70 प्रतिशत छात्र परीक्षा से पहले ही पहुंचे तनाव में

मनोवैज्ञानिकों के पास छात्रों के साथ पहुंच रहे अभिभावक

केस 1

अनुराग इस साल क्लास 10 का बोर्ड देने जा रहे हैं। अनुराग का कहना है कि परीक्षा सिर पर है लेकिन वह जो पढ़ रहा, उसे कुछ भी याद नहीं हो पा रहा है।

केस 2

शिल्पी का 12वीं का बोर्ड एग्जाम हैं.अच्छे मा‌र्क्स लाने का प्रेशर है। पढाई में जुटी हुई है लेकिन फिर भी कुछ भी समझ नहीं आ रहा है। भूल भी जा रही है।

केस 3

पायल का भी इस बार दसवीं का बोर्ड एग्जाम हैं। सिलेबस ज्यादा होने से तनाव में हैं। दिमाग ब्लैक आउट हो रहा है।

Meerut। सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाएं शुरु होने से पहले ही शहर के छात्र डी-फोकस होते दिखाई दे रहे हैं। सात साल बाद शुरु हो रहे 10वीं के बोर्ड ने छात्रों के साथ ही अभिभावकों की नींदे उड़ा दी हैं। अब परीक्षा शुरु होने में मात्र तीन दिन रह गए हैं और स्थिति यह है कि छात्र अभिभावकों संग मनोवैज्ञानिकों के चक्कर लगा रहे हैं। आलम यह है कि मनोवैज्ञानिकों के पास पहुंच रहे केसों में करीब 70 प्रतिशत केस ऐसे ही छात्रो के हैं।

तनाव की मुख्य वजह

छात्रो में तनाव की मुख्य वजह अच्छे मा‌र्क्स का प्रेशर व दसवीं का सालों बाद शुरु होने वाला बोर्ड एग्जाम माना जा रहा है। बोर्ड एग्जाम के लिए छात्रों को पूरा सिलेबस तैयार करना पड़ रहा है वहीं मार्किंग सिस्टम को देखते हुए छात्र काफी नर्वस हैं। छात्रों में स्ट्रेस लेवल इस हद तक है कि वह पुराना पढ़ा हुआ भी भूलते जाहे हैं।

छात्रों को इस वक्त तनाव बिल्कुल नहीं लेना चाहिए। इस वक्त बस वह रिविजन पर ध्यान न दें। रिलेक्स रहें खेलकूद में भी थोड़ा समय दें

प्रीति मल्होत्रा, प्रिंसिपल, द अार्यस स्कूल

परीक्षाओं का समय शुरु हो चुका है। छात्रों को चाहिए कि वह शार्ट नोट्स बनाकर इस समय पढ़ाई करे। अभिभावक भी बच्चों को विशेष ध्यान रखें।

निधि मलिक, प्रिंसिपल, सेंट जेवियर व‌र्ल्ड स्कूल

मेरे पास स्टूडेंट काउंसलिंग के लिए आने वाले अधिकतर केस एग्जाम स्ट्रेस के हैं। 70 प्रतिशत छात्रों में इस वक्त यही समस्या मिल रही है। 10 में से 7-8 केस ऐसे ही हैं। अधिकतर छात्रों की समस्या यह है कि वह इस वक्त दिन-रात पढ़ाई में जुटे हैं, सब कुछ शार्ट टर्म मेमोरी में जा रहा है। इसलिए कुछ भी प्रॉपर याद नहीं कर पा रहे हैं।

डॉ। विभा नागर, मनोवैज्ञानिक, जिला अस्पताल

एग्जाम टाइम में अधिकतर केस छात्रों में तनाव के ही हैं। पीएम मोदी की मन की बात के बाद भी छात्र को तनावमुक्त नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि हम उनको मोटिवेट करने के लिए अभिभावकों की भी काउंसलिंग कर रहे हैं।

दीपिका शर्मा, साइकोलोजिस्ट व चाइल्ड थेरेपिस्ट