्ग मां-बाप और मासूम बेट पर फोड़ दिया। सुसाइड नोट को वकालतनामे के तौर पर पेश करने की आखिर क्या वजह थी? एक-एक कर निकले कई सवालों पर आई नेक्स्ट की पड़ताल। 'जर्नी ऑफ ए फेल्योर मैन' टाइटल से शुरू हुई सुसाइड नोट की स्क्रिप्ट में एक बेहद सक्षम और सशक्त कारोबारी ने अपनी अकमर्णता को नाकामी करार दिया है। करोड़ों का कारोबार जमाने वाले विनीत 1.78 करोड़ कर्ज के लिए परिवार के साथ जान देंगे, वो भी उस स्थिति में जब एसेट्स उससे कहीं ज्यादा है। बैंक का लोन और कर्ज चुकाने के बाद भी कुछ रकम बचेगी जिसे विनीत ने अपने ताऊ हरिमोहन को देने का ऐलान नोट में किया है। ये हम नहीं, सब कहते हैं कि महज कर्ज इतने बड़े घटनाक्रम की वजह नहीं हो सकता।

कौन है वो दोस्त?

किसी फिल्मी कहानी की तरह लिखे गए इस सुसाइड नोट में किसी वेस्ट फ्रेंड का जिक्र विनीत ने किया है, दोस्त की मदर के इलाज के लिए उसने मोटी रकम बाजार से उधार लेकर उसे दी थी। नोट में करीब 7 लाइन्स में विनीत ने जिक्र किया है कि किस तरह कारोबार में घाटा झेलने के साथ उसे जब यह मालूम चला कि दोस्त को दिया पैसा डूब गया है तो वो टूट गया। ट्रांसपोर्ट में घाटा, कर्ज को न चुका पाना, बैंक का लोन। यहां हर लाइन में विनीत ने खुद को फेल्योर साबित करने के लिए शब्दों के ताने-बाने को जमकर बुना।

फिर क्यों किया ऐसा?

सुसाइड नोट में विनीत ने पिता श्रीमोहन, मां कृष्णा को बेहद प्यार करने वाला बताया। पत्‍‌नी पूजा की तारीफ में कसीदे गढ़े, बेटे अभिषेक के लिए वो हर बात नोट में जाहिर की जो एक बाप अपने प्यारे बेटे के लिए कहता है। डीपीएस का स्टूडेंट अभिषेक हिंदी नहीं बोल पाता था, बेहद होशियार अभिषेक का व्यवहार सबके के लिए सामान्य था। महज 3 जोड़ी कपड़े अभिषेक के पास थे। किसी तरह का नशा न करने वाला बताते हुए खुद को आदर्श साबित करने वाले विनीत ने तीन पीढि़यों को नष्ट क्यों किया? यह किसी के गले नहीं उतर रहा। अपने स्टाफ, पड़ोसियों, वर्किंग प्लेस एवं रिलेटिव्स का जिक्र करने के साथ-साथ करीबियों के नाम और फोन नंबर विनीत ने नोट में किया है।

इन सवालों का नहीं है जबाव

-दरवाजे बंद थे, गुरुवार रात्रि घटनाक्रम चलता रहा। क्या किसी ने कुछ नहीं जाना? रस्सी का फंदा बनाने के लिए विनीत छत पर भी गए होंगे, नहीं पड़ी किसी की नजर?

-ऑटो लॉक दरवाजे को बाहर से भी लॉक किया जा सकता है। बेशक पुलिस का दावा है कि दरवाजा चारो ओर से बंद था किंतु मुख्य दरवाजे पर ऑटो लॉक है जो दोनों ओर से बंद हो सकता है।

-फंदे पर 4 लोग झूले थे जबकि मौके पर एक स्टूल और एक कुर्सी मिली है। दो लोगों के फंदे पर झूलने के बाद बचे दो लोगों की फंदे पर झूलने की कैसे हिम्मत पड़ी? साइकोलॉजिकली यह पॉसिबल नहीं है।

-परिवार के साथ जान देने वाले विनीत के सुसाइड नोट से इन्टेंशन साफ हो रहा था कि वो अपनी, अपने मां-पिता, पत्‍‌नी या मासूम बच्चे की मौत से ज्यादा फिक्रमंद कर्ज और एसेट के ब्योरे को लेकर थे। जान देने वाले को कर्ज से मुक्ति की इस कदर फिक्र?

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याद आ रहा अभिषेक

बड़े घटनाक्रम को लेकर हर कोई अवाक था तो विनीत के ताऊ हरिमोहन अभिषेक को याद कर दहाड़े मार रहे थे। सालों से अभिषेक को नहीं देखा, मासूम का चेहरा याद कर चीख रहे थे। कॉलोनी का हर बंदा मेधावी अभिषेक को याद कर रो रहा था। पूजा सामान्य महिला थी, पर आने-जाने वाले का हालचाल लेती थी। पड़ोसी अनुज को अभी चोट लगी तो पूजा ने फेसबुक पर 'गेट वेल सून' को मैसेज किया था। सामने आने पर हालचाल भी लिए थे। अभिषेक मात्र कोचिंग और स्कूल के लिए घर से निकलता था।

क्या तंत्र क्रिया के लिए?

कर्ज के लिए इतना बड़ा कदम? कोई आवश्यकता नहीं थी। हालांकि ट्रांसपोर्ट कारोबारी प्रदीप चिन्यौटी समझ नहीं पाए कि स्थिति इस कदर गंभीर है। पर विनीत के बारे में उनका साफ मत है कि कर्ज वजह नहीं हो सकती इतने बड़े घटनाक्रम की। विनीत कुछ ज्यादा ही पूजा-पाठ करते थे और घर के लोग अक्सर एकाकी थे। क्या तंत्र क्रिया के लिए तो सामूहिक आत्महत्या का कदम उठाया?