- रजिस्ट्रार ने मामला प्रकाश में आने के बाद दर्ज कराया एफआईआर

- पुलिस ने किया आरोपी को गिरफ्तार

LUCKNOW: लखनऊ यूनिवर्सिटी में फर्जी खाता खोलकर यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन यूजीसी की ओर से मिलने वाले सीनियर रिसर्च फेलोशिप एसआरएस के बजट निकलाने का मामला प्रकाश में आया है। इस मामले के प्रकाश में आने के बाद यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार ने इस मामले में एक खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दिया है। मामले में पुलिस ने आरोपी अनिल मौर्या को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी पर फर्जी खाते के जरिए यूनिवर्सिटी की पीएचडी स्कॉलर की फेलोशिप के 2.58 हजार रुपए निकाल लिए है। ज्ञात हो कि आरोपी स्टूडेंट्स पहले से ही यूनिवर्सिटी में एक छात्रा के साथ छेड़छाड़ करने के मामले में निष्कासित है।

छात्रा ने लगाया था आरोप

यूनिवर्सिटी सोशल वर्क डिपार्टमेंट की एसआरएफ नीतू सिंह ने 21 जुलाई को वीसी से फेलोशिप न मिलने की शिकायत दर्ज की थी। मामले में पता किया तो फेलोशिप जारी होने की बात समाने आई। इस पर छात्रा ने शपथ पत्र देकर कहा कि उसे अभी तक फेलोशिप नहीं मिला है। वीसी के आदेश पर रजिस्ट्रार ने मामले की जांच शुरू की पता चला की फेलोशिप के 2 लाख 58 हजार रुपए निकाले जाने की बात सामने आई फिर से शिकायत पर हुई जांच में फर्जी खाते से चेक भजाने का मामला पकड़ में आया।

1 जुलाई को नया खाता खोल निकाले पैसे

यूनिवर्सिटी ने नीतू सिंह के नाम पर 15 अप्रैल को 2 लाख 58 हजार रुपए का चेक जारी किया था। इस चेक को भजाने के लिए 1 जुलाई को नीतू सिंह के नाम पर यूको बैंक में खाता खोलो गया। खाते के जरिए 6 जुलाई से 21 जुलाई के बीच 2 लाख 58 हजार रुपए निकाले गए। मामले में यूनिवर्सिटी बैंक और एलयू के अकाउंट आफिसर के कर्मचारियों की भूमिका की जांच कर रही है। बैंक से डिटेल लेने के बाद रजिस्ट्रार ने जिन एटीएम से पैसे निकाले गए वहां की सीसीटीवी फुटेज मंगवाई। इसमें यूनिवर्सिटी के ही पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के अनिल मौर्या की फुटेज सामने आई। इस पर बुधवार को रजिस्ट्रार ने अनिल को बातचीत के लिए बुलाया था। जहां मौके पर पुलिस की टीम भी बैठी थी। पूछताछ में अनिल ने घटना से इंकार किया। हालांकि पुलिस की सख्ती और सीसीटीवी फुटेज दिखाने पर उसने घटना में शामिल होने की बात कबूली।

जांच में पीएचडी स्कॉलर की ओर से फर्जी खाता खोलकर फेलोशिप गबन का मामला पकड़ में आया है। आरोपी छात्र को पुलिस के हवाले कर दिया गया है। मामला दर्ज करा दिया गया है।

प्रो। एसबी निमसे, वीसी